शाह
फैजल Shah Faesal की ताजा चिट्ठी मुझे अवॉर्ड वापसी के समय #मुनव्वरराणा के टीवी पर सम्मान लौटाने की याद दिलाती है। हालांकि, मैं शाह और राणा की
तुलना नहीं कर रहा हूं। क्योंकि, राणा अपनी जिंदगी में अपने हुनर से सब हासिल कर चुके हैं और शाह को
अभी अपना हुनर बहुत दिखाना बाकी है। शाह की चिट्ठी का दर्द जायज है। लेकिन, इन दोनों को एक साथ
रखना मुझे इसलिए जरूरी लगा कि मुसलमान पर कितना दबाव है #नरेंद्र_मोदी सरकार के खिलाफ कुछ
तो करने का। जिन्होंने भी शाह और Burhan Wani #बुरहान की तुलना की। क्या
गलत किया? यही
लिखा ना कि एक के पिता को आतंकवादियों ने मार डाला वो, आज भारत की सबसे ऊंची
सेवा का अधिकारी है और दूसरा आतंकवादी। शाह का दर्द अपनी जगह लेकिन, मुसलमानों का, किसी भी मौके पर
अपने चमकते चेहरे को दबाव में धकेलना, कहां तक जायज। मुनव्वर राणा ने अपने शुभचिंतकों को बताया कि मुल्ले
पीछे पड़े हैं कि सम्मान वापस करो। खबरें बता रही हैं कि फैजल को अपना फोन बंद करना पड़ गया है। किनकी वजह से। सरकार की वजह से, हिंदुओं की वजह से या मुसलमानों की वजह से। इसकी जानकारी भी फैजल दे देते तो, काफी कुछ साफ हो जाता। कहीं इस चिट्ठी को आधार बनाकर घाटी में शाह फैजल के पोस्टर लगाकर अलगाववादियों ने नौजवानों को भड़काना शुरू कर दिया तो, शाह फैजल क्या कहेंगे या कुछ कहेंगे ही नहीं। फिलहाल कश्मीर घाटी में बहुत सी जगहों पर कर्फ्यू जारी है।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
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