क्या ये सच नहीं है कि एक बड़े पत्रकार की विधवा आपके न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी वाले घर में करीब 2 साल रही और उसको अपने साथ पत्नी की तरह रखते थे
क्या ये भी सच नहीं है कि उस महिला के साथ आपके रिश्ते खराब होना तब शुरू हुए जब आपने उसकी बेटी पर भी बुरी नजर डालनी शुरू कर दी
एक सच ये भी है कि आप बाराखंभा रोड के सूरी अपार्टमेंट में अकसर जंगल विभाग, राजबाग के एक कर्मचारी की विधवा से मिलने जाते हैं
क्या ये सच नहीं है कि एक पूर्व न्यायाधीश की बेटी आपके साथ आपके बारामूला वाले घर में करीब दो महीने रहती थी
दिल्ली के एक सिनेमाघर के मालिक के बहन के साथ क्या आपके अवैध रिश्ते नहीं थे। जब आप दिल्ली जाते हैं तो, उसके दरियागंज वाले घर में रहते हैं
क्या आपने अपनी भतीजी को करीब 6 सालों तक अपने साथ companion बनाकर रखा था
ये सवाल किसी सच का सामना शो में किसी एंकर ने किसी सेलिब्रिटी या फिर किसी आम आदमी या औरत से नहीं पूछे हैं। ये सवाल पूछे गए हैं जम्मू कश्मीर विधानसभा में PDP नेता मुजफ्फर बेग से। सवाल पूछने वाले थे नेशनल कांफ्रेंस के विधायक नाजिर अहमद गुराजी। यहां कोई पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं था। ये सवाल पब्लिक के सामने नहीं बल्कि बेहद सम्मानित विधानसभा सदस्यों के सामने पूछे जा रहे थे। न पॉलीग्राफ था न जनता का दबाव। तो, मुजफ्फर बेग ने सवालों की लिस्ट फाड़कर हवा में उड़ा दी। लेकिन, सवाल तो उठ चुके हैं हवा में तो उड़ेंगे नहीं।
लगातार तीसरे दिन जम्मू कश्मीर विधानसभा ने गिरने के पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। पहले पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने शोपियां बलात्कार मामले पर स्पीकर का ही माइक तोड़ डाला। खैर, स्पीकर ने भी महबूबा के साथ कुछ सड़कछाप लफंगों जैसी भाषा में ही बात किया था- स्पीकर ने कहा मुझे पता है कि तुम किस खेत की मूली हो। इसके दूसरे ही दिन मुजफ्फर बेग ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर 2006 के सेक्स स्कैंडल में शामिल होने का आरोप लगा दिया।
मेरा भी ये मानना है कि उमर अब्दुल्ला प्रतिभावान मुख्यमंत्री हैं। और, उनके ऊपर लगे ये आरोप बेबुनियाद हैं। लेकिन, CBI ने जो घंटे भर में ही चीते जैसी फुर्ती से बयान जारी किया कि उमर का नाम 2006 के सेक्स स्कैंडल में था ही नहीं वो, तो निश्चित तौर पर राहुल की यूथ ब्रिगेड में उमर की एंट्री का ही प्रताप था। वरा तो बहुत जरूरी मामलों में भी CBI का बयान कछुए की रफ्तार में भी आ जाए तो, बड़ी बात।
हिंदी फिल्म का एक गाना है कि हमें चलते जाना है ... बस चलते जाना। हमारे राजनेता भी कुछ उसी तर्ज पर कह रहे हैं हमें गिरते जाना है ... बस गिरते जाना ...
जम्मू कश्मीर की विधानसभा इस गिरते जाने का बस एक उदाहरण भर है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में जमकर चले जूते-चप्पल और माइक किसी के भी जेहन से धूमिल नहीं हो सकते। दूसरी विधानसभाओं में भी ऐसे हादसे आम हो चुके हैं। आंध्र प्रदेश विधानसभा में भी सीधे-सीधे मुख्यमंत्री पर पैसे लेकर प्रोजेक्ट देने का आरोप लगा था।
संसद भी इससे अछूती नहीं रही है। जनता दल यूनाइटेड के सांसद प्रभुनाथ सिंह और लालू प्रसाद के साले साधु यादव का संवाद भी किसी को भूला नहीं होगा। पैसे लेकर सवाल पूछना, काम के लिए सांसद-विधायक निधि जारी करने से पहले कमीशन दबा लेना ये सब तो अब ऐसी खबरें हो गई हैं। जिस पर अब जनता भी कान नहीं देती। वैसे जनता भी क्या कान देगी। वो भी तो नेताजी जैसा ही बनना चाहती है। और, तो और जातियों के लंबरदार खुद साबित करने में जुटे हैं कि वो नीचे गिर गए हैं, मान लो।
अब इतना गिर जाने के बाद कैसे साहस होता कि ये सांसद सच का सामना शो को बंद करा पाते। आखिर सच का सामना से पैदा हो रही गंध से ज्यादा नरक तो ये फैला ही रहे हैं। यही वजह रही होगी कि सच का सामना पर हड़काने के लिए स्टार प्लस को नोटिस जारी कर उसका सार्वजनिक प्रपंच तो रच दिया गया। लेकिन, बंद कमरे में जब बात हुई तो, सब एक ही धुन पर आंख बद कर लेट गए – हमें गिरते जाना है ... बस गिरते जाना
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
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उम्दा, बेहद उम्दा लेख… (वैसे उन सवालों के जवाब का इन्तज़ार रहेगा, कभी तो मिलेंगे ही) :) यह गिरावट "ऊपर से ही" नीचे तक पहुँची है… :) यदि वक्त रहते "ऊपर वाले" सुधर जाते तो यह देश कहाँ का कहाँ होता… लेकिन अफ़सोस।
ReplyDeleteसंसद और विधान सभा में इतना जबरदस्त रियाल्टी शो है, फिर भी लोग फलाने का सामना और ढिमाके का स्वयंवर की तरफ भागते हैं! :)
ReplyDeleteजनाव, मैं कभी सोचता हूँ कि हम तो यह सब मेहनत करके लिखते है, इन सब बातो पर कुढ़ते है मगर क्या उस ख़ास प्रजाति की जिसकी चर्चा की जा रही है, के उन गिरे हुए लोगो पर इन बातो का क्या कोई असर होता है ?
