Monday, October 15, 2007

बौराया बाजार किसका भला कर रहा है?

बाजार हम पर बुरी तरह से हावी हो गया है। इतना कि सेंसेक्स की सरपट चाल किसी की समझ में न आने के बाद भी सेंसेक्स सोमवार को 19,000 पार कर गया। देश तरक्की कर रहा है। भारतीय कंपनियां दुनिया भर में नाम कमा रही हैं। भारत के अमीर, दुनिया के अमीरों के नाक-कान काट रहे हैं। आम आदमी सेंसेक्स में पैसा लगाकर खूब कमा रहा है। बाजार के विद्वानों का ज्ञान सुनें तो, लगता है पूरा देश सेंसेक्स की तरक्की से संपन्न हो गया है।
लेकिन, देश क्या सोचता है, इसका अंदाजा एक निजी टेलीविजन चैनल पर पूछे गए सवाल से काफी हद तक पता लग जाता है। टीवी चैनल पर सवाल पूछा गया था कि सेंसेक्स 19,000 के पार, इसे आप क्या मानते हैं। सवाल का जवाब देने वालों में से सिर्फ 15 प्रतिशत लोग इसे देश की तरक्की का आइना मानते हैं। 50 प्रतिशत लोग मानते हैं कि सेंसेक्स और सट्टे में खास फर्क नहीं है, शेयर बाजार सट्टे की तरह इस्तेमाल हो रहा है। 35 प्रतिशत को सेंसेक्स-निफ्टी की तेजी में जो दिखता है वो, और भी खतरनाक है। ये 35 प्रतिशत लोग मानते हैं कि शेयर बाजार में आ रहे अनाप-शनाप पैसे से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। यानी बाजार के साथ छेड़छाड़ हो रही है। क्योंकि, इतना पैसा कहां से और क्यों आ रहा है। इसका सही गणित वो भी नहीं बता पाते जो, दिन भर बाजार की ही बकवास करते रहते हैं।

वैसे बड़ी मजेदार बात होती है कि इस सेंसेक्स के बारे में किसी को कोई अंदाजा नहीं होता है। ठीक वैसे ही जैसे लॉटरी या कसिनो में किसी को ये पता नहीं होता कि किस नंबर पर लाखों फोकट में जेब में आ जाएंगे। यहां भी कुछ ऐसा ही है इतनी तेजी के बाद भी कई कंपनियां लाल निशान से उबर नहीं पा रही हैं। फोकट में पैसा आया तो, वो ईमानदारी के पैसे की तरह तो, खर्च होने से रहा। शायद यही वजह है कि एक बार हराम की कमाई यानी लॉटरी, सट्टे और शेयर बाजार से पैसा कमाने की लत लगी तो, फिर मुश्किल से ही जाती है। और, कभी-कभी तो जान भी ले जाती है।

ये सेंसेक्स 17,000 से 18,000 सिर्फ 8 दिनों में पहुंच गया तो, 18,000 से 19,000 सिर्फ 4 दिनों में पहुंच गया। अब क्या उम्मीद करें कि अगले दो दिन में सेंसेक्स 20,000 पर होगा। अभी मैंने कुछ दिन पहले लिखा था कि किसी तरह से अंबानी भाई, डीएलएफ के के पी सिंह, भारती के सुनील भारती मित्तल और दूसरे अमीरों का पैसा बेतहाशा बढ़ गया है। तो, उस पर कई टिप्पणियां जो मिली थीं। उसमें से एक ये भी थी कि क्या आपको पता है ये बदलते भारत की पहचान हैं। टिप्पणी में कुछ लोगों ने कहा कि ये मेहनत से तरक्की कर रहे हैं। अब कोई मुझे ये बताए कि सेंसेक्स के भागने से महीने में 22-25 हजार करोड़ रुपए जो, इनकी जेब में पहुंचे वो, किस मेहनत का नतीजा है।

