सड़क किनारे या किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई भी धार्मिक स्थल न बने। मतलब ये कि ऐसी किसी जगह पर मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा न बने जो, रास्ते के बीच में हो। आम लोगों के लिए परेशानी की वजह बन जाए। सुप्रीमकोर्ट ने आज ये फैसला सुनाया है। अदालत ने सरकार से चार हफ्ते में इस पर हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
ये फैसला आया है गुजरात हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुनवाई के दौरान। गुजरात हाईकोर्ट ने रास्ते में सार्वजनिक स्थल पर लोगों के लिए परेशानी की वजह बनने वाले सभी अवैध मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च तोड़ने का आदेश दिया है। जिसे लागू कराने की वजह से नरेंद्र मोदी विश्व हिंदु परिषद और अपने ही सहयोगियों के निशाने पर हैं।
लेकिन, आज सुप्रीमकोर्ट का जो फैसला आया है उसमें अभी के ऐसे स्थलों को छूट दे दी गई है। सिर्फ इस दलील की वजह से कि अभी अवैध धार्मिक स्थलों को तोड़ने में कानून व्यवस्था की दिक्कत हो सकती है। लेकिन, मुझे लगता है कि इतने अच्छे फैसले में बस यही खामी रह गई है। क्योंकि, देश के लगभग हर शहर में ऐसे मंदिर, मस्जिद या दूसरे धार्मिक स्थल कही सड़क के बीच में तो, कहीं बस अड्डे के पास या फिर रेलवे पटरी के बगल में दिख जाते हैं।
हमारे शहर इलाहाबाद के सबसे संपन्न बाजार सिविल लाइन्स में ही सड़क पर ही एक मस्जिद है जहां सड़क पर नमाज अता की जाती है। और, इसकी वजह से उतने समय के लिए सड़क का वो हिस्सा बंद कर दिया जाता है। अब अगर सभी अवैध धार्मिक स्थलों को तोड़ा जाएगा बिना किसी भेदभाव के तो, फिर कानून व्यवस्था का हाल खराब क्यों होगा। और, होगा तो भई अवैध कामों को ठीक करने के लिए ही तो कानून है ना। इस्तेमाल करो उसका। जब मोदी अवैध मंदिर तुड़वाने का खतरा ले सकते हैं तो, फिर दिक्कत किसे है ...
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...
दरअसल हमारे यहां ये सारे मामले कुछ अजीब शक्ल अख़्तियार कर लेते है...
ReplyDeleteआपने बिलकुल सही कहा है अवैध रूप से बने सारे मंदिर और मस्जिद को तोड़ देने चाहिए खासकर जो सड़क के बीच में आते हैं. मोदी ने सही किया है गुजरात में अवैध मंदिर और मस्जिद तोड़कर. लखनऊ शहर में चारबाग से ऐशबाग स्टेशन जाने वाली रोड पर सड़क के बीचोबीच एक मंदिर है जिसकी वजह से काफी जाम लग जाता है. इसी तरह कानपूर की सबसे अच्छी सड़क माल रोड पर मरे कंपनी पुल के पास सड़क के बीचोबीच एक मंदिर है जिसकी वजह से काफी जाम लगा रहता है.
ReplyDeleteवैसे इस फैसले से हिन्दुओं भाइयों को ज़यादा परेशानी होगी क्योंकि ९० प्रतिशत मंदिर सड़क के किनारे अवैध रूप से बने हुए है. जबकि शायद ही कोई मस्जिद अवैध रूप से जगह घेरकर बनाई गयी हो. यही वजह है जब मोदी ने अवैध धार्मिक स्थलों के खिलाफ अभियान चलाया तो उसकी जद में ज्यादातर मंदिर ही आये और संघ परिवार ने विरोध करना शुरू कर दिया जबकि इस तरह के अभियान से मुस्लिमों को कोई आपत्ति नहीं है. मस्जिद जगह खरीदकर बनाई जाती है और वो नगर निगम या दूसरी सरकारी संस्थाओं में रजिस्टर्ड होती है. जबकि मंदिर के मामले में ऐसा ज्यादातर नहीं होता है.
आपने कहा कि इलाहाबाद के सबसे संपन्न बाजार सिविल लाइन्स में ही सड़क पर ही एक मस्जिद है जहां सड़क पर नमाज अता की जाती है। और, इसकी वजह से उतने समय के लिए सड़क का वो हिस्सा बंद कर दिया जाता है। तो मैं बताना चाहता हूँ कि ऐसा सिर्फ हफ्ते में एक बात शुक्रवार वाले दिन होता है वो भी केवल २ या तीन घंटे के लिए. मैंने भी वो मस्जिद देखी है. और वो मस्जिद अवैध जगह पर नहीं बनी है बाकायदा रजिस्टर्ड है और गृहकर आदि सारे टैक्स अदा किये जाते हैं.
ReplyDelete@ खुर्शीद
ReplyDeleteसिविल लाइंस इलाहाबाद की मस्जिद के बारे में जानकारी बढ़ाने के लिए शुक्रिया। लेकिन, मैंने उसे एक उदाहरण भर लिया था। मैं तो, खुद ही ये कह रहा हूं कि सारे अवैध मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च सब टूटने चाहिए। लेकिन, आपकी तल्ख टिप्पणी पढ़कर लग रहा है कि अदालत इसी गिनती के डर से ही अभी के अवैध धार्मिक स्थलों के खिलाफ फैसला सुनाने से डर रहा है। मैं तो यही मानता हूं कि 100 अवैध धार्मिक स्थलों में से 99 मंदिर हो और 1 मस्जिद हों तो भी और 99 मस्जिद और 1 मंदिर हों तो भी तोड़े ही जाने चाहिए। ये गिनती भी सिर्फ संदर्भ के लिए लिख रहा हूं। अवैध धार्मिक स्थलों की गिनती का कोई आंकड़ा कम से कम मेरे पास तो नहीं है।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमंदिर हो या मस्जिद...यदि रोड के बीच में है तो हटना चाहिए...बस सीधा सा फलसफा है.......
ReplyDeleteयहाँ कोई कद्दावर नेता नहीं है,यही कारण है.
ReplyDeleteमन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे मे बाँट दिया भगवान को ? धरती बाँटी ,सागर बाँटे मत बाँटो इंसान को ... जय हो जय हो ..
ReplyDeleteजब कहीं जमीन पर कब्जा करना हो तो धार्मिक स्थल बना दिया जाना अब आम सा हो चला है !
ReplyDeleteसही फैसला है बशर्ते कि इसको सही तरीके से लागू किया जाये । नये धरम स्तल बनाने पर तो तुरंत रोक लगनी चाहिये . इतना ही धर्म का प्रेम है तो पुरानों का जीर्णोध्दार करें या सुव्यवस्था लागू करने के लिये मदद करें ।
ReplyDeleteगुजरात मैं ऐसे कई अवैध मंदिर टूट भी चुके हैं | हिन्दू कतिपय मंदिर हटाने पे राजी भी ही जाएँ पर हमारे मुस्लिम भाई कभी भी मस्जिद हटाने को राजी नहीं होंगे | विरले ही ऐसे उद्धरण मिलेंगे जब कोई अवैध मस्जिद हटाई गई हो |
ReplyDelete