कई दिनों से मैं सोच रहा था कि जानवरों से भी बदतर कर्म करने वाले लोगों पर क्या लिखा जाए। जिन्होंने गुवाहाटी में अपनी ही बहन की इज्जत सरे बाजार नीलाम कर दी। जिन्होंने एक पल के लिए भी ये नहीं सोचा कि जो वो कर रहे हैं वो, तो खुद उनकी मां-बहन के साथ हो सकता है। भीड़तंत्र में वो कौन सी पिपासा मिटाना चाहते थे। मुझे पूरा यकीन है जिन नीच लोगों ने असम में एक 16 साल की लड़की को निर्वस्त्र किया, उनमें ये साहस नहीं होगा कि वो जिस समाज का प्रतिनिधि होने का दावा करते हैं, उसके सामने भी सीना तानकर ये कह सकें कि मैंने अपने समाज की भलाई के लिए ये सब किया। और, वो भला किस समाज के हितों की रक्षा करने सड़क पर उतरे थे।
गुवाहाटी में ऑल आदिवासी स्टूडेंट एसोसिएशन ऑफ असम के छात्र आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्ज दिए जाने का मांग को लेकर शनिवार को रैली कर रहे थे। उस दौरान जो हादसा हुआ उसे पूरे देश ने देखा। 16 साल की एक लड़की को कुत्सित मानसिकता के लोगों ने निर्वस्त्र किया और उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया। शर्मनाक ये है कि ये सब मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के आवास से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर हुआ। फिर भी उस लड़की को बिना कपड़ों के आधा किलोमीटर तक अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा और पुलिस उस लड़की की मदद के लिए नहीं आ सकी।
एक तो मुझे लगता है कि अब संविधान से आदिवासी शब्द को पूरी तरह हटा दिया जाना चाहिए। ये असली हिंदुस्तानी हैं। इन्हें आदिवासी कहकर क्यों राजनीति करने की कोशिश की जा रही है। आज तक मुझे देश के किसी भी हिस्से में एक भी घटना ऐसी सुनने को नहीं मिली कि कहीं आदिवासियों ने तथाकथित सभ्य समाज के लोगों के साथ कोई भी ऐसी हरकत की हो। हां, सभ्य समाज के पहरेदारों ने जरूर बार-बार इन असली हिंदुस्तानियों के साथ छलावा किया, धोखा किया है। अखबारों-टीवी चैनलों में भी मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीरें जमकर चलीं लेकिन, आज जब मैंने कोशिश की ये देखने कि किसी अखबार में मुझे इसकी खबर मिल जाए तो, इंडियन एक्सप्रेस के अलावा किसी भी अखबार में ये खबर मुझे नहीं मिली।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर पढ़ने के बाद मेरा ये भरोसा और पक्का हुआ कि ये असली हिंदुस्तानी हैं ये हार नहीं मानने वाले हैं। सरकार, मीडिया किसी के सहारे की इन्हें जरूरत नहीं हैं। इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता ने उस लड़की के घर जाकर उससे और उसके परिवार वालों से बातचीत की। और, लड़की का पहला जवाब था। मैं इस घटना के बाद और मजबूत हुई हूं। मेरा सबसे पहला लक्ष्य दसवीं की परीक्षा पास करना है। अगले साल उसकी बोर्ड की परीक्षा है। वो, लड़की कम से कम ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करना चाहती है। जिसके बूते वो, तथाकथित सभ्य समाज के लोगों से अपने हक की लड़ाई आसानी से लड़ सके। गुवाहाटी से 240 किलोमीटर सोनितपुर जिले के एक छोटे से गांव से वो जागरुक लड़की अपने समाज के लोगों को हक दिलाने की रैली में शामिल होने गई थी। शनिवार को होने वाली रैली के लिए वो लड़की अपने भाइयों और साथियों के साथ सारी रात सफर कर गुवाहाटी पहुंची थी।
