Thursday, October 04, 2007

पतियों औकात में आ जाओ, पत्नियां पीट रही हैं!

पति पिट रहे हैं। सरे आम पिट रहे हैं। चौराहे पर पिट रहे हैं। शादी के मंडप में पिट रहे हैं। जयमाल के स्टेज पर पहुंचते-पहुंचते पिट रहे हैं। अपने ही बच्चे के सामने पिट रहे हैं। पत्नियां पीट रही हैं। पत्नियों के साथ वो साले भी पीट रहे हैं जो, अब तक पैर छूते थे। कोई बचाने वाला भी नहीं है। पति का परमेश्वर का दर्जा तो काफी पहले ही खत्म हो गया था। हाल के दिनों में मटुकनाथ शैली के बढ़ते प्रेमी टाइम पतियों की वजह से पति निशाने पर आ गए हैं। मटुकनाथ तो, अपनी नई-नवेली कम उम्र की प्रेमिका पाकर हीरो बन गए। दशहरे की झांकियों से लेकर टीवी स्टूडियो तक मटुकनाथ अपनी प्रेमिका के साथ रासलीला को जायज ठहरा रहे हैं। और, उनके चक्कर में जो, पति गलती से भी फंसा। पत्नी तो, गई ही, प्रेमिका के साथ सामूहिक चप्पल चटकन का अच्छा ड्रामा भी मोहल्ले वालों के साथ सबको देखने को मिल रहा है।

पिटते पति टीआरपी बढ़ाने का जरिया बन रहे हैं। आज एक निजी टीवी चैनल पर लूप में (यानी एक ही दृश्य कई बार घुमा-घुमाकर दिखाना) एक पति और उसकी प्रेमिका की पिटाई टीवी की टीआरपी बढ़ाने में आधे घंटे तक मदद कर गई। पूरा फिल्मी ड्रामा था। पति अपनी प्रेमिका के साथ प्रेम तरंगों में फंसा हुआ था कि पत्नी अपने पूरे परिवार को लेकर पति का हाल देखने आ गई। दूसरी औरत के साथ प्रेम तरंगों में पति को फंसा पाया तो, उन तरंगों से बाहर निकालने के लिए पति को पहले चप्पलों से पत्नी ने पीटा।

फिर, दूसरों को भी पति को इस प्रेमिका की प्रेत बाधा से बाहर निकालने का अवसर दे दिया। अचानक पत्नी की नजर प्रेत बाधा की जड़ पति की प्रेमिका पर पड़ी। फिर क्या था। पत्नी ने प्रेमिका के बाल खींचकर उसे घर से बाहर निकाला। और, फिर जैसे कोई ओझा भूत भगाने की कोशिश में बाल खींचता है, डंडे से पीटता है (यहां चप्पलों का अच्छा इस्तेमाल हुआ), बाल पकड़कर सिर गोल-गोल घुमाता है, वो सब पत्नी ने पति की प्रेमिका के साथ किया। शायद प्रेमिका को अपने आशिक की पत्नी के इस पौरुष (अब तक ये शब्द पुरुषों के लिए ही इस्तेमाल होता था) का पता होता तो, वो कोई दूसरा आशिक खोजना ही श्रेयस्कर समझती। पति बेचारे ने सोचा चलो प्रेमिका भी तो, उसकी साथी थी। अब वो बच गया। लेकिन, अब तक तो पत्नी रणचंडी बन चुकी थी। पति को सड़क पर पत्नी के किसी घरवाले ने पकड़ा और फिर शुरू हो गई, चप्पलों से धुनाई। इस बार पापा को पिटता हुआ तीन साल का उनका बच्चा भी देख रहा था। मम्मी ने पापा की ज्यादा पिटाई की तो, बच्चा रोने लगा तो, किसी और ने उसे गोद में ले लिया।

इन सारे दृश्यों को दिखाने के बाद टीवी चैनल ने पत्नी को धोखा देकर किसी और से प्रेम करने वाले प्रेम के महारथी मटुकनाथ से सवाल-जबाव शुरू कर दिया। वैसे मटुकनाथ के चक्कर में फंसकर पत्नी से पिटने वाले ये पहले पति नहीं थे। इससे पहले लखनऊ में दूसरा निकाह करने के लिए स्टेज पर पहुंचे पति को भी पत्नी का ऐसा ही गुस्सा झेलना पड़ा था। पत्नी समझदार थी पति की पिटाई के लिए कुछ नेताओं के साथ टीवी कैमरे वालों को भी लेकर गई थी। लखनऊ जैसा ही मामला भोपाल में भी हुआ था। तो, पतियों अब संभल जाओ, सुधर जाओ। एक पत्नी के साथ दूसरी औरतों से प्यार की पींगें बढ़ाने से अब मर्दानगी नहीं बढ़ती, सिर पर चप्पलें चटकने का जरिया बन जाती हैं। पत्नियों को अब परमेश्वर के आशीर्वाद की जरूरत नहीं है। पत्नियों को अब सिर्फ पति चाहिए। ऐसा पति जो, अपनी पत्नी के अलावा किसी और को परमेश्वर बनकर आशीर्वाद देने की कोशिश न कर रहा हो। तो, पतियों विकल्प खुला हुआ है। देखिए टीवी के लिए अच्छी टीआरपी का जरिया अगला कौना सा पति और उसकी प्रेमिका बनती है।

5 comments:

  1. डरा रहे हैं कि समाचार सुना रहे हैं?

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  2. ये मटुकनाथ की बात क्या/क्यों कर रहे हैं? आपके घर खैरियत है न?! :)

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  3. आप अपने ही किसी प्रोग्राम का सस्पेंसिव अंदाज में प्रचार तो नहीं कर रहे? अगर ऐसा है तो बताइए किस चैनल पर, किस दिन और किस वक़्त देखा जाए? हम इंतज़ार करेंगे.

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  4. जी, लिखा तो आपने बहुत अच्छा है।
    लेकिन...
    लेकिन...
    लेकिन...
    ज़रा सोचिए...
    वो कंवारे जो अभी तक शादी का लड्डू नहीं खा पाए हैं... उन्हें आपका ये आर्किकल डरा भी सकता है... उन कंवारों का क्या होगा, जो भेंगे हैं... जो अपनी बीवी को देख रहे होंगे लेकिन system error की वजह से निगाहें कहीं और होंगी... वो तो शादी के ख्याल से भी दूर भागेंगे...
    पत्नियों के बढ़ते हौसले पर उन्हें मुबारकबाद... और बेचारे पतियों को मेरी सहानुभूति।

    disclaimer : इससे ये ना समझा जाए कि मैं आशिक मिजाज पतियों की वकालत कर रहा हूं।

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  5. Corporate world type society me ab patniyan jyada maza le rahi hain.bewafai aur aish....

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