Friday, July 22, 2016

दलित-स्त्री विमर्श का स्वर्णकाल!

न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह
12 साल की है ये बच्ची। लेकिन, दलित नहीं है। किसी राजनीतिक दल के समर्थक भी इसके पीछे नहीं हैं। इसके पिता दयाशंकर सिंह भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष थे। एक शर्मनाक बयान दिया। उस पर तय से ज्यादा प्रतिक्रिया हुई। संसद भी चल रही थी। मोदी के गुजरात में दलितों पर कुछ अत्याचार की घटनाएं आ रही थीं। मामला दलित विमर्श के लिए चकाचक टाइप का था। उस पर महिला विमर्श भी जुड़ा, तो चकाचक से भी आगे चमत्कारिक टाइप की विमर्श की जमीन तैयार हो गई। सारे महान बुद्धिजीवी मायावती की तुलना भर से आहत हैं। देश उबल रहा है। दलित-स्त्री विमर्श अपने स्वर्ण काल तक पहुंच गया है। इस दलित-स्त्री विमर्श के स्वर्णकाल में एक 12 साल की बच्ची को डॉक्टर के पास पहुंचा दिया। लखनऊ के हजरतगंज से लेकर देश भर से इस बच्ची को बसपा कार्यकर्ता पेश करने को कह रहे हैं। दयाशंकर की किसी भी राजनीति में इसका इकन्नी का भी योगदान नहीं है। इस बच्ची ने कभी किसी के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं की है। Mayawati मायावती के बाद बसपा में अब अकेले बचे बड़े नेता की अगुवाई में दयाशंकर की पत्नी और बेटी को बसपा कार्यकर्ता मांग रहे थे। दयाशंकर सिंह की पत्नी Swati Singh स्वाति सिंह का कहना है कि बसपा के लोग उनके परिवार का मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं। वो डरी हैं। सुरक्षा मांग रही हैं। वो कह रही हैं कि मायावती के खिलाफ FIR कराएंगी। दलित-स्त्री विमर्श वालों को पता नहीं जरा भी शर्म आ रही है या वो खुश हैं कि चलो अब हम दयाशंकर की पत्नी-बेटी को जी भरकर अपमानित होता देख सके। बहनजी के अपमान का बदला पूरा हुआ। वो बच्ची कह रही है कि नसीम अंकल मुझे पेश होने के लिए कहां आना है, बता दीजिए। पता नहीं इस पर हम समाज के तौर पर या फिर राजनीति के तौर पर कैसे प्रतिक्रिया देंगे। दिक्कत तो ये भी है कि यूपी का चुनाव नजदीक है। भला कौन दल साहस दिखाएगा कि Dayashankar Singh दयाशंकर की बेटी के अधिकारों पर भी बात कर सके। इस देश का दलित-स्त्री विमर्श यहां तक पहुंच गया है। इसके लिए समाज के ठेकेदारों को बधाई देनी चाहिए। बाबा साहब को विनम्र श्रद्धांजलि। पता नहीं वो ऐसे ही शोषित समाज का बदला लेना चाहते थे या इससे कुछ कम ज्यादा। ये सब मैं नहीं तय कर सकता। मैं तो न दलित हूं, न स्त्री। मेरी तो और सलीके से बत्ती लगा दी जाएगी। यही आज की राजनीति और समाज की सच्चाई है।

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