Monday, July 28, 2008

31,000 फीट की ऊंचाई पर इलाहाबाद

अपना इलाहाबाद इकतीस हजार फीट की ऊंचाई पर देखा तो, मजा आ गया। वैसे तो अपना शहर, खासकर जहां अपनी पढ़ाई-लिखाई के दिन बीते हों, सबके लिए खास होता है। लेकिन, इलाहाबाद हमारे लिए इसलिए भी खास है कि जिंदगी के शुरुआती फलसफे मैंने यहीं सीखे।

मैं 28 जुलाई की सुबह सात बीस की जेट की फ्लाइट से अहमदाबाद से मुंबई आ रहा था। मुंबई और अहमदाबाद में जबरदस्त बारिश की वजह से उड़ान थोड़ी देर से उड़ी। उड़ान भरने के बाद काफी देर तक मौसम की खराबी की वजह से जहाज कुछ इस तरह चल रहा था (उड़ने में कहां ऐसा होता है) जैसे किसी गांव की सड़क पर महिंद्रा कमांडर जीप। लेकिन, थोड़ी ही देर में बाहर का दृष्य बेहद शानदार हो गया। अनाउंसमेंट हुआ – आप 31,000 फीट की ऊंचाई पर हैं। बाहर का दृश्य इतना मनलुभावन था कि मैंने अपने मोबाइल कैमरे से कुछ फोटो खींची लेकिन, इसमें वो अहसास नहीं मिल पा रहा है।

इसी बीच मैंने आगे पड़े जेट एयरवेज की इनहाउस पत्रिका jetwings उठा ली। और, उसमें मेरी नजर 5 things to do in Allahabad देखा तो, दिल खुश हो गया। पहले पेज आनंद भवन और संगम का जिक्र था।



दूसरे पेज पर जमुना किनारे के किले, अक्षयवट मंदिर के साथ चंद्रशेखर आजाद पार्क (कंपनी बाग) और इलाहाबादी चाट-पकौड़ी, मिठाई का जिक्र था। बस मैंने मोबाइल कैमरे का इस्तेमाल कर उसकी तस्वीर उतार ली।



दरअसल इलाहाबाद से कुछ समय पहले ही दिल्ली के लिए जेट की उड़ान शुरू हुई है। एक बार पहले शुरू होकर बंद गई थी। अभी इसी उड़ान से घर वाले दिल्ली और वहां से लद्दाख तक का सफर करके आए हैं। अच्छा है इलाहाबाद आगे इससे भी ज्यादा ऊंचाई पर उड़े।

6 comments:

  1. आमीन!! बहुत उंचाईयां छुए.

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  2. इलाहाबाद में बैठकर हम ऊपर देख रहे हैं। इस एहसास के साथ कि उंचाइयाँ अभी और छूनी हैं। खूबसूरत पोस्ट...

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  3. Anonymous9:25 AM

    मुझे चित्र तिरछे दिखायी पड़ रहे हैं यदि सीधे होते तो अच्छा था।
    हर्ष जी, मेरे विचार से पहली टिप्पणी स्पैम है। यह अपने वेब साईट के बारे में बता रही है। आप चाहें तो इस प्रकार की टिप्पणी न प्रकाशित करें।

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  4. Harsh ji aapko padha bhaut achha laga

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  5. Allahabad...... Meri jaan.... ishwar kare ki yeh aur uchaiya chue :-)

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  6. जितना दूर, उतना पास। दूरियां नजदीकियों का सबब बन जाती हैं।

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