गुजरात सचमुच इस देश का अनूठा प्रदेश है। तरक्की गुजरातियों के स्वभाव में है। और, ये इस धरती का ही कमाल है कि बारूद के ढेर पर बैठने का अहसास होने के बाद भी यहां के कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा है। गुजरातियों की इसी नब्ज को नरेंद्र मोदी ने पकड़ लिया है। इसका अहसास मुझे और मजबूती से तब हुआ जब मैं अहमदाबाद धमाकों के बाद देर रात वहां पहुंचा। रात के करीब एक बजे हम एयरपोर्ट से निकलकर होटल के लिए जा रहे थे तो, मोदी का काफिला शहर से मणिनगर की ओर जा रहा था।
सबसे ज्यादा धमाके मणिनगर में ही हुए हैं जो, खुद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसभा क्षेत्र है। खैर, इतने भयानक हादसे के बाद मुझे उम्मीद थी कि इतनी रात में शायद ही सड़कों पर कोई नजर आएगा सिवाय पुलिस फोर्स के। पुलिस फोर्स तो हर जगह चौकस दिखी लेकिन, मुझे रात के एक बजे भी दो-तीन जोड़े मोटरसाइकिल पर और कई परिवार घर लौटते दिखे। फिर भी मुझे ये भरोसा था कि अगले दिन रविवार भी है और इतने बम धमाके भी हुए हैं शायद ही सड़कों पर सन्नाटे के सिवाय कुछ नहीं होगा। लेकिन, गुजरातियों ने मुझे इस बार भी झुठला दिया।
रविवार को सुबह सात बजे मैं होटल से निकला और सीधे रायपुर (पुराने शहर का संकरा बाजार जहां, शनिवार को दो धमाके हुए थे और 2 जानें गईं थीं।) बाजार पहुंचे। वहीं हमने नाश्ता किया। और, बाजार बंदी का दिन होने के बावजूद लोग बाहर सड़कों पर थे। और, जरूरी चीजों की दुकानें उस समय ही खुल गई थीं। वहां से मैं सिविल हॉस्पिटल पहुंचा तो, धमाके की जगह देखकर मेरी रूह कांप गई। धमाके से कारों, स्कूटर-मोटरसाइकिल के चीथड़े हो गए थे। लोगों का क्या हाल हुआ होगा धमाके के समय अंदाजा लगाया जा सकता है। हॉस्पिटल पर मदद करने वाले भी जमा थे। तमाशा देखने वाले थे।
शहर में धमाके की जगह पर भी ये अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा था कि यहां इतना भयानक हादसा हुआ है। नए शहर में तो गाड़ियां उसी रफ्तार से भाग रहीं थीं। सबकुछ उसी रफ्तार से चल रहा था जैसे आम दिनों में चलता है। इस रफ्तार की वजह का पता मुझे लगा जाइडस कैडिला के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज पटेल से मिलने के बाद। पंकज पटेल ने कहा- आतंकवादी देश की ग्रोथ स्टोरी ब्रेक करना चाहते हैं। और, गुजरात निशाना इसीलिए बना क्योंकि, देश की तरक्की में गुजरात सबसे अहम है। लेकिन, हम गुजराती, इन आतंकवादियों के जाल में नहीं फंसेंगे। हम आतंकवाद का जवाब गांधीजी के हथियार शांति से देंगे और दोगुनी तरक्की करके आतंक को मुंहतोड़ जवाब देंगे। वैसे ये बात मैंने गुजरात चुनाव कवरेज से लौटने के बाद भी कही थी कि गुजरात राज्य नहीं एक कॉरपोरेट हाउस की तरह चल रहा है।
