Friday, October 12, 2007

सादगी से शादी!

दिल्ली की मशहूर शादियों की रौनक कुछ कम हो सकती है। खासकर पंजाबी शादियों की। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने शादियों की सीजन शुरू होने से पहले सिख धर्म मानने वालों को सादगी से शादी करने की सलाह दी है। कमटी का तो, यहां तक कहना है कि लोग रात की बजाए दिन में ही शादियां करें। साथ ही ये शादियां गुरुद्वारे से ही की जाए।

लोग गुरुद्वारे की सलाह मान भी रहे हैं। लेकिन, ज्यादा से ज्यादा लोगों को गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का शादियों पर बना कोड ऑफ कंडक्ट पता चल सके इसके लिए शहर में 400 से ज्यादा बोर्ड लगाए जा रहे हैं। साथ ही कमेटी के लोग भी अलग-अलग सर्कल में शादियों पर ध्यान देंगे कि वो सादगी से हो रही हैं या नहीं। ज्यादातर लोग इस बात के लिए तो मान ही गए हैं कि शादियों में शराब नहीं बहाई जाएगी। लेकिन, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कुछ ज्यादा ही कड़े मूड में दिख रही है। कमेटी का साफ कहना है कि जो, कोड ऑफ कंडक्ट नहीं मानेगा उसे गुरुद्वारे से शादी का प्रमाणपत्र नहीं दिया जाएगा।

वैसे गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का कहना है कि मोरल कोड ऑफ कंडक्ट कोई कानून नहीं है। ये सिर्फ सलाह है और गुरुद्वारा में तो, सादगी से शादी करनी ही होगी। बाहर वो जो चाहें कर सकते हैं। वैसे तो भारतीय शादियां भव्यता के लिए खूब जानी जाती हैं। यहां तक कि आर्थिक रुप से कमजोर भी अपने बेटे-बेटी की शादी में दिल खोलकर खर्च करते हैं। कई बार सचमुच पैसा पानी की तरह बहता दिखता है।

राजधानी दिल्ली में सबसे ज्यादा धूम पटाखे के साथ पंजाबियों की ही शादियां होती हैं। शादियों के सीजन में बड़े शहरों में हालात ये हो जाते हैं कि महीनों पहले बुकिंग न हो तो, शादी के लिए जगह मिलना भी मुश्किल हो जाता है। शादी के पूरे सीजन ज्यादातर शहरों में ट्रैफिक जाम का नजारा आम तौर पर देखने को मिल जाता है।
शादी के धूम धड़ाके में लोग अपनी शान के साथ दबंगई भी दिखाने की कोशिश करते हैं। शादियों में अनजाने में गोली लगने से हर साल कई शादियों में मातम छा जाता है। शादी खुशी का बड़ा मौका होती है लेकिन, खुशी के मौके को जिंदगी भर यादगार बनाने के लिए शराब बहाना, गोलियां चलाना, अनाप-शनाप पैसे खर्च करना तो कहीं से भी समझदारी नहीं है। ऐसे में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ये सलाह सबको रास्ता दिखा सकती है।

3 comments:

  1. ध्यान देने योग्य बात है.शादियों में सचमुच पैसा पानी की तरह बहता दिखता है. सबको अपने अरमान पूरे करने होते हैं तो कोई मानता ही नहीं. हम मान जायें तो पत्नी न माने, बच्चे न माने. सोच में ही व्यापक फेर बदल लाना होगा.

    अच्छा मुद्दा लाये हैं, बधाई.

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  2. या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता
    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

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  3. बहुत अच्छा कदम है । सिर्फ सिख कयों सारे ही लोग इस सादगी को अपना सकते हैं । अगर मंदिर भी ऐसा कोई कदम उठायें तो क्या बात है ।

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