Thursday, September 23, 2021

योगी राज में बीमारू से औद्योगिक राज्यों के मुक़ाबले खड़ा हो गया उत्तर प्रदेश

 हर्ष वर्धन त्रिपाठी 



हम देश को प्रधानमंत्री देते हैं, से हम देश का प्रधानमंत्री बनाते हैं, की गर्वानुभूति उत्तर प्रदेश के लोगों को ऐसी रही कि उन्हें यह अहसास ही नहीं हुआ कि कब देश में उनकी गिनती बीमारू राज्यों में होने लगी। इसकी शुरुआत कांग्रेस के शासनकाल में ही हो गई थी, लेकिन जब क्षेत्रीय पार्टियों का राजनीतिक प्रभाव बढ़ा और उत्तर प्रदेश में जातिवाद चरण पर पहुँचा तो इस बात अनुमान ही नहीं रहा कि जातिवाद और क्षेत्रीय पार्टियों की राजनीति में गुंडागर्दी, अपराध कब उत्तर प्रदेश की पहचान के साथ जुड़ गए। हालात यहाँ तक पहुँच गए कि चुनावी राजनीति में सफलता के लिए अपराधियों की साथ ज़रूरी सा हो गया। उत्तर प्रदेश के लगभग हर ज़िले में कोई कोई ऐसा एक बड़ा अपराधी था, जिसकी स्वीकृति के बिना सामान्य जन जीवन भी मुश्किल हो गया, कारोबार लगाना तो उसके आगे की बात होती है। उत्तर प्रदेश की पहचान धूमिल पड़ती जा रही थी। उत्तर प्रदेश से हर कोई दिल्ली-मुम्बई और देश के दूसरे औद्योगिक राज्यों में कमाने-खाने के मौक़े खोजने जाने लगा था। मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और योगी आदित्य नाथ मुख्यमंत्री बने तो उनके सामने सबसे बड़ा प्रश्न यही था कि राज्य के हर ज़िले में स्थापित गुंडा तंत्र को ख़त्म करके लोगों को सामान्य जीवन जीने के लिए कैसे वातावरण तैयार किया जाए। कारोबार तेज़ करना उसके आगे की बात थी। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने से पहले ही उत्तर प्रदेश ने 2014 में एक और बड़ा बदलाव कर दिया था कि फिर से एक दशक बाद देश का प्रधानमंत्री भी उत्तर प्रदेश से ही जनप्रतिनिधि के तौर पर चुना गया था। देश में कारोबारी गतिविधियों में तेज़ी लाने और राज्यों के बीच प्रतिस्पर्द्धा तेज़ करने की केंद्र की नीतियों को लागू करने में उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी अड़चन हर ज़िले में छोटे-बड़े अपराधियों को बोलबाला था। इसीलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने बेझिझक सार्वजनिक तौर पर कहाकि अपराधी या तो अपराध छोड़ेंगे या फिर राज्य छोड़ेंगे। सार्वजनिक तौर पर किसी मुख्यमंत्री के इस तरह के बयान पर आई तीखी प्रतिक्रिया के बावजूद योगी आदित्य नाथ ने तय किया कि अपराध और अपराधियों के साथ जरा सा भी हीलाहवाली नहीं की जाएगी। 

