उत्तर
प्रदेश में अभी चुनाव आयोग ने कोई तारीख नहीं दी है। कांग्रेस और भारतीय जनता
पार्टी के तो प्रत्याशी भी तय नहीं हैं। इसलिए चुनावी हलचल जमीन पर बहुत ज्यादा
नजर नहीं आती। लेकिन, सोशल मीडिया पर सितंबर महीने से भारतीय जनता पार्टी के लिए
युद्धस्तर पर जुटने का वक्त है। और इसका आगाज खुद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अमित शाह करेंगे। 3 सितंबर को लखनऊ के राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के भीमराव
अंबेडकर ऑडीटोरियम में भारतीय जनता पार्टी सोशल मीडिया वॉलंटियर्स मीट कर रही है। एक
समय में वन बूथ ट्वेंटी यूथ का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी अब यूथ को
पकड़ने के लिए बूथ की जगह स्मार्टफोन के रास्ते पर खड़ी है। स्मार्टफोन इस्तेमाल
करने वाला कोई भी, खासकर नौजवान, छूटने न पाए। उत्तर प्रदेश में मई 2014 से आगे
बढ़ने का अमित शाह का मंत्र यही है। इसीलिए अमित शाह के हवाले से कई बार ये खबर
मीडिया में आती रही है कि विधानसभा चुनाव चाहने वाले से फेसबुक पर कम से कम 25
हजार लोग जुड़ होने चाहिए। ये उसी सोशल मीडिया मंत्र का विस्तार है। हालांकि, खुद
अमित शाह बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं से सीधे मिलने के पारंपरिक तरीके में कोई कसर
नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन, सोशल मीडिया के इस युग में शाह को अच्छे से पता है कि अपनी
बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक आसानी से पहुंचाने का सबसे आसान और प्रभावी जरिया
स्मार्टफोन है। इसीलिए उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के आईटी विभाग को साफ
निर्देश है कि स्मार्टफोन वाले नौजवान को पकड़ने की रणनीति तैयार करें। इसी की विधिवत
शुरुआत 3 सितंबर को सोशल मीडिया वॉलंटियर मीट से अमित शाह करेंगे। उत्तर प्रदेश के
चुनाव में सोशल मीडिया भारतीय जनता पार्टी के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका
अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि अभी तक नया प्रदेश अध्यक्ष आने के बाद कोई मीडिया
मीट या कार्यशाला नहीं हुई है। जबकि, सोशल मीडिया की कई कार्यशालाएं पहले ही की जा
चुकी हैं।
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प्रदेश में एक मोटे अनुमान के मुताबिक करीब डेढ़ करोड़ फेसबुक यूजर्स हैं। और
व्हाट्सएप इस्तेमाल करने वालों की संख्या करीब 5 करोड़ है। इसीलिए बीजेपी उत्तर
प्रदेश में व्हाट्सएप इस्तेमाल करने वालों को पकड़ने के ही चक्कर में है। बीजेपी
का मानना है कि ढाई करोड़ व्हाट्सएप यूजर्स हैं जो बीजेपी के साथ जुड़ सकते हैं।
इसीलिए इन्हीं ढाई करोड़ व्हाट्सएप यूजर्स के मोबाइल में कमल निशान पक्का बनाने की
योजना पर बीजेपी काम कर रही है। बीजेपी से जुड़े व्हाट्सएप समूहों और फेसबुक पेज
पर या फिर अपने ही फेसबुक अकाउंट से भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में लिखने वालों
की भी सूची तैयार की जा रही है। चाहे वो भारतीय जनता पार्टी से सीधे कार्यकर्ता के
तौर पर जुड़े हों या न जुड़े हों। 3 सितंबर को होने लखनऊ में होने वाली सोशल
मीडिया वॉलंटियर्स मीट में ऐसे लोगों को शामिल करने पर ज्यादा जोर है, जो अभी तक
बीजेपी से नहीं जुड़े हैं लेकिन, बीजेपी के पक्ष में नियमित तौर पर लिख रहे हैं। बीजेपी