पंकज ने कहा- तरक्की होगी तो, रोजगार होगा। सबकी जेब में ढेर सारा पैसा होगा और आतंकवाद नष्ट हो जाएगा। करीब-करीब ऐसी ही राय राज्य के ज्यादातर बड़े व्यापारियों की है। CII गुजरात चैंबर्स के चेयरमैन विमल अंबानी (मुकेश-अनिल अंबानी के चचेरे भाई) का कहना था कि इससे कुछेक दिनों के लिए भले निवेश पर पड़े उससे ज्यादा असर नहीं होगा। और, गुजरात इसी रफ्तार से तरक्की करता रहेगा।
अब मोदी को कोई लाख गाली दे। मोदी के गुजरात में तरक्की का जज्बा और मजबूत हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है मोदी ने विहिप और बजरंग दल को धमाकों के विरोध में रविवार को राज्य बंद की इजाजत नहीं दी। आपको याद हो तो, अमरनाथ जमीन विवाद में विहिप, बीजेपी के बंद में गुजरात शामिल नहीं था। अब ऐसे में कुछ लोगों का ये तर्क कि मोदी के गुजरात में लोगों की जान जा रही है। पता नहीं कहां रहते हैं जब देश के दूसरे राज्यों में आतंकवादी ऐसे हमले करते हैं। वैसे भी ये गुजरात की धरती है जो, गांधी, पटेल और अंबानी की धरती है। इस पर लोगों को ऐतराज हो सकता है लेकिन, मुझे लगता है कि मोदी पटेल और अंबानी के पदचिन्हों पर तो पहले भी चल रहे थे अब शायद गांधी की विरासत को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि, मोदी को अच्छे से पता है कि गांधी की शांति का रास्ता नहीं रहा तो, तरक्की के बूते गुजरात में घूम-घूमकर 36 इंच की छाती दिखाने का मौका मोदी को कैसे मिल पाएगा।
सबसे ज्यादा धमाके मणिनगर में ही हुए हैं जो, खुद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का विधानसभा क्षेत्र है। खैर, इतने भयानक हादसे के बाद मुझे उम्मीद थी कि इतनी रात में शायद ही सड़कों पर कोई नजर आएगा सिवाय पुलिस फोर्स के। पुलिस फोर्स तो हर जगह चौकस दिखी लेकिन, मुझे रात के एक बजे भी दो-तीन जोड़े मोटरसाइकिल पर और कई परिवार घर लौटते दिखे। फिर भी मुझे ये भरोसा था कि अगले दिन रविवार भी है और इतने बम धमाके भी हुए हैं शायद ही सड़कों पर सन्नाटे के सिवाय कुछ नहीं होगा। लेकिन, गुजरातियों ने मुझे इस बार भी झुठला दिया।
रविवार को सुबह सात बजे मैं होटल से निकला और सीधे रायपुर (पुराने शहर का संकरा बाजार जहां, शनिवार को दो धमाके हुए थे और 2 जानें गईं थीं।) बाजार पहुंचे। वहीं हमने नाश्ता किया। और, बाजार बंदी का दिन होने के बावजूद लोग बाहर सड़कों पर थे। और, जरूरी चीजों की दुकानें उस समय ही खुल गई थीं। वहां से मैं सिविल हॉस्पिटल पहुंचा तो, धमाके की जगह देखकर मेरी रूह कांप गई। धमाके से कारों, स्कूटर-मोटरसाइकिल के चीथड़े हो गए थे। लोगों का क्या हाल हुआ होगा धमाके के समय अंदाजा लगाया जा सकता है। हॉस्पिटल पर मदद करने वाले भी जमा थे। तमाशा देखने वाले थे।