उत्तर प्रदेश के बड़े-छोटे अपराधियों की गिरफ़्तारी, एनकाउंटर के साथ ही पहली बार एक बड़ा बदलाव हुआ था और वह बदलाव था, उत्तर प्रदेश में ज़ोर ज़बरदस्ती करके अवैध तरीक़े से बनाई गई अपराधियों की संपत्तियों को ज़मींदोज़ करना और उसे सरकारी क़ब्ज़े में लेना। इतने बड़े पैमाने पर इससे पहले देश के किसी राज्य में इस तरह से अपराधियों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोज़र नहीं चला था। टीवी स्टूडियों की चर्चा में जिसे योगी की ठोंक दो नीति कहकर आलोचना की जा रही थी, राज्य की जनता अपराधियों को ठोंके जाने से खुश थी। मार्च 2017 के बाद से योगी आदित्यनाथ के राज में क़रीब सवा सौ अपराधी मारे जा चुके हैं और  क़रीब 3000 से अधिक अपराधी घायल होकर जेल में हैं। इसके अलावा भी क़रीब 40000 अपराधियों के गैंगस्टर एक्ट और 500 से ज्यादा अपराधियों को राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत जेल में डाल दिया गया। उत्तर प्रदेश में योगी राज में अपराधी ख़ुद तख्ती डालकर थाने पहुँच रहे थे कि मुझे आत्मसमर्पण करना है। अपराधियों के विरुद्ध तैयार जनमानस का ही प्रभाव था कि बहुजन समाज पार्टी ने मुख़्तार अंसारी को टिकट देने का निर्णय सार्वजनिक तौर पर सुनाया। अपराधियों को खुलेआम लेने का दुस्साहस अब कोई पार्टी नहीं कर पा रही है। योगी आदित्य नाथ बिना संकोच इन पंक्तियों का उद्घोष करते हैं कि, परित्राणाय साधुनां विनाशाय दुष्कृताम् और, जब अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश के हक़ीक़त बनने की ख़बरें आने लगीं तो देश-विदेश में कारोबारी की इच्छुक कंपनियों की सूची में गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे औद्योगिक तौर पर विकसित राज्यों के साथ उत्तर प्रदेश का नाम भी शामिल हो गया। 

अक्टूबर 2017 में यूएस इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फ़ोरम के बैनर तले अमेरिकी कारोबारियों का प्रतिनिधिमंडल भारी निवेश प्रस्ताव के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मिलने के लिए लखनऊ पहुँच गया था। बोइंग, अडोब, फेसबुक, उबर, हनीवेल, कोकाकोला, मास्टर कार्ड, प्रॉक्टर एंड गैंबल, ओरेकल, जीई हेल्थ, मोनसैंटो, मेडट्रॉनिक और एज्योर जैसी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल थे। और, यह शुरुआत भर थी। सूचना तकनीक, स्वास्थ्य, बुनियादी ढाँचे से जुड़ी कंपनियों से लेकर कृषि क्षेत्र की बड़ी कंपनियां तक उत्तर प्रदेश में निवेश का विकल्प देख रही हैं। आज साढ़े चार वर्षों के योगी राज के बाद उत्तर प्रदेश में देश में आसानी से कारोबार स्थापित करने के मापदंड पर अग्रणी राज्य बन चुका है। डिफ़ेंस कॉरीडोर में देश-विदेश की बड़ी रक्षा कंपनियाँ मौक़े देख रही हैं।उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुताबिक़, अब तक 55 कंपनियाँ उत्तर प्रदेश के डिफ़ेंस कॉरीडोर में भूमि ख़रीद चुकी हैं। उत्तर प्रदेश में कंपनियों का निवेश के लिए रुचि दिखाने के पीछे अपराध मुक्त होने के साथ एक और बड़ी वजह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने समय के साथ अपनी औद्योगिक नीति में बड़ा बदलाव किया है। योगी आदित्य नाथ की सरकार नई औद्योगिक नीति के ज़रिये चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों पर विशेष दृष्टि है, लेकिन योगी आदित्य नाथ को यह अच्छे से पता है कि क़ानून व्यवस्था सुधारने के साथ ही अति आवश्यक है कि लालफ़ीताशाही के चंगुल में कंपनियाँ फँसकर निवेश का इरादा त्याग दें। इसके लिए निवेश के लिए रही कंपनियों को प्राथमिकता के आधार पर हर प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करवाई गईं। निवेशकों की सुविधा के लिए निवेश मित्र पोर्टल बनाया गया है। औद्योगिक घरानों के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र की बाध्यता खत्म की गई है। उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास एवं पूंजी निवेश के इतिहास में एक नया अध्याय इन्वेस्टर्स समिट के रूप में जुड़ा। उत्तर प्रदेश में इतना कुछ बदल रहा है, इसकी जानकारी कंपनियों को मिल सके, सके लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग की गई। देश के बड़े शहरों बेंगलुरु, मुंबई, अहमदाबाद, कोलकाता, हैदराबाद और दिल्ली जैसे शहरों में रोड शो के माध्यम से निवेशकों को आकर्षित किया गया। और, इस सब बदलाव के पीछे सबसे महत्वपूर्ण यह था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ किसी भी निवेश प्रस्ताव की निगरानी निजी तौर पर भी करते हैं। इसीलिए एक तय समय सीमा से अधिक समय लगने पर मुख्यमंत्री के सामने पेशी हो जाए, संबंधित अधिकारी राह में रोड़े अंटकाने के बजाय उसे तेज़ी से पूरा करने पर ज़ोर देते हैं।  

