Tuesday, October 02, 2007

ज्यादा सम्मान मिलने का खामियाजा है भारतीय टीम की बुरी हार

भारत कोच्चि वनडे ऑस्ट्रेलिया से 84 रनों से हार गया। धोनी के सारे धुरंधर फ्लॉप हो गए। नए-पुराने सारे खिलाड़ी फुस्स हो गए। आज धोनी को एक कप्तानी पारी खेलने की जरूरत थी। लेकिन, खुद धोनी भी वो नहीं कर पाए। हां, धोनी के धुरंधर मैदान पर गुस्से में इतने थे जैसे किसी विश्व विजेता को किसी पिद्दी ने ललकार दिया हो। जबकि, सच्चाई यही थी कि सामने कई सालों से निर्विवाद विश्व विजेता ऑस्ट्रेलिया के सामने गलती से 20-20 का विश्व चैंपियन बना भारत था।

ऑस्ट्रेलियाई टीम जब भारत की धरती पर उतरी थी तो, ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग से किसी भारतीय पत्रकार ने अति उत्साह में पूछ लिया कि वो धोनी की यूथ ब्रिगेड को किस तरह से आंकते हैं। रिकी पोंटिंग ने ऑस्ट्रेलिया की पुरानी क्रिकेट स्ट्रैटेजी के तहत जवाब दिया कि भारत की टीम एक 20-20 का विश्व कप जीतकर आई है। जबकि, ऑस्ट्रेलिया की टीम ने जो, क्रिकेट में किया है, उसे करने के लिए भारतीय टीम को अभी बहुत लंबा सफर तय करना है। मैच से पहले विरोधी टीम पर दबाव बनाने के लिए ये ऑस्ट्रेलिया की चिर परिचित रणनीत थी।

वैसे, इस बार भारत के क्रिकेट खिलाड़ी पहले के खिलाड़ियों की तरह चुप नहीं रहे। धोनी की यूथ ब्रिगेड ने मीडिया के जरिए रिकी पोंटिंग को करारा जवाब दिया। लेकिन, मैदान पर उतरते ही सब साफ हो गया। भारतीय टीम के खिलाड़ी गुस्से में कुछ ऐसे ही हो गए थे जैसे, किसी कमजोर को गुस्सा आने पर उसके मुंह से झाग निकलने लगता है। शरीर कांपने लगता है। आंखें चढ़ जाती हैं और शरीर में रही-सही ताकत भी खत्म हो जाती है।

श्रीशांत, हरभजन और टीम के दूसरे खिलाड़ियों को देखकर तो ऐसा ही लग रहा था। श्रीशांत को तो, देखकर कई बार लगा कि वो कहीं ब्लड प्रेशर की बीमारी का शिकार तो नहीं हो गया है। पहले मैच में बारिश ने भारतीय टीम की इज्जत बचा ली थी। उसके बाद भी भारतीय टीम के खिलाड़ियों को असली विश्व विजेता ऑस्ट्रेलिया की ताकत का अहसास नहीं हो सका। दरअसल ये कुछ ऐसी ही बात हो गई कि काबिलियत से ज्यादा सम्मान मिल जाने पर कोई मानसिक तौर पर गड़बड़ हो जाए। फटाफट क्रिकेट में विश्व विजेता बनने के बाद भारत में मिले सम्मान के बाद शायद भारतीय टीम की हालत कुछ ऐसी ही है। अब भारतीय टीम को अपनी और देश की जरा सी भी इज्जत बचानी है तो, मैदान पर गुस्सा और मीडिया में भड़काऊ बयान देने के बजाए मैदान पर अपना खेल ऑस्ट्रेलिया से बेहतर करे। क्योंकि, पोंटिंग ने भड़काऊ बयान दिया, साथ ही मैदान पर भी उसे साबित कर दिया।

2 comments:

  1. हार - वह भी इतनी बड़ी जीत के बाद सही है. आपको जमीन पर जो रखती है.

    ReplyDelete
  2. Well u also belong to same society where everone wants to see his team win..... u have written about this team in your blog & only after a single defeat your attitude have changed about this teams spirit ....... But what would u say after win in CHANDIGARH today........ CHAK DE or anything else.... like other media people.

    ReplyDelete

एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...