इतने मजबूत इरादों वाली लड़की का अपने समाज में तो आदर्श बनना तय ही था। ऑल आदिवासी महिला समिति की नेता लता लाकड़ा साफ कहती हैं कि ये लड़की आदिवासी समाज (असली हिंदुस्तानी) के दावे को और मजबूत करती है। लड़की के पिता को चिंता है कि अगर उनके तीन बेटों को नौकरी नहीं मिली तो, आठ बीघे जमीन पर धान की खेती से इतने बड़े परिवार का जीवन कैसे चल पाएगा। लड़की की मां पढ़ी-लिखी नहीं है लेकिन, पढ़ी-लिखी मांओं से ज्यादा समझदार है। अपनी बेटी के साथ खड़ी है, कह रही है- मुझे ये पता है कि मेरी बेटी के साथ बहुत बुरा हुआ। लेकिन, मुझे गर्व है कि उसने बहादुरी के साथ लड़ाई लड़ी है।
पिछले तीन दिनों से उस लड़की के घर पहुंचने वालों की लाइन लगी हुई है। वो, देखना चाहते हैं कि बांस के तीन कमरे के छोटे से घर में उसे इतने मजबूत हौसले कहां से मिले। उस लड़की ने ये भी बताया कि भीड़ के नरपिशाचों ने उसके साथ मानवता को शर्मसार कर देने वाला काम किया। लेकिन, निर्वस्त्र अवस्था में सड़क पर आधा किलोमीटर भागी लड़की को एक स्थानीय दुकानदार भागीराम बर्मन ने अपनी शर्ट उतारकर पहना दी। साथ ही उसे पुलिस तक पहुंचने में भी मदद की। बर्मन भी उसी समाज से है।
पिछले कई दिनों से लगातार मैं इस विषय पर लोगों के आक्रोश भरे, चेतावनी देने वाले लेख पढ़ रहा था। मेरी समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या लिखूं। आज उस लड़की के बयान ने मेरा मानस साफ कर दिया कि ये असली हिंदुस्तानी हैं ये, हार नहीं मानेंगे। ये अपनी लड़ाई जीतकर दिखाएंगे। लोग मार-काट की बात कर रहे हैं। वो, लड़की ग्रेजुएट होने की बात कर रही है। अपने हक को लेकर वो कमजोर नहीं हुई है। और, मजबूत हुई है। वो, अपना हिस्सा छीनने आ रही है। वो, दूसरों की मां-बहन की इज्जत लेने की बात नहीं कर रही। तथाकथित सभ्य समाज के लोगों अपनी इज्जत, अपनी असली पहचान बचानी है तो, इन असली हिंदुस्तानियों को गले लगा लो। इनसे माफी मांगो। इनके पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाओ, प्रायश्चित करो। इनका हक जो, बरसों से तुम छीनकर खा रहे हो इन्हें वापस दो।
(इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता से लड़की के परिवार वालों ने निवेदन किया कि कृपया लड़की का असली नाम न छापें। मेरी आप सबसे अपील है कृपया अब उस लड़की की वो तस्वीर न दिखाएं जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है।)
गुवाहाटी में ऑल आदिवासी स्टूडेंट एसोसिएशन ऑफ असम के छात्र आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्ज दिए जाने का मांग को लेकर शनिवार को रैली कर रहे थे। उस दौरान जो हादसा हुआ उसे पूरे देश ने देखा। 16 साल की एक लड़की को कुत्सित मानसिकता के लोगों ने निर्वस्त्र किया और उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया। शर्मनाक ये है कि ये सब मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के आवास से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर हुआ। फिर भी उस लड़की को बिना कपड़ों के आधा किलोमीटर तक अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा और पुलिस उस लड़की की मदद के लिए नहीं आ सकी।
एक तो मुझे लगता है कि अब संविधान से आदिवासी शब्द को पूरी तरह हटा दिया जाना चाहिए। ये असली हिंदुस्तानी हैं। इन्हें आदिवासी कहकर क्यों राजनीति करने की कोशिश की जा रही है। आज तक मुझे देश के किसी भी हिस्से में एक भी घटना ऐसी सुनने को नहीं मिली कि कहीं आदिवासियों ने तथाकथित सभ्य समाज के लोगों के साथ कोई भी ऐसी हरकत की हो। हां, सभ्य समाज के पहरेदारों ने जरूर बार-बार इन असली हिंदुस्तानियों के साथ छलावा किया, धोखा किया है। अखबारों-टीवी चैनलों में भी मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीरें जमकर चलीं लेकिन, आज जब मैंने कोशिश की ये देखने कि किसी अखबार में मुझे इसकी खबर मिल जाए तो, इंडियन एक्सप्रेस के अलावा किसी भी अखबार में ये खबर मुझे नहीं मिली।