ReplyDelete@ ज्ञानदत्त पांडे
ReplyDeleteसर दरअसल इनका किया धरा टीवी पर नहीं आता ना। नहीं तो, यही TRP चार्ट पर नंबर एक होते
@ पीसी गोदियाल
बहुत असर होता तो, ये होता ही क्यों। लेकिन, अगर हमने भी लिखना सोचना छोड़ दिया तो, फिर भगवान भी नहीं बचा पाएगा
हमें गिरते जाना है ... बस गिरते जाना .उम्दा.
ReplyDeleteकुछ भी हो अपनी यूपी विधानसभा का मुकाबला कोई नहीं कर सकता, जब पहली बार मुलायम सिंह और मायावती की दुश्मनी दुनिया के सामने आई थी। महबूबा ने माइक उठाया तो लेकिन कुछ कर नहीं पायीं. इन्हें हमारे यूपी के कुछ विधायकों से क्रैश कोर्स लेना चाहिए था.. उसके बाद स्पीकर महोदय सपने में भी महबूबा को देखकर डर जाते.
ReplyDeleteसवाल वाकई धारधार थे ...हम तो दर गए शुरू में पढ़कर की आप किससे पंगा ले रहे है ?टी वी पर स्पीकर पंगा लेते दिख रहे थे ...आम स्पीकर की तरह शांत नहीं थे .पर क्या फुसफुसाए वो क्लियर नहीं हुआ था .तो भी उमर का साथ देना भारत के हित में है...चार दिन पहले उन्होंने खुलकर ब्यान दिया था जब एक छोटे बच्चे की अपनी पिता के साथ आतंकवादियों ने हत्या कर दी गयी थी .की "अब क्यों नहीं लोग सडको पे उतरते आन्दोलन करने ".यही मैडम जो आज कल स्पीकर के हेड फोन तोड़ रही है ..बटोर मुख्यमंत्री प्रभु चावला ने इनसे एक सवाल पुछा था अपने कार्यकर्म में .आप कश्मीर को भारत का हिस्सा मानती है या नहीं ?सोचिये इस पर किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री क्या जवाब देगा ....ये गोल मोल कर गयी...तो इस देश का भला कौन करेगा...अभी उमर को सपोर्ट देने की जरुरत है ...
ReplyDeleteसही है.. इसी बहाने सब राज़ खुल रहे हैं.. और होने दीजिये.. इसके बाद कुछ अच्छा आएगा.. ज़रूर!
ReplyDeleteबेहद उम्दा लेख.सही है.
ReplyDeleteबहुत तगड़ी होड़ लगी है जी... गिरते जाने की...।
ReplyDeleteअभी एक सपा नेता ने बनारस के ए.डी.एम. को उनके कार्यालय में घुसकर बल भर पीट दिया, और सीना चौड़ा किए निकल लिया। बगल में ही मीटिंग कर रहे डी.एम.साहब कुछ नहीं कर सके। सारे अधिकारी आहत हैं। काम रोककर हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन गिरफ़्तारी तक नहीं हो पायी है।
सुना है अब उस नेता को बचाने में सपा के साथ-साथ बसपा के बाहुबली भी लगे हैं। राजनेताओं की यह एकता बेजोड़ है।
देख कर हालत वहाँ की, ये बच्चा नेता बनने से घबराता है,,,हद है!!
ReplyDeleteअरे मैंने तो ध्यान ही नहीं दिया की CBI (Congress Investigation ब्यूरो ) ने चाँद घंटों मैं clean-chit दे दी |
ReplyDeleteजम्मू-कश्मीर की बुरी हालत की असली जिम्मेदारी इन लालची और चरित्रहीन नेताओं की ही है.
ReplyDeleteलोग कहते होंगे-गिरने का मजा ही कुछ और है।
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