शहर में धमाके की जगह पर भी ये अंदाजा लगाना मुश्किल हो रहा था कि यहां इतना भयानक हादसा हुआ है। नए शहर में तो गाड़ियां उसी रफ्तार से भाग रहीं थीं। सबकुछ उसी रफ्तार से चल रहा था जैसे आम दिनों में चलता है। इस रफ्तार की वजह का पता मुझे लगा जाइडस कैडिला के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज पटेल से मिलने के बाद। पंकज पटेल ने कहा- आतंकवादी देश की ग्रोथ स्टोरी ब्रेक करना चाहते हैं। और, गुजरात निशाना इसीलिए बना क्योंकि, देश की तरक्की में गुजरात सबसे अहम है। लेकिन, हम गुजराती, इन आतंकवादियों के जाल में नहीं फंसेंगे। हम आतंकवाद का जवाब गांधीजी के हथियार शांति से देंगे और दोगुनी तरक्की करके आतंक को मुंहतोड़ जवाब देंगे। वैसे ये बात मैंने गुजरात चुनाव कवरेज से लौटने के बाद भी कही थी कि गुजरात राज्य नहीं एक कॉरपोरेट हाउस की तरह चल रहा है।
पंकज ने कहा- तरक्की होगी तो, रोजगार होगा। सबकी जेब में ढेर सारा पैसा होगा और आतंकवाद नष्ट हो जाएगा। करीब-करीब ऐसी ही राय राज्य के ज्यादातर बड़े व्यापारियों की है। CII गुजरात चैंबर्स के चेयरमैन विमल अंबानी (मुकेश-अनिल अंबानी के चचेरे भाई) का कहना था कि इससे कुछेक दिनों के लिए भले निवेश पर पड़े उससे ज्यादा असर नहीं होगा। और, गुजरात इसी रफ्तार से तरक्की करता रहेगा।
अब मोदी को कोई लाख गाली दे। मोदी के गुजरात में तरक्की का जज्बा और मजबूत हुआ है। मुझे जो जानकारी मिली है मोदी ने विहिप और बजरंग दल को धमाकों के विरोध में रविवार को राज्य बंद की इजाजत नहीं दी। आपको याद हो तो, अमरनाथ जमीन विवाद में विहिप, बीजेपी के बंद में गुजरात शामिल नहीं था। अब ऐसे में कुछ लोगों का ये तर्क कि मोदी के गुजरात में लोगों की जान जा रही है। पता नहीं कहां रहते हैं जब देश के दूसरे राज्यों में आतंकवादी ऐसे हमले करते हैं। वैसे भी ये गुजरात की धरती है जो, गांधी, पटेल और अंबानी की धरती है। इस पर लोगों को ऐतराज हो सकता है लेकिन, मुझे लगता है कि मोदी पटेल और अंबानी के पदचिन्हों पर तो पहले भी चल रहे थे अब शायद गांधी की विरासत को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि, मोदी को अच्छे से पता है कि गांधी की शांति का रास्ता नहीं रहा तो, तरक्की के बूते गुजरात में घूम-घूमकर 36 इंच की छाती दिखाने का मौका मोदी को कैसे मिल पाएगा।
एकदम सही लिखा है आपने । लोगों के पास रोजगार होगा, रोटी,कपडा मकान होगा तो आतंक वाद बी खत्म होगा ही ।
ReplyDeleteगुजरात की इन्हीं उन्नतिपसंद बातों पर मुझे भी गर्व है।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
अगर गुजरात में यह सब हो रहा है तो चैनेल वालों का तो बड़ा नुकसान हो जाएगा। पैनेल डिस्कसन में थू-थू कैसे कराएंगे?
ReplyDeleteबस ऐसे ही है हम. जिसको जो कहना हो कहे.
ReplyDeleteकाश, नरेन्द्र मोदी से हमारे राजनेता कुछ सीख लेते। उम्मीद की किरण बन गए हैं मोदी।
ReplyDeleteहम सब को गुजरात और कर्णाटक के लोगों से सीख लेनी चाहिए.
ReplyDeleteबड़े जीवट वाले लोग है सब.
बड़ा ही प्रेरक लेख लिखा आपने.
सही बात है... सच में ऐसा हो रहा है तो बहुत खुशी की बात है... काश हर जगह ऐसी सोच हो !
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