अभी जॉन अब्राहम और आयशा टाकिया की एक फिल्म आई है नो स्मोकिंग। फिल्म में जॉन अब्राहम को जबरदस्त सिगरेटबाज दिखाया गया है। जिसकी कोई भी बात सिगरेट के बिना पूरी नहीं होती। फिल्म का मकसद सिगरेट के खिलाफ मुहिम में शामिल होना है। फिल्म के विज्ञापन में भी वैधानिक चेतावनी दी गई है कि सिगरेट पीना कान, उंगली, परिवार, दिमाग और आत्मा के लिए नुकसान देह है।
फिल्म की नसीहत कितने लोगों को समझ में आई होगी ये पता नहीं। लेकिन, तिरुवनंतपुरम के कॉलेज की लड़कियों के दिखाए रास्ते पर अगर दूसरी लड़कियां भी चल पड़ी तो, सिगरेट के धुंए में जिंदगी का मजा तलाशने वालों को जिंदगी अकेले ही बितानी पड़ेगी। तिरुवनंतपुरम के सेंट थेरस वूमेन्स कॉलेज की सभी लड़कियों ने रविवार को ये शपथ ली कि वो किसी सिगरट पीने वाले से शादी नहीं करेंगी।
साफ है कि 1,500 सिगरेट न पीने वाले लड़के ही यहां की लड़कियों से शादी कर पाएंगे। शपथ भी सुनेंगे तो, सिगरेट पीने वालों की तो आत्मा ही कांप जाएगी। प्रसिद्ध गायक येशुदास ने ये शपथ दिलाई। लड़कियों ने शपथ दिलाई कि सिगरेट पीने वाले शैतान हैं। उनसे मानवता को बड़ा खतरा है। इसलिए हम ऐसे लोगों के साथ अपनी जिंदगी नहीं जोड़ेंगे।
सेंट थेरस कॉलेज की प्रिंसिपल को जब एक एनजीओ ने इसके लिए संपर्क किया तो, समाज में सिगरेट पीने वालों को एक कड़ा संदेश देने के लिए वो मान गईं। और, अच्छी बात ये रही कि सभी 1,500 लड़कियां इसमें उत्साह से शामिल हुईं। अब अगर इन लड़कियों का रास्ता कुछ और लड़कियों को पसंद आ गया तो, लड़कों को कुछ और ही रास्ता तलाशना होगा।
फिल्म की नसीहत कितने लोगों को समझ में आई होगी ये पता नहीं। लेकिन, तिरुवनंतपुरम के कॉलेज की लड़कियों के दिखाए रास्ते पर अगर दूसरी लड़कियां भी चल पड़ी तो, सिगरेट के धुंए में जिंदगी का मजा तलाशने वालों को जिंदगी अकेले ही बितानी पड़ेगी। तिरुवनंतपुरम के सेंट थेरस वूमेन्स कॉलेज की सभी लड़कियों ने रविवार को ये शपथ ली कि वो किसी सिगरट पीने वाले से शादी नहीं करेंगी।
साफ है कि 1,500 सिगरेट न पीने वाले लड़के ही यहां की लड़कियों से शादी कर पाएंगे। शपथ भी सुनेंगे तो, सिगरेट पीने वालों की तो आत्मा ही कांप जाएगी। प्रसिद्ध गायक येशुदास ने ये शपथ दिलाई। लड़कियों ने शपथ दिलाई कि सिगरेट पीने वाले शैतान हैं। उनसे मानवता को बड़ा खतरा है। इसलिए हम ऐसे लोगों के साथ अपनी जिंदगी नहीं जोड़ेंगे।
सेंट थेरस कॉलेज की प्रिंसिपल को जब एक एनजीओ ने इसके लिए संपर्क किया तो, समाज में सिगरेट पीने वालों को एक कड़ा संदेश देने के लिए वो मान गईं। और, अच्छी बात ये रही कि सभी 1,500 लड़कियां इसमें उत्साह से शामिल हुईं। अब अगर इन लड़कियों का रास्ता कुछ और लड़कियों को पसंद आ गया तो, लड़कों को कुछ और ही रास्ता तलाशना होगा।
बड़ा अच्छा किया लड़कियों नें। व्यापक सामाजिक जागरण आज कल कम हो गये हैं। इससे ही शुरुआत हो। दहेज के खिलाफ भी हो।
ReplyDeleteबंधु
ReplyDeleteजो शादी के बाद पीना शुरू करेंगे....उनके बारे में भी कुछ गहन चिंतन दें....
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ReplyDeleteबोधिसत्वजी
ReplyDeleteअब मैं क्या कहूं। जमाना बदल चुका है। तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। गलत आदतें शादीशुदा को फिर से कुंआरों सा जीवन जीने को मजबूर कर सकती हैं। आपकी मेलआईडी आपके प्रोफाइल पर नहीं दिखी, इसलिए यहां लिख रहां हूं।
भई वाह!
ReplyDeleteअब कह सकता हूँ क्योंकि मैंने छोड़ दी है.. :)
भई हर्ष, आपने ख़बर देर से दी वरना अपनी बल्ले-बल्ले हो जाती एक साथ 1500 ऑप्सन होते मेरे लिए... खैर अपनी-अपनी किस्मत। सिगरेट न पीकर भी एक अदद बीवी के वफादार बने हुये हैं और पीने वाले जाने कितने ... ... ... छोड़ो यार दिल न जलाओ।
ReplyDeleteचलो भैया सालों पहले ही छोड़ कर अपन ने अच्छा काम किया सो गुंजाईश है अपने लिए!!
ReplyDeleteमैने भी कुछ सालों पहले छोड़ दी है सिगरेट पीना.
ReplyDeleteइसलिये मैं भीइ सी गुट में समझा जाऊँ कि सिगरेटियों से शादी न करो... :)
वाह समीर जी ९०० चूहे खाकर बिल्ली हज को चली इसी को कहते हैं । वैसे सिगरेट छोड़ने वाले क्या यह बताएँगें कि कैसे छोड़ी ?
ReplyDeleteघुघूती बासूती
घुघूती की बात पर आप लोग गौर करें। समीर भाई, अभयजी और संजीत आप लोगों में से कोई सिगरेट छोड़ने के तरीके पर एक पोस्ट भी लिख सकते हैं।
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