योगी आदित्य नाथ ने सत्ता सँभालने के साथ ही सबसे बड़ी चुनौती पर ही ध्यान देना शुरू किया और वह चुनौती थी कि, क़रीब 23 करोड़ की जनसंख्या वाले राज्य में युवाओं को रोज़गार के अवसर कैसे मिले, इसके लिए अति आवश्यक था कि कंपनियाँ राज्य में आएँ। उत्तर प्रदेश सरकार के इन्वेस्टर्स समिट में साढ़े चार लाख करोड़ रुपये से अधिक के समझौते होने से स्पष्ट हुआ कि पहले की सरकार की नीतियों और ज़मीन पर कमजोर क्रियान्वयन की वजह से देश की सबसे बड़े राज्य में कंपनियाँ नहीं रहीं थीं और युवाओं को दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा था। अब 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के शुरू होने से  साफ़ दिख रहा है कि कारोबारी राज्यों में मुक़ाबले में उत्तर प्रदेश भी मज़बूती से अपनी दावेदारी कर रहा है। उत्तर प्रदेश में नोएडा, ग़ाज़ियाबाद में पहले भी निवेश और कारोबारी अवसर थे, लेकिन योगी आदित्य नाथ की सरकार में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि दिल्ली से सटा पश्चिमी उत्तर प्रदेश हो या फिर पूर्वांचल और बुंदेलखंड, कंपनियों को राज्य के हर हिस्से में निवेश पर लाभ कमाने के लिहाज़ से आकर्षण दिखे। यमुना एक्स्प्रेस वे के किनारे देश की सबसे बड़ी फिल्म सिटी का निर्माण हो या फिर बुंदेलखंड में डिफ़ेंस कॉरीडोर, निवेशकों को उत्तर प्रदेश अपने निवेश पर लाभ की ज़मीन दिख रहा है। नोएडा में सैमसंग की  विश्व की सबसे फ़ैक्ट्री की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में की थी और अब नोएडा की सैमसंग फ़ैक्ट्री से पूरी दुनिया में मोबाइल बनकर जा रहा है। सैमसंग ने उत्तर प्रदेश में क़रीब पाँच हज़ार करोड़ रुपये की निवेश योजना बनाई है। जर्मनी की सबसे बड़ी जूता निर्माता कंपनी Von Wellx चीन से अपना कारोबार समेटकर आगरा में यूनिट लगा रही है। ब्रिटिश कंपनी वेबले एंड स्कॉट अपनी नई यूनिट संडीला (हरदोई) में लगा रही है। मुंबई का हीरानंदानी नोएडा की 20 एकड़ जमीन पर डाटा सेंटर पार्क बना रहा है। कंपनी यहां 600 करोड़ का निवेश कर रही है। इस परियोजना के आईटी कंपनियों को कारोबार में खासी मदद मिलेगी। पर्यटन एवं सांस्कृतिक संबंधों और बौद्ध सर्किट के अहम स्थल होने के कारण जापानी कंपनियां यूपी में निवेश के लिए रुचि दिखा रही हैं। वर्तमान में 48 जापानी कंपनियों ने यूपी में अपना काम शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकसर आपदा में अवसर की बात करते हैं और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्य नाथ ने उसे ज़मीन पर उतार दिया है। जब मुम्बई और दिल्ली से उत्तर प्रदेश के लोग कोरोना काल में लौट रहे थे तो उत्तर प्रदेश अकेली ऐसी सरकार थी जो अपने लोगों को ससम्मान लेकर रही थी और उसी समय योगी आदित्य नाथ ने कहा था कि, हम अपने लोगों को अपनी ज़मीन पर रोज़गार के अवसर देंगे। देश-विदेश की बड़ी कंपनियों के निवेश प्रस्ताव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को यह कहने का साहस दे रहे थे और उन्हें पता था कि जब बड़ी कंपनियाँ निवेश के लिए आएँगी तो छोटे-मंझोले उद्योगों में काम करने वाले लोगों की खूब आवश्यकता होगी। इसीलिए जब उत्तर प्रदेश के लोग लौटकर आए तो उन्हें अधिक मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा। एक मोटे अनुमान के मुताबिक़, क़रीब 90 लाख लोगों को छोटे, मंझोले उद्योगों में कोरोना काल के दौरान रोजगार मिला। उत्तर प्रदेश सरकार ने देशी-विदेशी निवेश आकर्षित करके कंपनियों को राज्य में लाने की हरसंभव कोशिश के साथ एक और कार्य किया और वह था, राज्य में पारंपरिक तौर पर ज़िलों में जिन उत्पादों की प्रतिष्ठा थी, उन्हें पुनः प्रतिस्थापित किया। ओडीओपी, वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट के ज़रिये स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहित किया गया। इससे बाहर से आने वाली कंपनियों के लिए भी बेहतर वातावरण तैयार हो रहा है। क़रीब 23 करोड़ जनसंख्या वाला राज्य किसी भी कंपनी के लिए सबसे बड़ा बाज़ार भी है। पेप्सी कंपनी के उत्पादों का भी सबसे बड़ा उपभोक्ता राज्य उत्तर प्रदेश ही था, लेकिन कंपनी की इकाइयाँ दूसरे राज्यों में थीं। बदले परिदृष्य में जब कोरोना काल के दौरान जुलाई 2020 में पेप्सी को अपनी नई इकाई लगाने का निर्णय लेना था तो सबसे पहला नाम उत्तर प्रदेश का था और मथुरा ज़िले के कोसी कलाँ में पेप्सी का नया प्लांट लग गया है। आसपास के किसानों के लिए भी यह बड़ी ख़बर है। किसानों के लिए और स्थानीय रोज़गार के लिहाज़ से बंद पड़ी चीनी मिलों का शुरू होना भी बहुत बड़ी बात थी। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने कोरोना काल में सैनिटाइजर बनाकर कठिन वक़्त को आसान बनाने में मदद की थी। चीनी मिलों के शुरू होने से स्थानीय लोगों को फिर से अपने घर-गांव में रहते रोज़गार का मौक़ा मिल गया। 

उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस वे के साथ राष्ट्रीय राजमार्गों और राज्य राजमार्गों ने निवेशकों को आकर्षित करने में मदद की है। पूर्वांचल एक्सप्रेव जल्द ही शुरू हो जाएगा और बुंदेलखंड और गंगा एक्सप्रेस के बनने के बाद राज्य का लगभग हर शहर एक्सप्रेस वे से जुड़ जाएगा। उत्तर प्रदेश अब देश का ऐसा राज्य बन गया है, जहां के लगभग हर बड़े ज़िले सड़क, रेलवे और हवाई परिवहन से जुड़े हुए हैं। प्रयागराज में कुम्भ के दौरान बना नया हवाई अड्डा देश के किसी भी हवाई अड्डे के मुक़ाबले खड़ा है और ज़ेवर में बन रहा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निवेशकों को लंबे समय के लिए लुभा रहा है। लखनऊ और वाराणसी हवाई अड्डा अंतर्राष्ट्रीय दर्जे का है। कुशीनगर और अयोध्या को भी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा मिला हुआ है, जिस पर तेज़ी से कार्य चल रहा है। कुल 12 हवाई अड्डों के ज़रिये पूरे प्रदेश को हवाई सेवा से जोड़ने पर योगी सरकार कार्य कर रही है। औद्योगिक विकास के लिए सबसे ज़रूरी है कि सड़क, रेल और हवाई मार्ग से जुड़ाव होना। 

(यह लेख आज दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में छपा है)

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