वैसे बौराए बाजार की तेजी की ये चिंता सिर्फ आम लोगों को ही नहीं है। खुद वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी शुक्रवार को ये बोल पड़े कि मुझे सेंसेक्स की ये तेजी चौंकाती है, कभी-कभी डराती है। ये वो, वित्त मंत्री हैं जो, मानते हैं कि सेंसेक्स-निफ्टी की तेजी देश की तरक्की का आइना है। साफ है उन्हें भी डर लग रहा है कि कहीं ये पैसा ऐसा तो नहीं है जो, देश को अपने तरीके से चलाने की कोशिश करेगा। वित्त मंत्री ने RBI और SEBI को शेयर बाजार में आने वाले पैसे पर नजर रखने को कहा है। अब महीने भर के बजाए बाजार में आने वाले पैसे के स्रोत का पता लगाने के लिए 15 दिन में बैठक करेंगे। वैसे एक छोटा सा आंकड़ा और है जो, मुझे पता है, अच्छा भी लगता है, डराता भी है। अकेले मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज का देश की GDP में 3 प्रतिशत का हिस्सा है। सरकार पर अंबानी भाइयों के दबाव के किस्से इससे आसानी से जोड़े जा सकते हैं। अब अगर देश के 10 अमीर एक साथ आ जाएं तो, कौन सी सरकार होगी जो, इनके कहे को टाल पाएगी।

इन सब बातों से हो सकता है आपको लग रहा हो कि मैं क्या बेवकूफी कर रहा हूं। लेकिन, ये सोचने की गलती इस समय आम निवेशक भी कर रहा है, उसे बाजार डराने लगा है। उसे ये रफ्तार अलग से तेल-पानी देकर आई लगती है। बिना कोई काम शुरू किए ही अंबानी भाई जैसे लोग बाजार से हजारों करोड़ जुटा लेते हैं।
अब बात ये कि इस व्यवस्था पर सवाल उठाने की वजह क्या है। जब दुनिया के सारे देशों की तरक्की का रास्ता यही है। हम हमेशा कहते हैं कि चीन 10 प्रतिशत की विकास दर पा रहा है और हमें 10 प्रतिशत की तरक्की की रफ्तार के लिए जरूरी है कि हमारे बाजार में ढेर सारा पैसा आए और कंपनियों की तेजी की गवाही देने वाले सूचकांक सेंसेक्स-निफ्टी बस बढ़ते ही जाएं। लेकिन, अगर चीन की तरक्की की बात करें तो, उसकी वजह साफ दिखती है। चीन के बनाए सामान दुनिया में ऐसे बिक रहे हैं कि उनमें खराबी की खबरें बार-बार आने के बाद भी उससे कोई नाता नहीं तोड़ पा रहा। भारत, जापान जैसे देशों की तरक्की की कमाई में से करीब 25 प्रतिशत चीन इसी वजह से झटक ले जा रहा है। हम आईटी, बीपीओ सेक्टर को छोड़ दें तो, जरा याद कर बताइए हमारी कौन सी कंपनी का प्रोडक्ट पूरी दुनिया में धड़ल्ले से बिक रहा है। अब सवाल ये कि इतने बड़े-बड़े विद्वान इस सबकी चिंता के लिए लगे हैं तो, मैं क्यों इसकी चिंता में बौरा रहा हूं। वजह ये कि देश की तरक्की में मैं भी शामिल हूं। मैं एक आम भारतीय हूं। और, मैं भी निवेशक बनना चाहता हूं, डीमैट अकाउंट खोलना चाहता हूं।

3 comments:

  1. बौराया है बाजार - देश। चलिये कम से कम आप तो उनमें नहीं हैं। डीमैट खाता खोलने के पहले और सोच लीजियेगा।
    सही प्रगति का ब्लूप्रिण्ट क्या है?

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  2. पढ़कर अच्छा लगा.

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  3. हर्ष भाई
    हमारा जीवन अब बाजार के हाथ में जा चुका है. अभी बाजार हमें डरा रहा है. हम डर रहे हैं. पर आप जानते हैं कि यह जो आम आदमी नम का शै है वो बहुत दिनों तक डरता नहीं है. थोड़े दिन डरता है फिर उसे ही डराने लगता है जो उसे डराता है. बाजार के डरने की शुरुआत भी हो ही गई है. वह भिन्न-भिन्न रूपों में हम देख भी रहे हैं.

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