आईटी विभाग के मुताबिक, करीब 8 हजार लोगों ने अभी तक सोशल मीडिया वॉलंटियर्स मीट
के लिए पंजीकरण किया है। हालांकि, कुल पांच हजार लोगों के ही कार्यक्रम में शामिल
होने की उम्मीद है। इन 5 हजार लोगों में से आधे से ज्यादा तो अभी भी बीजेपी से
किसी न किसी तरह से जुड़े हुए हैं। इसीलिए नए आने वाले लोगों को बीजेपी अपने
चुनावी अभियान में अच्छे से जोड़ने की योजना बना रही है। उत्तर प्रदेश बीजेपी आईटी
विभाग के एक नेता का कहना है कि 25 से 45 साल के बीच के ज्यादातर स्मार्टफोन यूजर
किसी राजनौतिक दल के कार्यकर्ता नहीं हैं। ऐसे लोग किसी बड़े नेता की रैली छोड़कर
राजनैतिक कार्यक्रमों में कम ही शामिल होते हैं। क्योंकि, वो अपनी नौकरी, रोजगार
में व्यस्त हैं या फिर पारिवारिक जीवन के मजे ले रहे हैं। लेकिन, फेसबुक और
व्हाट्सएप पर अगर उनको राजनीतिक रूप से जोड़ा जाए, तो वो आसानी से सक्रिय हो जाते
हैं। और पार्टी की नीतियों, केंद्र सरकार के कामों को नीचे तक ले जाने में मददगार
होते हैं।
सोशल
मीडिया के जरिए सक्रिय लोगों के अपने पक्ष में होने का बड़ा फायदा अभी हाल के
दिनों में बीजेपी को मिल चुका है। जब मुख्य धारा का मीडिया दयाशंकर सिंह के बेहूद
बयान के खिलाफ पूरी पार्टी को लानत भेजने में लगा था। लेकिन, सोशल मीडिया पर एक ही
दिन बाद दयाशंकर की बेटी और पत्नी को चेहरा बनाकर पूरा माहौल खड़ा कर दिया गया। बाद
में पीछे से बीजेपी ने भी इस अभियान को जमकर समर्थन दिया। बेटी के सम्मान में,
भाजपा मैदान में नारे के साथ बीजेपी भले सड़कों पर उतरी। लेकिन, ये नारा किसी
बीजेपी नेता के दिमाग में नहीं उपजा था। ये नारा उसी सोशल मीडिया ब्रिगेड ने उछाला
था जो, बीजेपी के लिए सोशल मीडिया पर स्वत:स्फूर्त तरीके से काम कर रही है। उसी ताकत को संगठित करने की योजना पर
अमित शाह काम कर रहे हैं।
लखनऊ
में हो रही सोशल मीडिया वॉलंटियर्स मीट की जमीन पहले ही तैयार कर ली गई थी। यूपी
बीजेपी ने काम के लिहाज से उत्तर प्रदेश को 6 क्षेत्रों में बांट रखा है। उन सभी 6
क्षेत्रों में आईटी विभाग कार्यशाला कर चुका है। ब्रज क्षेत्र में 2 कार्यशालाएं
की गईं। 10 जुलाई को प्रदेश की एक कार्यशाला भी हो चुकी है। 3 सितंबर की सोशल
मीडिया वॉलंटियर्स मीट के बाद बीजेपी प्रदेश की हर कमिश्नरी पर सोशल मीडिया
कार्यशाला कराने की योजना बना रही है। औसतन 4 जिले पर एक कमिश्नरी है। उत्तर
प्रदेश में कुल 18 कमिश्नरी हैं। साथ ही बीजेपी प्रदेश के हर विकास खंड में सोशल
मीडिया यूनिट खड़ी करने की तैयारी कर रही है। विकासखंड को बीजेपी अपने काम के
लिहाज से मंडल कहती है और प्रदेश में बीजेपी के 1500 मंडल हैं। 15 सितंबर तक
बीजेपी इन सभी मंडलों में अपनी यूनिट बनाने की कोशिश कर रही है। इसके बाद ग्राम
पंचायत तक पहुंच बनाने की कोशिश होगी। बीजेपी के रणनीतिकारों का ये भी मानना है कि
शहरों की अपेक्षा गांव में सोशल मीडिया के जरिये बनाई गई पहुंचा का ज्यादा लंबा
असर होता है। गांव में एक बार कोई सूचना लोगों तक पहुंचा दी गई, तो गांव के लोग नई
सूचना आने तक उसी आधार पर बात करते हैं। इसलिए चुनाव पूरा होने तक व्हाट्सएप और
फेसबुक के जरिये बीजेपी नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की अच्छाइयों से हर
स्मार्टफोन भर देने की योजना पर काम कर रही है। 2017 का विधानसभा चुनाव जीतने का
ये सबसे बड़ा नुस्खा है।
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