Wednesday, July 24, 2024

राजनीतिक संतुलन के साथ विकसित भारत का बजट

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल पहले के दोनों कार्यकाल से कितना अलग है, इसका सही अनुमान तीसरी बार की मोदी सरकार बनने के बाद आए इस बजट से स्पष्ट रूप से पता लग गया है। 543 की लोकसभा में किसी एक पार्टी के 272 से अधिक सांसद होने पर ही एक पार्टी की सरकार बन पाती है। ऐसा न होने पर उसे दूसरी पार्टी से समर्थन लेना पड़ता है। हालाँकि, तीसरी बार की नरेंद्र मोदी सरकार के साथ अच्छा यह है कि, चुनाव पूर्व गठबंधन वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बिना किसी किंतु परंतु के बन गई है। मोटे तौर पर देखने पर बजट 2024 भी पूरी तरह से नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तैयार बजट ही दिखता है, लेकिन इस बजट विकसित भारत की आकांक्षा के साथ राजनीतिक संतुलन साधने का प्रयास भी स्पष्ट तौर पर दिखता है। 10 वर्ष की मोदी सरकार के बाद तीसरी बार की मोदी सरकार पर रोजगार पर अलग से बड़े ऐलान करने का दबाव भी स्पष्टता से नजर आ रहा है। सरकार बनते ही घोषित प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए अतिरिक्त 3 करोड़ घरों के लिए बजट प्रावधान कर दिया गया है। एमएसएमई के लिए कई राहत भरे एलान के साथ उनको कर्ज देने का प्रावधान भी बढ़ गया है। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना और बुनियादी ढाँचागत विकास के लिए 11 लाख 11 हज़ार करोड़ रुपये का प्रावधान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतिगत निरंतरता और प्रतिबद्धता को स्थापित कर रहा है, लेकिन सरकार यह नहीं चाहेगी कि, इस बार भी निरंतरता के बजट के तौर पर इसे प्रस्तुत किया जाए। यही वजह है कि, इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण शुरू होते ही रोजगार पर चला गया था। उसके साथ ही चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के महत्वपूर्ण समर्थन पर चल रही तीसरी बार की मोदी सरकार ने बड़े सलीके से विकास की पैकेजिंग में राजनीतिक संतुलन का शानदार उदाहरण प्रस्तुत किया है।   

