ये बात आश्चर्य में डालती है कि तहलका और आज तक नरेंद्र मोदी के प्रचारक कैसे हो गए। जबकि, इन दोनों ने मिलकर तो, मोदी को गोधरा के बाद हुए 2002 के गुजरात दंगों का साजिश रचने वाला साबित कर दिया है। लेकिन, गुजरात चुनाव के पहले चुनाव परिणामों पर लगने वाला सट्टा तो, कुछ ऐसे ही संकेत दे रहा है। तहलका-आजतक के ऑपरेशन कलंक के बाद नरेंद्र मोदी और बीजेपी की हैसियत बढ़ गई है। ऑपरेशन कलंक का सीधा फायदा इन्हें होता दिख रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के साथ सट्टाबाज भी ये मान रहे हैं कि ऑपरेशन कलंक ने नरेंद्र मोदी को उनका प्रिय चुनावी विषय दे दिया है। अब तक सट्टेबाज जहां बीजेपी को 182 में से 96 सीटें मिलने का अनुमान लगा रहा था। वहीं अब मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को 112 सीटें मिलने का सट्टा सबसे ज्यादा भाव पा रहा है। वैसे कांग्रेस को इस मुद्दे को न उछालना कुछ कामयाब रणनीति दिख रही है। साथ ही बीजेपी के बागी और एनसीपी के साथ के बाद बीजेपी की सीटों का अनुमान फिर से 98 के आसपास पहुंच गया है।
अब सवाल यही है कि आज तक-तहलका ने जब कुछ नया खुलासा नहीं किया तो इसे ठीक चुनाव शुरू होने के समय ही क्यों किया। साफ है टीवी को टीआरपी चाहि थी और मोदी को चुनावी एजेंडा। मोदी ने और कोई प्रतिक्रिया न देकर सिर्फ इतना कहा कि वो अल्पसंख्यकवाद के विरोधी हैं। क्या इससे मोदी को फिर से अपना एजेंडा चुनावी नारे की तरह इस्तेमाल करने का मौका नहीं मिला। क्या इससे ये नहीं लगता कि ऑपरेशन कलंक मोदी के चुनावी अभियान की मजबूत शुरुआत बन गया है।
पहले की रियायत मोदी को अब फायदा दे रही है?
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अपील की है कि गुजरात चुनाव के दौरान बीजेपी के खर्चों पर जरा कड़ी नजर रखे। कांग्रेस का आरोप है कि नरेंद्र मोदी ने सत्ता में रहते हुए कई उद्योगपतियों को करोड़ो रुपए की टैक्स छूट दी है। जिसका फायदा उन्हें इन चुनावों में भारी चंदे के तौर पर मिल सकता है। कांग्रेस की मानें तो, मोदी ने कई बड़े उद्योगपति घरानों को 15,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की छूट दी है। विधानसभा में विपक्ष के नेता अर्जुन मोरवादड़िया तो, ये भी आरोप लगा रहे हैं कि मोदी उद्योगपतियों को चंदे के लिए धमका भी रहे हैं। उन्होंने ऐसे 35 उद्योगपतियों की सूची भी जारी की है।
राजनीतिक विश्लेषकों के साथ सट्टाबाज भी ये मान रहे हैं कि ऑपरेशन कलंक ने नरेंद्र मोदी को उनका प्रिय चुनावी विषय दे दिया है। अब तक सट्टेबाज जहां बीजेपी को 182 में से 96 सीटें मिलने का अनुमान लगा रहा था। वहीं अब मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को 112 सीटें मिलने का सट्टा सबसे ज्यादा भाव पा रहा है। वैसे कांग्रेस को इस मुद्दे को न उछालना कुछ कामयाब रणनीति दिख रही है। साथ ही बीजेपी के बागी और एनसीपी के साथ के बाद बीजेपी की सीटों का अनुमान फिर से 98 के आसपास पहुंच गया है।
अब सवाल यही है कि आज तक-तहलका ने जब कुछ नया खुलासा नहीं किया तो इसे ठीक चुनाव शुरू होने के समय ही क्यों किया। साफ है टीवी को टीआरपी चाहि थी और मोदी को चुनावी एजेंडा। मोदी ने और कोई प्रतिक्रिया न देकर सिर्फ इतना कहा कि वो अल्पसंख्यकवाद के विरोधी हैं। क्या इससे मोदी को फिर से अपना एजेंडा चुनावी नारे की तरह इस्तेमाल करने का मौका नहीं मिला। क्या इससे ये नहीं लगता कि ऑपरेशन कलंक मोदी के चुनावी अभियान की मजबूत शुरुआत बन गया है।
पहले की रियायत मोदी को अब फायदा दे रही है?
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से अपील की है कि गुजरात चुनाव के दौरान बीजेपी के खर्चों पर जरा कड़ी नजर रखे। कांग्रेस का आरोप है कि नरेंद्र मोदी ने सत्ता में रहते हुए कई उद्योगपतियों को करोड़ो रुपए की टैक्स छूट दी है। जिसका फायदा उन्हें इन चुनावों में भारी चंदे के तौर पर मिल सकता है। कांग्रेस की मानें तो, मोदी ने कई बड़े उद्योगपति घरानों को 15,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की छूट दी है। विधानसभा में विपक्ष के नेता अर्जुन मोरवादड़िया तो, ये भी आरोप लगा रहे हैं कि मोदी उद्योगपतियों को चंदे के लिए धमका भी रहे हैं। उन्होंने ऐसे 35 उद्योगपतियों की सूची भी जारी की है।
मुख्यमंत्री धमका रहे हैं ! :)
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