कई बार
बेईमान दरोगा बेहद ईमानदारी से ही शुरुआत करता है। जिस इलाके में दरोगा की
पोस्टिंग होती है, उस इलाके के सारे स्थापित गुंडों, बदमाशों, भ्रष्टाचारियों पर
नकेल डाल देता है। फिर दरोगा धीरे-धीरे अपनी तय शर्तों पर गुंडे, बदमाश, भ्रष्टाचारी
तैयार करता है। और इस प्रक्रिया में लंबे समय तक उस दरोगा के जलवे की चर्चा चहुं
ओर हो रही होती है। आम आदमी पार्टी भी राजनीति में उसी दरोगा की तरह व्यवहार करती
नजर आ रही है। संसदीय व्यवस्था और खासकर सांसद, विधायक के भ्रष्टाचार, काम न करने
से ऊबी जनता को आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक पार्टियों
में पुष्पित-पलल्वित हो रहे परिवारवाद, भ्रष्टाचार पर निशाना लगाना गजब का पसंद
आया। अरविंद केजरीवाल ने चिल्लाकर इस तरह से हमला किया कि बरसों से राजनीति कर रही
पार्टियों को चार कदम पीछे हटना पड़ गया। लंबे समय में राजनीति कर रही पार्टियों
में ढेर सारी घर कर गई कमियों की वजह से पार्टियों को चार कदम पीछे हटना पड़ा।
लेकिन, ये चार कदम पीछे हटना उनके लिए भारी पड़ गया। इसी दौरान अरविंद केजरीवाल ने
बड़े सलीके से राजनीति के हर अच्छे-बुरे का प्रमाणपत्र देने का अधिकार हथिया लिया।
इस कदर कि अरविंद केजरीवाल के प्रमाणपत्र के आधार पर ही अच्छा-बुरा तय होने लगा। और
इस अधिकार के आधार पर अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के हर नेता में एक विशेष भाव
उत्पन्न हो गया। वो भाव था कि पहले से चली आ रही संसदीय परंपरा को ध्वस्त करके ही
राजनीति में अपना नया ब्रांड चमकाकर रखा जा सकता है।
एक
महीने के अंदर शीला दीक्षित को जेल भेजने के दावे से इसकी शुरुआत हुई थी। इसकी
शुरुआत देश के हर उद्योगपति खासकर अंबानी को चोर बताकर हुई थी। और इसकी परिणति
कहां तक पहुंच गई कि संसद की सुरक्षा भी आम आदमी पार्टी के सांसद को मजाक लग गई। चुनाव
के नजदीक खड़े राज्य पंजाब से चुनकर आए सांसद भगवंत मान ने अपने मोबाइल के जरिए
संसद के अंदर का भी फेसबुक लाइव कर दिया। परंपरा ध्वस्त करके आम से खास बनी पार्टी
के सांसद पहले तो कुतर्कों के जरिए फेसबुक लाइव को भी सही बताने की कोशिश करते
रहे। खुद को पारंपरिक राजनीति का पीड़ित साबित करने की कोशिश करते रहे। जब लगा कि
अब मामला फंस गया है, तो माफी मांग ली। हालांकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। और
लोकसभा अध्यक्ष ने 3 अगस्त तक उन्हें संसद में आने से रोक दिया है। एक समिति बन गई
है, जो इस मामले पर अपनी रिपोर्ट इसके पहले पेश करेगी। लेकिन, सबकुछ ध्वस्तकर अपने
नियम कानून बनाने की कोशिश में लगे अरविंद केजरीवाल की पार्टी के सांसद और उनकी
पूरी पार्टी अभी भी इसमें बहुत कुछ गलत नहीं देख पा रही है। कॉमेडी करते सांसद बने
भगवंत मान कह रहे हैं वो तो अपने क्षेत्र की जनता को ये दिखाना चाहते थे कि संसद
की कार्यवाही कैसे चलती है। और कितना मुश्किल होता है एक सांसद के लिए अपने
क्षेत्र के लिए सवाल पूछना। भगवंत मान की पार्टी के ही सांसद कह रहे हैं कि भगवंतशराब पीकर आते हैं, जिससे इतनी बदबू आती है कि उनके बगल बैठना मुश्किल है। सांसद
हरिंदर खालसा ने लोकसभा अध्यक्ष से निवेदन किया है कि उनकी सीट बदल दी जाए। लेकिन,
भगवंत मान को दोष देना कम ठीक रहेगा। क्योंकि, भगवंत तो कॉमेडी करते-करते विकल्प
की तलाश में निकले अरविंद को पंजाब में मिल गए। ठीक वैसे ही जैसे दिल्ली में
सोमनाथ भारती मिल गए। वही सोमनाथ भारती जो गलत हरकतों के कारण घर से लेकर अरविंद
की सरकार तक से बाहर हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री पर सवाल उठाना तो
सबको याद ही होगा। गुजरात से लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के बताने के बाद भी अरविंद
और उनके सिपहसालारों को भरोसा नहीं है कि नरेंद्र मोदी को कोई डिग्री मिली भी है। ये थर्ड डिग्री कीराजनीति का शानदार उदाहरण था। मोदी के बराबर खड़े होने की अरविंद की इच्छा इस कदर
बलवती है कि गुजरात के ऊना में दलितों पर अत्याचार के मामले में वो एक ऐसे व्यक्तिसे मिलने चले गए, जो एक पुलिस वाले की हत्या का आरोपी है। संसदीय सचिवों के मामले
में सबको गलत साबित करके खुद को पीड़ित साबित करने में भी आम आदमी पार्टी लगी ही
है। किसी भी अपराध में फंसने वाले इस पार्टी के विधायकों पर सीधे मोदी कार्रवाई
करवा रहे हैं, इसे भी साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है अरविंद की पार्टी। मोदी
को अपनी ब्रांडिंग-पैकेजिंग वाला नेता कहकर खुद को हमेशा कम संसाधनों की वजह से इस
दौड़ में पिछड़ता बताने वाली पार्टी को अब दिल्ली की सरकार और खजाना भी मिल गया
है। इसलिए विज्ञापनों से अपनी छवि चमकाने की सारी कमी पूरी हो रही है। कहां से चले
कहां के लिए और कहां पहुंच गए की राजनीति साबित करते दिख रहे हैं अरविंद केजरीवाल
और उनकी आम आदमी पार्टी।