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दोनों सहयोगियों को केंद्रीय बजट में देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इन दोनों ही राज्यों की तरफ से बार-बार विशेष राज्य के दर्जे की माँग की जा रही थी, लेकिन अभी के नियमों के लिहाज से दोनों ही राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है और ऐसा होने पर दूसरे राज्य भी ऐसी ही माँग कर सकते थे, लेकिन नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की राजनीतिक प्रतिष्ठा पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े, इसका भी ध्यान रखना था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उसी को ध्यान में रखते हुए बिहार को विशेष पैकेज राजमार्ग, हवाई अड्डे, बड़े पुल और पर्यटन सर्किट की शक्ल में दे दिया। बक्सर-भागलपुर सड़क परियोजना के लिए प्रावधान हो गया। बिहार में अलग-अलग बुनियादी सुविधाओं के लिए 26 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। नये हवाई अड्डे, राजमार्ग के साथ दूसरी परियोजनाओं के लिए यह रकम स्वीकृत की गई है। इसके अलावा बिहार में बाढ़ की समस्या के निपटारे के लिए 11 हजार 500 करोड़ रुपये अलग से स्वीकृत किए गए। आंध्र प्रदेश से बंटकर तेलंगाना निकला था, उसी समय आंध्र प्रदेश को जो कुछ मिलना था, नहीं मिल पाया था। अब चंद्रबाबू नायडू के पास समय नहीं है। नई राजधानी के साथ पूरा राज्य उन्हें अपने लिहाज से बनाना है, इसीलिए चंद्रबाबू नायडू बजट से पहले अलग-अलग मंत्रालयों से मिलकर अपनी माँग रख चुके थे और उसे सार्वजनिक भी कर चुके थे। नई राजधानी और औद्योगिक गलियारे के लिए केंद्रीय बजट में 15000 करोड़ रुपये देकर नरेंद्र मोदी ने चंद्रबाबू नायडू के उस विश्वास को बढ़ाने की कोशिश की है जो संसद के केंद्रीय कक्ष में सरकार बनने से पहले दिखा था। बिहार और आंध्र प्रदेश को मिला विशेष बजट विकास की पैकेजिंग में राजनीतिक संतुलन का अद्भुत उदाहरण है, लेकिन तीसरी बार की मोदी सरकार ने दूसरे राजनीतिक दबावों में पड़कर किसान सम्मान निधि बढ़ाने या एमएसपी की गारंटी देने जैसा पीछे ले जाने वाला निर्णय नहीं लिया, यह अच्छी बात रही। चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार ने बजट की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। अब राहुल गांधी भले कहें कि, यह कुर्सी बचाओ बजट है, लेकिन राहुल गांधी की पोस्ट ही यह प्रमाणित कर देती है कि, नरेंद्र मोदी की तीसरी बार की सरकार का पहला बजट नीतियों की निरंतरता के साथ आवश्यक सुधार वाला बजट है। राहुल गांधी ने कहा कि, दूसरे राज्यों की कीमत पर तुष्टीकरण किया जा रहा है। जाहिर है, उनका निशाना बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए दिया गया विशेष पैकेज था, लेकिन इससे यह भी तय हुआ कि, नरेंद्र मोदी ने बजट में सारी आशंकाओं को ध्वस्त कर दिया था। राहुल गांधी बजट में बिना सिर पैर के दो बार ए लिखकर शायद अंबानी-अडानी जोड़ना चाह रहे थे, लेकिन अगली ही पंक्ति में कांग्रेस की कॉपी है, लिखकर अपनी ही बात को ध्वस्त कर दिया, लेकिन रोजगार को लेकर देश भर में एक वातावरण बना हुआ था और इस पर कुछ ऐसा एलान करना आवश्यक था, जिससे सीधे तौर पर भाजपा समर्थकों को एक मजबूत तर्क मिल सके। एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप देने का बजट में एलान सरकार के लिए बड़ा हथियार है। युवाओं को भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में इंटर्नशिप के समय प्रति माह 5000 रुपये मिलेंगे और इंटर्नशिप में 6000 रुपये की एकमुश्त रकम मिलेगी। पढ़ाई पूरी करके निकले नौजवान को इंटर्नशिप के साथ 66 हजार रुपये पक्के हो जाने से नौजवानों में रोजगार के मसले पर सरकार का पक्ष बहुत हद तक बेहतर होता दिख रहा है और सबसे बड़ी बात यह भी है कि, इसके लिए सरकार को अलग से सरकार खजाने पर बोझ नहीं बढ़ाना पड़ रहा है।  इंटर्नशिप के दौरान 20 लाख युवाओं को प्रधानमंत्री योजना के तहत कुशल बनाया जाएगा। कुशल श्रमिक न मिल पाना उद्योगों की सबसे बड़ी समस्या रही है। अपने पहले कार्यकाल से ही मोदी सरकार कौशल विकास को प्राथमिकता में रख रही है, लेकिन अभी तक इस मामले में ठीक से क्रियान्वयन नहीं हो सका है। पहली नौकरी पाने वाले 30 लाख कर्मचारियों को लाभ देने वाली योजना का भी ऐलान बजट में युवाओं में विश्वास बढ़ाने के लिए की गई दिखती है। एक लाख रुपये प्रति माह वाली नौकरी ईपीएफओ में पंजीकृत होने पर 3 चरणों में 15000 रुपये सरकार की ओर से मिलेंगे। इसके लिए 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। नये रोजगार देने वाली कंपनियों को प्रति नौकरी 3 हजार रुपये प्रति माह प्रॉविडेंट फंड के लिए दो वर्ष तक मिलेंगे।  

