स्वस्थ रहने के लिए हिंदी ब्लॉगिंग भी एक अच्छा जरिया है। मेरी मॉर्निंग शिफ्ट लगी तो, मैं सुबह चार बजे ऑफिस जाने लगा इस वजह से इधर कई बार मैंने सुबह 5-6 बजे भी पोस्ट डाली है। मुझे ये लगा कि मेरी पोस्ट अब तो घंटों सबसे ऊपर दिखेगी। लेकिन, ये भ्रम घंटों छोड़िए कुछ ही मिनटों में टूट जाता है। क्योंकि, कई हिंदी ब्लॉगर अब तक ब्रह्म मुहूर्त में जागने के आदी हो चुके हैं। दनादन कई पोस्ट गिर जाती हैं।
दरअसल इस नए मीडिया में अभी व्यवसायिकता हावी नहीं है। लेकिन, स्वस्थ प्रतियोगिता जमकर हो रही है। इस वजह से लोग लिख रहे है। खूब लिख रहे हैं। अब लिख रहे हैं तो, थोड़ी बहुत तारीफ भी चाहते हैं। तारीफ के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग पोस्ट देखें। इसके लिए जरूरी है कि एग्रीगेटर्स पर आपकी पोस्ट पहले पेज पर तो दिखे ही। बस इसी चक्कर में कुछ विद्वजन ब्लॉगर्स ने खोज निकाला कि ब्रह्म मुहूर्त के 3 घंटे में की गई पोस्ट सबसे ज्यादा समय तक एग्रीगेटर्स के पहले पेज पर दिखती है। मैंने भी इस चक्कर में कई बार सुबह उठकर पोस्ट डाली। वैसे वो पोस्ट मैं रात को ही लिख लेता था।
इस चक्कर में जो, हिंदी चिट्ठाजगत के धुरंधर लिक्खाड़ थे वो, ब्रह्म मुहूर्त में उठने लगे हैं। सुबह 4-5 या फिर 6 बजे उठकर पोस्ट डालते हैं। अब जो, काम बरसों की बुजुर्गों की नसीहत भी नहीं करा पा रही थी। वो, काम हिंदी ब्लॉगिंग ने करा दिया है। जाहिर है सुबह उठना है तो, थोड़ा समय से तो बिस्तर पर जाना ही होगा। स्वस्थ रहने का इससे अच्छा नुस्खा अब तक तो किसी ने नहीं बताया है। आपको ये नुस्खा जमा हो तो, जल्दी से हिंदी के धुरंधर ब्लॉगर बन जाइए।
दरअसल इस नए मीडिया में अभी व्यवसायिकता हावी नहीं है। लेकिन, स्वस्थ प्रतियोगिता जमकर हो रही है। इस वजह से लोग लिख रहे है। खूब लिख रहे हैं। अब लिख रहे हैं तो, थोड़ी बहुत तारीफ भी चाहते हैं। तारीफ के लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग पोस्ट देखें। इसके लिए जरूरी है कि एग्रीगेटर्स पर आपकी पोस्ट पहले पेज पर तो दिखे ही। बस इसी चक्कर में कुछ विद्वजन ब्लॉगर्स ने खोज निकाला कि ब्रह्म मुहूर्त के 3 घंटे में की गई पोस्ट सबसे ज्यादा समय तक एग्रीगेटर्स के पहले पेज पर दिखती है। मैंने भी इस चक्कर में कई बार सुबह उठकर पोस्ट डाली। वैसे वो पोस्ट मैं रात को ही लिख लेता था।
इस चक्कर में जो, हिंदी चिट्ठाजगत के धुरंधर लिक्खाड़ थे वो, ब्रह्म मुहूर्त में उठने लगे हैं। सुबह 4-5 या फिर 6 बजे उठकर पोस्ट डालते हैं। अब जो, काम बरसों की बुजुर्गों की नसीहत भी नहीं करा पा रही थी। वो, काम हिंदी ब्लॉगिंग ने करा दिया है। जाहिर है सुबह उठना है तो, थोड़ा समय से तो बिस्तर पर जाना ही होगा। स्वस्थ रहने का इससे अच्छा नुस्खा अब तक तो किसी ने नहीं बताया है। आपको ये नुस्खा जमा हो तो, जल्दी से हिंदी के धुरंधर ब्लॉगर बन जाइए।
बात सही कही लेकिन हमारे साथ तो उलटा हो रहा है जो थोड़ा व्यायाम कर लेते थे वो भी अब पोस्ट लिखने में चला जा रहा है.
ReplyDeleteचक्रव्यूह है
ReplyDeleteये जगत अनोखा
लागी लगन
चक्रव्यूह है
ReplyDeleteये जगत अनोखा
लागी लगन
wordoress per aap time set kar kae post de saktae hae aaaj likho post kar do 3-4 din kae liya post swatah hee aa jayaegee aur agrregators per aap dhrunder ho jaogae . !!!!!!!!!!!
ReplyDeleteसही है। ब्लागिंग जो न कराये।
ReplyDeleteओह
ReplyDeleteऔर हमें देखिए आप लोगों का पोस्ट पढते पढते सुबह हो गई। अब आपकी बात पढकर दिल कर रहा है कि अब कुछ पोस्ट भी कर ही दिया जाए ताकी आज तो हिट लिस्ट में रहें।
वैसे आइडिया जबरदस्त है।
ओह
ReplyDeleteऔर हमें देखिए आप लोगों का पोस्ट पढते पढते सुबह हो गई। अब आपकी बात पढकर दिल कर रहा है कि अब कुछ पोस्ट भी कर ही दिया जाए ताकी आज तो हिट लिस्ट में रहें।
वैसे आइडिया जबरदस्त है।
"घायल की गति घायल जाने" क्या बात कही है आपने . मैं भी सिर्फ़ एक महीने बहुत बदलाव महसूस कर रहा हूँ. और पहले से कुछ ज्यादा ही खुश हूँ.
ReplyDeleteशायद इसी वजह से हमारा स्वास्थय दिन दूना रात चौगुना शरीर के माध्यम से अपनी तरक्की दिखा रहा है.
ReplyDeleteबढ़िया आईडिया है, अब जल्दी उठने की आदल डालनी ही पडेगी। :)
ReplyDeleteउपर "आदत" पढ़ें
ReplyDeleteविचार बुरा नहीं है. बेचारे शिफ़्ट ड्यूटी वालों को थोड़ी मुश्किल होगी.
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