Sunday, September 18, 2016

मम्मी-पापा, उसकी गाड़ी हमारी गाड़ी से बड़ी क्यों है?

तस्वीर-JEEP
कार, एसयूवी खरीदने की इच्छा रखने वाले भारतीयों के लिए अगले दस हफ्ते बेहद रोमांचित करने वाले हैं। भारतीयों के लिए दो दर्जन से ज्यादा नई कारें, एसयूवी आ रही हैं। दरअसल नए वाले भारत में कारों की बिक्री के लिहाज से तो लगातार अच्छे दिन दिख रहे हैं। और उसमें भी बड़ी कार कंपनियों के अच्छे दिन तो और भी अच्छे हुए हैं। निसान, ह्युंदई, होंडा, टोयोटा, टाटा, फॉक्सवैगन, जैगुआर और दूसरी ढेर सारी कंपनियां 10 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक की गाड़ियां भारतीय बाजार में लाने के लिए तैयार हैं। इससे पहले मशहूर अमेरिकी जीप भारत में आ गई। ये असली जीप है। अभी तक आम भारतीय की नजर में जीप का मतलब महिंद्रा की जीप होती थी। लेकिन, ये जो नया भारत तैयार हुआ है। आई लव माई इंडिया वाला। इस इंडिया को असली जीप का बेसब्री से इंतजार था। आखिरकार वो इंतजार खत्म हुआ। लेकिन, जीप अभी जिस कीमत के साथ आई है। उसकी वजह से असली जीप का इंतजार करने वाले भारतीयों का उत्साह थोड़ा को हुआ है। 75 लाख की शुरुआती कीमत के साथ जीप खरीदने के दीवाने कम ही है। लेकिन, कंपनी को भारत में बड़ा बाजार नजर आ रहा है। और इस बाजार को पकड़ने के लिए अहमदाबाद में पहले शोरूम के साथ देश में 10 शोरूम खोलने पर कंपनी काम कर रही है। नए लॉन्च के भरोसे की सबसे बड़ी वजह ये है कि दरअसल इस नए वाले भारत को बड़ी गाड़ी पसंद है। समझते हैं कि वो और कौन सी वजहें हैं जिससे इंडिया बड़ी गाड़ी पर चढ़ने को बेताब है।

कॉम्पैक्ट एसयूवी मतलब शान का सवारी
इस समय अगर आप मारुति की विटारा ब्रीजा लेने का मन बना रहे हों, तो पहले शोरूम पर जाकर पता कर लीजिए। क्योंकि, 3 महीने से पहले आपको ये सस्ती वाली एसयूवी नहीं मिलने वाली। इसकी एक वजह ये है कि मारुति के उत्पादन पर असर पड़ा है। लेकिन, ज्यादा बड़ी वजह ये है कि इसे खरीदने वालों की कतार बहुत लंबी है। और ये कतार सिर्फ ब्रीजा पर नहीं है। इस सबसे ज्यादा बिकने वाली कॉम्पैक्ट एसयूवी ह्युंदई क्रेटा लॉन्च के बाद से 1 लाख से ज्यादा बिक चुकी है। सितंबर 2015 से जुलाई 2016 के आंकड़े बता रहे हैं कि औसत 7000 क्रेटा हर महीने बिक रही है। क्रेटा की कीमत दस लाख के ऊपर शुरू होती है। सिर्फ क्रेटा ही नहीं, ज्यादातर कॉम्पैक्ट एसयूवी ही बिक रही है। रेनो कंपनी की पूरी साख ही डस्टर ने बचा रखी है।


भारतीयों की जेब में पैसा बोल रहा है
हर भारतीय की औसत आमदनी पिछले साल के मुकाबले इस साल करीब 7.5% बढ़ गई है। 2014-15 में 86,879 से 2015-16 में 93,293 रुपये हो गई है। ये हर भारतीय की औसत आमदनी के बढ़ने का आंकड़ा है। लेकिन, वो मध्यम वर्ग को जो बड़ी कारों और एसयूवी का दीवाना हुआ जाता है, उसकी आदमनी बढ़ने की रफ्तार बहुत तेज रही है।

सस्ती ब्याज दरें
पिछले दो साल में घर कर्ज और कार कर्ज पर ब्याज दरें 1.5-2% तक घटी हैं। और इसका सीधा फायदा कार कंपनियों को हो रहा है।

देश में अच्छी सड़कों का जाल
नरेंद्र मोदी की सरकार के सबसे बेहतर काम करने वाले मंत्रियों का जिक्र होता है, तो नितिन गडकरी का चुनौती देने वाला अंदाज सबसे पहले दिख जाता है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपने लगभग हर कार्यक्रम में ये बताना नहीं भूलते कि कैसे उन्होंने प्रतिदिन सड़कों का निर्माण यूपीए के आखिरी साल के 4-5 किलोमीटर से बढ़ाकर 22 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंचा दिया है। इसकी वजह से सड़क परिवहन कई गुना बढ़ा है।

घुमंतू होता भारतीय
रेलवे ने अभी अपनी प्रीमियम ट्रेनों में किराया फ्लेक्सी सर्ज प्राइसिंग के आधार पर तय कर दिया है। और खबरें ये हैं कि इसके बाद भी आरक्षण कराने वाले बढ़े ही हैं। इसके बाद भी तय समय पर टिकट मिलना मुश्किल होता है। यही वजह है कि नया मध्यवर्ग अपनी गाड़ी उठाकर घूमने निकल लेने के अंदाज में आ गया है। इसीलिए छोटी गाड़ियों की बजाय ज्यादा जगह वाली बड़ी कार या एसयूवी शहरी भारतीय को ज्यादा पसंद आ रही है।

टीवी से बच्चों के दिमाग में घुसी CAAAAAR
टेलीविजन ने जैसे हम भारतीयों के रहने-खाने-कपड़े पहनने का तरीका बदल दिया है। वैसे ही अब हमारी कार प्रैक्टिस को भी वो बदल रहा है। और गाड़ी खरीदने के फैसले में बच्चों का मासूम सवाल, मम्मी-पापा, हमारी कार उसकी कार से बड़ी क्यों नहीं है?, काफी अहम भूमिका निभा रहा है।

अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन

कुल मिलाकर मोदी सरकार के राज में धीरे-धीरे ही सही लेकिन, अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन आते दिख रहे हैं। दुनिया भर की एजेंसियां भारत को दुनिया के अंधेरे में रोशनी की किरण बता रही हैं। इसी भरोसे भारतीय बचाए पैसे को खर्च करने का साहस जुटा पा रहा है। दरअसल ये भरोसा जगा है कि बचाया खर्च करने से मुश्किल नहीं होगी। क्योंकि, आगे इससे भी ज्यादा कमाने की उम्मीद बनी हुई है।  
(ये लेख QUINTHINDI पर छपा है।)

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