एमएसएमई अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और उस रीढ़ को मजबूत करने के लिए इस बजट में भी विशेष प्रावधान किया गया है। MSME मुद्रा लोन सीमा 10 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 लाख करोड़ कर दी गई है। नई योजना के तहत MSME को 100 करोड़ रुपये तक कर्ज मिल सकेगा। PPP मॉडल के तहत ई कॉमर्स एक्सपोर्ट हब बनाए जाने की बात बजट में कही गई है, इसका लाभ भी MSME को  मिलेगा। अपना कारोबार करने वालों को अब 20 लाख तक का कर्ज बिना गारंटी के मिलेगा, पहले यह सीमा 10 लाख थी। कोविड और दूसरी वजहों से ढेरों कंपनियाँ दिवालियाँ हुई हैं। अच्छी बात है कि, सरकार का ध्यान इस ओर भी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि, IBC मामलों के लिए अलग ट्रिब्यूनल बनाया गया है और इसके तहत एक लाख करोड़ रुपये के 28 हजार मामलों का निपटारा हुआ। वित्त मंत्री ने डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल सिस्टम गठित करने की भी बात कही है। 11 लाख 11 हजार करोड़ रुपये के कैपिटल एक्सपेंडिचर के साथ सरकार की विकास की राह पूर्ववत आगे बढ़ती दिख रही है। ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़,शिक्षा, रोजगार और कौशल के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित करने को उसी तरह से देखा जा सकता है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का चौथा चरण गावों में निवेश लेकर आ सकता है। कर छूट के मामले में पिछले बजटों की तरह इस बजट में भी सरकार बहुत उदार नहीं रही है। कुल मिलाकर नये टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब में थोड़ी छूट का लाभ करदाताओं को अवश्य मिल जाएगा। कैपिटल गेन्स टैक्स को लेकर बाजार में नाराजगी देखने को मिली, लेकिन बाजार बंद होते सेंसेक्स और निफ्टी में बहुत मामूली गिरावट बची रह गई। शेयर बाजार भी नरेंद्र मोदी की सरकार के साथ मध्य वर्ग की ही तरह व्यवहार कर रहा था। अपने अनुकूल निर्णय न होने पर थोड़ी देर की नाराजगी और फिर समग्रता में निर्णय देखकर राष्ट्र के लिए आहुति मानकर उसे स्वीकार कर लेना। इस बजट में रोजगार पर जो संदेश नरेंद्र मोदी देना चाह रहे हैं, उसे जमीन पर उतार सके तो विपक्ष के लिए युवाओं की भावनाएँ भड़का पाना आसान नहीं होगा। 

Monday, July 01, 2024

जेल जाने से भी बुरा केजरीवाल के साथ अब हो रहा है

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi



 अरविंद केजरीवाल के साथ सचमुच बहुत बुरा हो रहा है। शराब घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोप गंभीर हैं और उस मामले में न्यायालय अपना कार्य कर रहा है। अगर, केजरीवाल दोषी नहीं होंगे तो छूट जाएंगे। हालांकि, हर किसी को स्पष्ट दिख रहा है कि, घोटाला हुआ है, भले उसके तार सीधे केजरीवाल से जुड़ना साबित न हो पाए। अब यह सब न्यायालय में होगा, लेकिन केजरीवाल के साथ जो असल बुरा हो रहा है, उसकी तरफ कम लोग ध्यान दे रहे हैं। केजरीवाल को सबसे तगड़ी चोट कांग्रेस पार्टी ने दे दी है। कांग्रेस का कहना है कि, दिल्ली में हुई करारी हार की वजह केजरीवाल का शराब घोटाला है। कांग्रेस की ओर से आतिशी मार्लेना को नौटंकीबाज बताया जा रहा है। सोचिए, केजरीवाल ने बुरे समय में राहुल गांधी का साथ दिया। #RahulGandhi नेता प्रतिपक्ष हो गए और #ArvindKejriwal ठनठन गोपाल। दरअसल, कांग्रेस अब दिल्ली विधानसभा की तैयारियों में जुट गई है। कांग्रेस को लगता है कि, यही समय है केजरीवाल की पार्टी को समाप्त करने का। वैसे भी आम आदमी पार्टी दिल्ली सहित हर राज्य में कांग्रेस को खाकर-पचाकर ही बढ़ी है। अब कांग्रेस बदला ले रही है, लेकिन दिखावे के लिए केजरीवाल के जेल में होने का रस्मी विरोध करती रहेगी। राजनीति यही है। भारतीय जनता पार्टी प्रसन्न है कि, अब #MCD में उसका शासन नहीं रहा। भाजपा का मानना है कि, एमसीडी पर आम आदमी पार्टी के काबिज होने से केजरीवाल फंस गए हैं। अब दिल्ली की बदहाली की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं।