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर पढ़ने के बाद मेरा ये भरोसा और पक्का हुआ कि ये असली हिंदुस्तानी हैं ये हार नहीं मानने वाले हैं। सरकार, मीडिया किसी के सहारे की इन्हें जरूरत नहीं हैं। इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता ने उस लड़की के घर जाकर उससे और उसके परिवार वालों से बातचीत की। और, लड़की का पहला जवाब था। मैं इस घटना के बाद और मजबूत हुई हूं। मेरा सबसे पहला लक्ष्य दसवीं की परीक्षा पास करना है। अगले साल उसकी बोर्ड की परीक्षा है। वो, लड़की कम से कम ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करना चाहती है। जिसके बूते वो, तथाकथित सभ्य समाज के लोगों से अपने हक की लड़ाई आसानी से लड़ सके। गुवाहाटी से 240 किलोमीटर सोनितपुर जिले के एक छोटे से गांव से वो जागरुक लड़की अपने समाज के लोगों को हक दिलाने की रैली में शामिल होने गई थी। शनिवार को होने वाली रैली के लिए वो लड़की अपने भाइयों और साथियों के साथ सारी रात सफर कर गुवाहाटी पहुंची थी।
इतने मजबूत इरादों वाली लड़की का अपने समाज में तो आदर्श बनना तय ही था। ऑल आदिवासी महिला समिति की नेता लता लाकड़ा साफ कहती हैं कि ये लड़की आदिवासी समाज (असली हिंदुस्तानी) के दावे को और मजबूत करती है। लड़की के पिता को चिंता है कि अगर उनके तीन बेटों को नौकरी नहीं मिली तो, आठ बीघे जमीन पर धान की खेती से इतने बड़े परिवार का जीवन कैसे चल पाएगा। लड़की की मां पढ़ी-लिखी नहीं है लेकिन, पढ़ी-लिखी मांओं से ज्यादा समझदार है। अपनी बेटी के साथ खड़ी है, कह रही है- मुझे ये पता है कि मेरी बेटी के साथ बहुत बुरा हुआ। लेकिन, मुझे गर्व है कि उसने बहादुरी के साथ लड़ाई लड़ी है।
पिछले तीन दिनों से उस लड़की के घर पहुंचने वालों की लाइन लगी हुई है। वो, देखना चाहते हैं कि बांस के तीन कमरे के छोटे से घर में उसे इतने मजबूत हौसले कहां से मिले। उस लड़की ने ये भी बताया कि भीड़ के नरपिशाचों ने उसके साथ मानवता को शर्मसार कर देने वाला काम किया। लेकिन, निर्वस्त्र अवस्था में सड़क पर आधा किलोमीटर भागी लड़की को एक स्थानीय दुकानदार भागीराम बर्मन ने अपनी शर्ट उतारकर पहना दी। साथ ही उसे पुलिस तक पहुंचने में भी मदद की। बर्मन भी उसी समाज से है।
पिछले कई दिनों से लगातार मैं इस विषय पर लोगों के आक्रोश भरे, चेतावनी देने वाले लेख पढ़ रहा था। मेरी समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या लिखूं। आज उस लड़की के बयान ने मेरा मानस साफ कर दिया कि ये असली हिंदुस्तानी हैं ये, हार नहीं मानेंगे। ये अपनी लड़ाई जीतकर दिखाएंगे। लोग मार-काट की बात कर रहे हैं। वो, लड़की ग्रेजुएट होने की बात कर रही है। अपने हक को लेकर वो कमजोर नहीं हुई है। और, मजबूत हुई है। वो, अपना हिस्सा छीनने आ रही है। वो, दूसरों की मां-बहन की इज्जत लेने की बात नहीं कर रही। तथाकथित सभ्य समाज के लोगों अपनी इज्जत, अपनी असली पहचान बचानी है तो, इन असली हिंदुस्तानियों को गले लगा लो। इनसे माफी मांगो। इनके पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाओ, प्रायश्चित करो। इनका हक जो, बरसों से तुम छीनकर खा रहे हो इन्हें वापस दो।
(इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता से लड़की के परिवार वालों ने निवेदन किया कि कृपया लड़की का असली नाम न छापें। मेरी आप सबसे अपील है कृपया अब उस लड़की की वो तस्वीर न दिखाएं जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया है।)