Wednesday, November 28, 2007

महिलाओं को कम समझना बंद कीजिए

दया चौधरी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट की पहली महिला जज बन गई हैं। सीनियर एडवोकेट दया को एडीशनल जज नियुक्त किया गया है। 88 साल के हाईकोर्ट के इतिहास में ये पहली बार है जब कोई महिला जज बनी है। दया चौधरी पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट बार की पहली महिला प्रेसिडेंट और केंद्र सरकार की एडीशनल सॉलीसिटर जनरल भी रह चुकी हैं।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक महिला जज की नियुक्ति इसलिए भी मायने रखती है कि ये दोनों ही राज्य लड़के-लड़कियों के मामले में सबसे खराब अनुपात रखते हैं। पंजाब और हरियाणा से कन्या भ्रूण हत्या के भी बड़े मामले सामने आते रहे हैं। देश में लड़के-लड़कियों का सबसे खराब अनुपात इन्हीं दोनों राज्यों में है। पंजाब और हरियाणा में 1000 लड़कों पर सिर्फ 704 लड़कियां हैं। जबकि, देश में 1000 लड़कों पर 933 लड़कियां हैं।

पंजाब और हरियाणा की ही तरह चंडीगढ़, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, गुजरात और उत्तरांचल में भी लड़कों के मुकाबले लड़कियां कम हो रही हैं। अमीर राज्यों के साथ ही दिल्ली के पॉश इलाके साउथ दिल्ली में कन्या भ्रूण हत्या सबसे ज्यादा होती है जो, साफ दिखाता है कि ज्यादा पढ़े-लिखे और समृद्ध भारत को लड़कियां कम पसंद हैं। इसका दुष्परिणाम भी सामने आता दिख रहा है। अगर यही हाल रहा तो, 42 साल बाद करीब 3 करोड़ लड़के कुंआरे रह जाएंगे।

सिर्फ केरल ही अकेला राज्य है जहां लड़कों से ज्यादा लड़कियां हैं। केरल में 1000 लड़कों पर 1058 लड़कियां हैं। देश में सामाजिक संतुलन बने इसके लिए जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लड़कियों को समाज में आगे बढ़ने का मौका मिले। अब ये आश्चर्य की ही बात है कि 88 साल से पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को एक लायक महिला वकील नहीं मिल पाई थी जो, जज बन सकती। दया चौधरी जैसे उदाहरण शायद लोगों को कन्या भ्रूण हत्या से रोक पाएं और भारत संतुलित विकास कर सके।

5 comments:

  1. दया चौधरी जैसे उदाहरण शायद लोगों को कन्या भ्रूण हत्या से रोक पाएं और भारत संतुलित विकास कर सके।
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    उदाहरण तो हमेशा से रहे हैं और बहुत से रहे हैं हर समय में....

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  2. अरे भाई साहब। मीडिया और उसमें भी टीवी मीडिया में काम करने वाले को भी 'नारी शक्ति' की महिमा समझनी-समझानी पड़ेगी क्या?

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  3. नारी का उत्थान ही भविष्य की आशा है।

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  4. नारी का उत्थान ही भविष्य की आशा है।
    सच है. धीरे धीरे ही सही पर इस दिशा मे हम प्रगति कर रहे है.

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  5. जिनकी मति मारी गयी हो, वही तो ऐसा सोचेंगे। बाकी तो सब देश-दुनिया देख ही रहा है।

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