Sunday, June 30, 2024

इस मीडिया को समझिए #SocialMediaMasterClass #HarshVardhanTripathi

#SocialMediaMasterClass #HarshVardhanTripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी




कल संयोगवश #T20 का विश्वकप फाइनल देखा। ऐसा कम हो पाता है, लेकिन कल दिल्ली में एक आयोजन से लौटने के बाद क्रिकेट ही देखा और अंतिम तक देखा। कई पोस्ट लिखी। अब यहां दो पोस्ट उदाहरण के लिए चिपका रहा हूं, इससे तथाकथित सोशल मीडिया पर फैल रहा जहर, बेसिरपैर की पोस्ट और एक दूसरे से लड़ाई-झगड़ा समझ आ जाएगा। पहली पोस्ट मन से, पूरी गंभीरता से लिखी पोस्ट है कि, कैसे भारत एक टीम की तरह खेला और जीता। कोई राज्य, जाति का खिलाड़ी नहीं, भारत का खिलाड़ी बनकर ही खेला और हर किसी के हिस्से उसकी कहानी है जो इतिहास में इस विश्वकप के जीतने के निर्णायक अवसर के तौर पर याद की जाएगी। फिर सोने जाने से पहले एक चित्र दिखा, जिसमें जय शाह अत्यंत प्रसन्न मुद्रा में दिखे। बीसीसीआई सचिव होने के नाते यह स्वाभाविक था, लेकिन बहुतेरी टिप्पणियां मैंने देखीं जो बिना बात @JayShah को गालियां दे रहे थे। मैंने एक पंक्ति लिखी- शाह, वाह बेटा वाह, इसने घृणा से भरे बैठे एक वर्ग में आग लगा दी। ढेर सारे नमूने मेरी पोस्ट पर टूट पड़े। मैंने सोशल मीडिया को सोदाहरण समझाने के लिए यह पोस्ट डाली थी। ढेर सारे नमूनों ने आकर मेरी नमूना पोस्ट को सफल कर दिया। यही सोशल मीडिया का पूरा गणित है। कुछ अलग, दूसरों को चुभने वाला, कुछ लोगों को दुखी करने वाला दिखा नहीं कि, लोग टूट पड़ते हैं। विश्वकप जीतने पर बधाई, भारत के चैंपियनों की प्रशंसा तो हर कोई कर रहा था। अलग सा वाला शाह वाला मसाला मिला तो लोग टूट पड़े। @AmitShah का बेटा होने की वजह से बेवजह के बने दुश्मन उस पोस्ट पर ऐसे टूटे कि, भारत के चैंपियनों की प्रशंसा में लिखा पोस्ट से कई गुना लोग वहां संवाद कर रहे थे। यही करके ढेर सारे लोग इस सोशल मीडिया पर अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं। दिन रात यही करके अच्छी रकम भी बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे लोगों की जमात इसी फॉर्मूले पर काम करती है। मुद्दे की बजाय किसी नेता के पक्ष या विपक्ष में लिखने पर भी इसी तरह से प्रतिक्रिया जुटाई जा सकती है। कई बार तो दो विरोधी से दिखने वाले लोगों के बीच पोस्ट की जवाबी कव्वाली चलती है। यह भी उसी घृणा, जहर, विद्वेष को आगे बढ़ाकर खुद की पोस्ट को आगे बढ़ाने की रणनीति है। इसी में अपशब्दों का तड़का लगा दिया तो सोशल मीडिया पर आए लोगों की जुबान पर ऐसा पोस्ट का स्वाद और चढ़ जाता है। फिलहाल मेरी अपनी ऐसी प्रवृत्ति है नहीं। इसलिए, विवाद से रकम कमाने की अपनी कोई इच्छा भी नहीं है और आवश्यकता भी नहीं है, लेकिन आप @X पर कमाई करने के लिए ही आए हैं तो यह पोस्ट आपके लिए है और कमाई के साथ एक गंभीर लिखने, पढ़ने वाले, मुद्दों की बात करने की इच्छा रखते हैं तो भी यह पोस्ट आपके लिए ही है। भारतीय चैंपियनों को पुन: बधाई देते हुए इसमें भी ब्राह्मण, यादव और मुसलमान खोजकर टिप्पणी करने वालों की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देने वालों को ध्यान में रहे कि, आप उस पर गुस्से में टिप्पणी करके, अपना खून जलाकर उस जहरीले पोस्टकर्ता की कमाई बढ़ा रहे हैं। नमूने इस पर भी आएंगे, लेकिन अपनी ऊर्जा और समय नमूनों पर व्यर्थ करके, जहर फैलाकर, घृणा, द्वेष से मुझे घर चलाने के लिए पैसे कमाने की बाध्यता नहीं है, इसलिए, आगे बढ़ते हैं। धन्यवाद

