Wednesday, October 10, 2007

सब कुछ विदेशी मांगता है!

मुंबई को शंघाई बनाने का मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख का सपना अब तक पूरा नहीं हो सका है। लेकिन, महाराष्ट्र में ज्यादातर योजनाएं विदेशों की ही तर्ज पर बन रही हैं। शायद यहां की सरकार को भरोसा हो गया है कि किसी विदेशी शहर का नाम लेकर कोई योजना शुरू करने पर उसको मीडिया में पब्लिसिटी तो मिलती है। भारत जैसे देश में जहां अभी भी विदेश घूमना ज्यादातर लोगों के लिए सबसे बड़े सपने जैसा होता है, अपील भी ज्यादा करता है।

सबसे पहले विलासराव देशमुख ने मुंबई को शंघाई बनाने का सपना दिखाया। जबसे सपना दिखाया है तब से दो बार शहर ठीक-ठाक बाढ़ जैसे हालात से गुजर चुका है। कहां तक पहुंची है ये योजना इसका कुछ ठीक-ठीक पता शायद मुख्यमंत्रीजी को भी नहीं होगा। अभी ये योजना अंटकी ही है कि अब यहां के मंदिरों का संचालन भी विदेशी धर्मस्थलों की तर्ज पर करने की तैयारी है। अखबार में छपी खबर के मुताबिक, शिरडी के साई बाबा का स्थान अब इसाई धर्म शहर वेटिकन सिटी की तरह बेहतर बनाया जाएगा। शिरडी में 300 करोड़ की बिल्ड ऑन ट्रांसफर वाली योजना सरकार ने तैयार कर रखी है। यहां पर MSRDC हवाई सड़कें (स्काईवॉक), बहुमंजिला कार पार्क, पैदल चलने वालों के लिए अलग रास्ते के साथ चौड़ी सड़कें बनाएगा। खबर के मुताबिक, ये सब कुछ वेटिकन सिटी के आधार पर ही तैयार किया जाएगा। शिरडी का ब्लूप्रिंट बनाने से पहले MSRDC के अधिकारी वेटिकन, जेरुशलम और मक्का मदीना के तीर्थस्थलों की व्यवस्था का जायजा लेंगे।

मंदिर ही नहीं, मुंबई की ट्रैफिक व्यवस्था लंदन मॉडल पर चलाने की तैयारी हो रही है। लंदन की ही तरह किसी प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए MMRDA लाइनलाइन रोड प्लान तैयार कर रही है। करीब 200 किलोमीटर लंबी कुल मिलाकर तीन लाइफलाइन रोड बनाई जाएगी। प्लान के मुताबिक, पहली 60 किलोमीटर लंबी लाइफलाइन रोड नरीमन प्वाइंट से वर्ली और बांद्रा होते हुए वसई तक जाएगी। दूसरी 65 किलोमीटर लंबी लाइफलाइन रोड मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक से मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे के जरिए करजत तक जाएगी। और, तीसरी 60 किलोमीटर लंबी आउटर लाइफलाइन रिंग रोड करजत और वसई-विरार को जोड़ेगी।
मामला सिर्फ मंदिर और ट्रांसपोर्टेशन का ही नहीं है। मुंबई की पुलिस को भी विदेशी तर्ज पर ज्यादा चाक चौबंद करने की तैयारी है। महाराष्ट्र के एक मंत्री चाहते हैं कि मुंबई पुलिस शिकागो पुलिस की तर्ज पर काम करे। वो कह रहे हैं कि मुंबई पुलिस अधिकारियों के पास लैपटॉप पर माफिया-बदमाशों की फोटो हो। जो, पूरी तरह से नेटवर्क से कनेक्टेड होगा। पुलिस टीम को हेलीकॉप्टर दिए जाएं, रात में देखने वाले कैमरे दिए जाएं। गाड़ियों की स्पीड जांचने वाली मशीन हर दूसरे चौराहे पर होगी।

अब मंत्रीजी को कौन बताए कि शिकागो में अपराध करने के तरीके और मुंबई में अपराध करने के तरीके में काफी फर्क है। इसके अलावा मुंबई में बहुत बड़े माफियाओं को छोड़कर मोबाइल के अलावा शायद ही कोई अपराधी अत्याधुनिक सुविधाओं का इस्तेमाल करता हो। रात के अंधेरे में देखने वाले कैमरे के साथ हेलीकॉप्टर से पुलिस वाले क्या किसी फिल्मी माफिया से जंग लड़ेंगे। शिरडी की व्यवस्था बेहतर करने, मुंबई की सड़कों को सुधारने और पुलिस को अत्याधुनिक बनाने पर किसी को कोई ऐतराज नहीं है। लेकिन, क्या सारे के सारे मॉडल विदेशों में ही मिलते हैं। यही मुंबई पुलिस है जिसने थोड़ी सी अत्याधुनिक सुविधाओं, असलहों और गाड़ियों के साथ माफियाओं को मार भगाया। देश में ही तिरुपति ट्रस्ट की व्यवस्था का उदाहरण कहीं भी कारगर हो सकता है। दिल्ली में पिछले 5-7 सालों में बनी रेड सिग्नल फ्री सड़कें और एक दूसरे को जोड़ते प्लाईओवर मुंबई की ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर करने का अच्छा उदाहरण हो सकते हैं। लेकिन, शायद महाराष्ट्र को कोई भी देसी प्लान (उदाहरण) समझ में नहीं आता जब तक प्लान के साथ लंदन, शंघाई या शिकागो न जुड़ा हो।

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