Tuesday, May 14, 2024

नरेंद्र मोदी का साक्षात्कार जो हो न सका

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी

काशी से तीसरी बार सांसद बनने के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


2004-10 तक सीएनबीसी आवाज में था। 04-08 तक मुम्बई में नॉन मार्केट बैंड का जिम्मा अपने ऊपर था। उसके बाद आवाज छूटने तक 2008 से दिल्ली डेस्क का जिम्मा अपने पास आ गया था। मुम्बई में डेस्क पर रहते हुए बीच-बीच में रिपोर्टिंग का कीड़ा काटने लगता था, लेकिन डेस्क पर एक बार गए तो चाहे जितने बड़े वाले प्रोड्यूसर हो जाइए, रिपोर्टिंग पर भेजना संस्थान को ठीक नहीं लगता। उस पर बिजनेस चैनल में तो गुंजाइश ही बड़ी कम होती है। जब 2007 उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव आए तो मैंने अपने संपादक संजय पुगलिया जी से कहाकि, मुझे यूपी चुनाव कवर करने जाना है। संजय जी उदार संपादक थे, उन्होंने सीधे मना नहीं किया। कहा- प्लान बनाकर सौरभ को दे दो। खैर, योजना बनाते-देते उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव निकल गया। उसी साल के अंत में गुजरात विधानसभा चुनाव आ गया। अचानक एक दिन सौरभ सिन्हा आए और उन्होंने कहा- संजय पूछ रहे हैं, गुजरात विधानसभा चुनाव कवर करने जाओगे। गुजरात मेरे लिए एकदम अनजाना था, लेकिन रिपोर्टिंग करने का अवसर कहां चूकता। शर्त यह थी कि, डेस्क का काम वहां से भी देखते रहोगे। उसमें कसर नहीं होनी चाहिए। आवाज में आउटपुट एडिटर धर्मेंद्र जी जैसे सरल ह्रदय व्यक्ति थे, मेरी रिपोर्टिंग उनको ही थी। थोड़ा कहने के बाद मान गए। मैंने गुजरात चुनाव मजे से कवर किया। गुजरात और नरेंद्र मोदी को अच्छे से समझने में 2007 के विधानसभा चुनाव ने बड़ी मदद की। संजय जी ने जाने से पहले बुलाया और मुझे कहा कि, रवीश कुमार की रिपोर्ट जैसी रिपोर्ट करना, बस राजनीतिक के साथ कारोबारी नजरिये से भी हो, अपना चैनल तो कारोबारियों का ही है। खैर, सबकी अपनी शैली होती है। मैंने भी अपनी शैली में खूब खबरें गुजरात से कीं। मुकेश अंबानी के चचेरे भाई विमल अंबानी और उनके परिवार के दूसरे सदस्यों से उसी दौरान पहली बार भेंट मुलाकात हुई। गुजरात एकदम ही अलग था। 2007 के बाद 2012, 2017, 2022 के विधानसभा चुनाव मैंने अपने तरीके से कवर किया। लगभग हर बार का मेरा अनुमान सटीक निकला। 2008 का अहमदाबाद धमाका भी आवाज के लिए मैंने कवर किया था। खैर, मतदान के दिन से पहले लौटकर मुम्बई आ गया। मेरी समझ से नरेंद्र मोदी अपने जीवन का सबसे कठिन चुनाव जीत चुके थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद @navikakumar नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू कर रहीं थीं। आलोक जोशी जी आवाज में इनपुट एडिटर थे। उन्होंने देखा- मेरे पास आए और बोले। तुम्हारा तो संघ और भाजपा में कनेक्शन है। मोदी जी का इंटरव्यू कर लाओ। कुछ देर सोचने के बाद मैंने कहा- इंटरव्यू हो जाएगा, लेकिन मुझे भेजिए अहमदाबाद। आलोक जी ने कहा- तुम्हीं चले जाना। 4 घंटे संपर्कों को खंगालने के बाद संजय भवसार का नंबर मिला, बात हुई। उन्होंने कहा- इंटरव्यू के लिए मेल कर दीजिए। मैं प्रसन्न था कि, अब मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का साक्षात्कार करने का अवसर मिलेगा। 10 मिनट भी नहीं बीते थे कि, अपने केबिन से संजय जी आए और कहा- आलोक, संजय भवसार को एक मेल भेज दो, कल मोदी जी का इंटरव्यू करना है। मैंने यह लंबी कहानी इसलिए लिखी कि, मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति ने उस समय भी बिना किसी बहुत बड़े संपर्क के 4 घंटे में Narendra Modi को साक्षात्कार के लिए लगभग तैयार कर लिया था। आज भी नरेंद्र मोदी PMO India होने के बावजूद लगभग 50 साक्षात्कार दे चुके हैं। एक मीडिया समूह से एक से अधिक लोगों को भी साक्षात्कार दे चुके हैं। रिपोर्टर, एंकर, संपादक सबको नरेंद्र मोदी सहज भाव में साक्षात्कार दे रहे हैं। इसके बावजूद मीडिया का एक बड़ा वर्ग नरेंद्र मोदी को तानाशाह और राहुल गांधी को सुलभ बताता है। ध्यान में रहे कि, राहुल गांधी ने अभी तक एक भी साक्षात्कार नहीं दिया है। नरेंद्र मोदी का साक्षात्कार भले मैं नहीं कर सका, लेकिन 2007 से अब तक उनको देखते, परखते बहुत हद तक समझ पाता हूं। काश! Narendra Modi का साक्षात्कार 2007 में मैं कर पाया होता तो अधिक प्रमाणिकता के साथ यह बात कह पाता। यूट्यूब और दूसरे माध्यमों से स्वतंत्र पत्रकारिता करते मेरे लिए अब शायद ही PMO India Narendra Modi का साक्षात्कार कर पाना संभव हो, लेकिन निस्संकोच कह सकता हूं कि, भारत का कोई प्रधानमंत्री मीडिया के लिए इतना सुलभ नहीं रहा। जितने सवालों के जवाब मोदी ने दिए हैं, उतने सवालों के जवाब किसी ने नहीं दिए। बाकी, लोगों का क्या, लोगों का काम है कहना।

Wednesday, January 31, 2024

हिन्दू मंदिर, परंपराएं और महिलाएं निशाने पर क्यों

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi



अभी सकट चौथ बीता। आस्थावान हिन्दू स्त्रियाँ अपनी संतानों के दीर्घायु होने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। चंद्रमा दर्शन के उपरांत ही कुछ ग्रहण करती हैं। भारत भी चाँद पर पहुँच चुका है, लेकिन इससे हिन्दू स्त्रियों के मन में अपनी संतानों के दीर्घायु होने के लिए निर्जला व्रत रखने और चंद्रमा देखकर व्रत तोड़ने में अंतर नहीं आया है। व्रत के अगले दिन सुबह संतान तिल-गुड़ से बना पहाड़ तोड़ते हैं। पूजा में तिल-गुड़ के अलावा गन्ना, गाजर, अमरूद, शकरकंद, बैगन आदि मौसमी खाद्य ही इस पूजा में चढ़ाया जाता है। यह सब मंदिर में ही जाता है। जाहिर है, इसे अकेले पुजारी/पंडित तो खा नहीं जाएगा। ऐसी ही व्रत-परंपरा के मंदिर से जुड़े होने से भारत में मंदिरों से कोई भूखा नहीं लौटता था, तब भी जब लंगर/भंडारा जैसे आयोजन के चित्र सोशल मीडिया पर नहीं डाले जाते थे। मंदिर, परिवार और इसे सँभालने वाली महिलाएं हमारे हिन्दू समाज की रीढ़ हैं। अब यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि, इसीलिए सारे हमले उन्हीं को लक्षित करके होते रहे हैं। इसका एक और आवश्यक पहलू जानना चाहिए और उसे दुरुस्त करना चाहिए। किन्हीं वजहों से यह व्रत रखने की मान्यता अधिकांशतः पुत्रों की लंबी आयु के लिए ही रखती रही हैं, लेकिन मेरी पत्नी हमारी दोनों पुत्रियों के लिए रखती है। हिन्दू धर्म निरंतर सुधार का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। सुधार हम हिन्दू स्वयं करते रहते हैं। किसी क्रांति, गोली चलाने, विद्रोह करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हिन्दू व्रत-परंपरा में मूल प्रकृति, समाज विज्ञान जुड़ा हुआ है, उसके इर्द गिर्द समाज में अलग-अलग कहानियाँ हो सकती हैं। और इसमें यह जोड़ना आवश्यक है कि, बहुत सी हिन्दू स्त्रियाँ यह व्रत नहीं रखती हैं तो उन पर यह बाध्यता भी नहीं होती है।

Saturday, November 18, 2023

प्रधानमंत्री का पत्रकार दीपावली मिलन और कुंठित, विघ्न संतोषी पत्रकारों की पीड़ा

 


शुक्रवार, 17 नवंबर को भारतीय जनता पार्टी ने दीपावली मिलन आयोजित किया। पत्रकारों के साथ दीपावली मिलन में @PMOIndia @narendramodi सभी पत्रकारों से खूब अच्छे से मिले। जिसने इच्छा जाहिर की, उसके साथ सेल्फी खिंचाई, सबका हालचाल लिया। कई पत्रकारों को भी उम्मीद नहीं रही होगी कि, उन्हें प्रधानमंत्री ऐसे भी जानते-पहचानते हैं। करीब एक घंटे तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पत्रकारों से अच्छे से मिले। भाजपा का पूरा मीडिया विभाग पूरी तत्परता, विनम्रता से पत्रकारों का स्वागत कर रहा था। कुछ लोगों को आमंत्रित करना रह गया भी हो सकता है, लेकिन बहुतायत सभी प्रमुख पत्रकारों को न्योता गया था और सब पहुंचे भी। अब इसकी भी आलोचना एक विघ्न संतोषी प्रजाति कर रही है। पहले दीपावली मिलन से लेकर कल तक, सभी में संयोगवश हम भी शामिल रहे हैं। पहले दीपावली मिलन में प्रधानमंत्री के साथ सेल्फी खिंचाने के लिए लपककर पहुंचे एक टीवी एंकर आज यूट्यूब पर मोदी विरोध में खतरनाक स्तर को पार कर चुके हैं। शायद सरकार से उन्हें जिस 'सम्मान' की अपेक्षा थी, वह नहीं मिला। मोदी विरोध करने वाले पत्रकार अधिकांश वही हैं, जिनको सरकार ने उस तरह का 'सम्मान' नहीं दिया जो वो चाहते थे। खैर, पत्रकार होते सरकार से अपेक्षा का भाव रहेगा तो ऐसी पीड़ा, कुंठा मन में उपजती ही रहेगी। मुझे आमंत्रण नहीं भी मिला होता तो ऐसे सुन्दर आयोजन की आलोचना मैं कदापि न करता। सोनिया, राहुल जी भी ऐसे दीपावली आयोजन करते हों तो उसकी प्रशंसा होनी चाहिए। @anil_baluni और उनकी पूरी टीम को इस सुन्दर आयोजन के लिए बधाई। पत्रकार और नेताओं के बीच ऐसी मुलाकात होती रहनी चाहिए।

Thursday, October 19, 2023

विद्यालयों में बच्चे को हर अवसर मिल रहा है, उसे जिसमें मजा आए, उसमें आगे बढ़ाइए

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi 

The Manthan School's Khelchakra Chief Guest Prof Harsh Vardhan Tripathi, Chairman The Manthan School Divya Jain, COO Puja Khurana, Principal Poonam Kumar Mendiratta 








अकसर यह चर्चा होती है कि, शिक्षा में निजी और सरकारी विद्यालयों की भूमिका कितनी होनी चाहिए? दोनों के पक्ष में अच्छे तर्क भी सामने आते हैं, लेकिन अभी की शिक्षा हो या पहले की, विद्यालयों में छात्रों के सर्वांगीण विकास के मामले में निजी विद्यालय बेहतर करते दिखते हैं। सरकारी विद्यालयों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, लेकिन सीमित है। अभी ग्रेटर नोएडा के #TheManthanSchool के वार्षिक खेल उत्सव #KhelChakra में मुख्य अतिथि के तौर पर जाने का अवसर मिला। करीब 8 वर्ष इस विद्यालय को हुए हैं। आधुनिक सुविधाओं से युक्त यह विद्यालय अपनी अलग पहचान बना चुका है, लेकिन खेलचक्र में जब मैं ग्रेटर नोएडा के शही विजय सिंह पथिक इंडोर स्टेडियम पहुंचा तो मुझे अहसास हुआ कि, विद्यालय कितना बेहतर कर रहा है। एक सप्ताह तक विद्यालय में अलग-अलग प्रतियोगिताओं के बाद स्टेडियम में समापन होना था। कार्यक्रम के दौरान मेडल देते समय विद्यालय की प्रधानाचार्य पूनम कुमार मेंदीरत्ता जी ने बताया कि, उनके विद्यालय के कई बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पूरे आयोजन के दौरान ऐसा लग रहा था जैसे, छोटा आलंपिक चल रहा हो। विद्यालय के बच्चे चमक रहे थे। कोई भी विद्यालय बेहतर होता है तो उसमें प्रधानाचार्य और शिक्षकों के साथ प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। द मंथन स्कूल की चेयरमैन दिव्या जैन जिस उत्साह से आयोजन में शामिल थीं, उससे यह आसानी से समझ आ रहा था। दिव्या जी ने बताया कि, पूनम जी विद्यालय की शुरुआत से ही प्रधानाचार्य हैं। हमारी बेटी की प्राइमरी में शिक्षक रहीं फरहा मैम अब द मंथन स्कूल में हैं और वहां की स्कूल मैनेजमेंट कमेटी में हैं। उनका फोन आया कि, आपको हम अपने कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाना चाहते हैं। मैंने कहा- अवश्य आऊंगा। पहली वजह तो छोटे-बड़े छात्रों के बीच जाकर बहुत कुछ सीखने को मिलता है। ऊर्जा बढ़ जाती है। दूसरी वजह, आप हमारी बेटी की शुरुआती शिक्षक रही हैं और तीसरी वजह भी महत्वपूर्ण है कि, हमारा इलाहाबाद कनेक्शन है। मैंने अपने भाषण में अभिभावकों से यही कहाकि, बच्चे को जो काम करने में मजा आ रहा हो, उसी में आप थोड़ा मदद करिए। बेवजह किसी भेड़चाल में बच्चे को शामिल मत कराइए। हालांकि, यह कहना आसान है। आज के प्रतिस्पर्धा वाले समय में अभिभावकों पर भी बहुत दबाव है, लेकिन आजकल विद्यालयों में जिस तरह की सुविधाएं उनको शुरू से मिलती हैं, उनका सर्वांगीण विकास आसानी से हो जाता है। विद्यालय प्रबंधन, शिक्षकों और छात्रों को शुभकामनाएं #HarshVardhanTripathi

राजनीतिक संतुलन के साथ विकसित भारत का बजट

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तीसरा कार्यकाल पहले के दोनों कार्यकाल से कितना अलग है, इसका सही अनुम...