Thursday, September 15, 2016

छोटे किसानों का बड़ा भला कर सकता है GST

GST को देश के सबसे बड़े आर्थिक सुधार के तौर पर देखा जा रहा है। करों में पारदर्शिता से कर घटने और ज्यादा कर वसूली का भी अनुमान है। लेकिन, एक बड़ा खतरा बार-बार बताया जा रहा है कि इससे महंगाई शुरुआती दौर में बढ़ सकती है और उससे भी बड़ी खतरनाक स्थिति ये बताई जा रही है कि इससे किसानों की मुश्किल बढ़ सकती है। उसके पीछे भारतीय किसान संघ तर्क दे रहा है कि किसान को हर तरफ से घाटा होगा। क्योंकि, किसान अपनी उपज के लिए कम कीमत हासिल कर पाएगा। जबकि, उसे बाजार में जरूरी चीजों के लिए ज्यादा कीमत देनी होगी। भारतीय किसान संघ के इस तर्क के पीछे तथ्य ये है कि अभी कृषि जिंस से बने खाद्य उत्पादों पर कम कर है। लेकिन, जीएसटी के बाद लगभग एक जैसा कर ही लगेगा और इसकी वजह से किसानों की मुश्किल बढ़ सकती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनुषांगिक संगठन होने के नाते कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह भी भारतीय किसान संघ की बात को गंभीरता से ले रहे हैं। लेकिन, कृषि मंत्री का ये मानना है कि जीएसटी सभी के भले के लिए है। भारतीय किसान संघ ये भी चाहता है कि संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर चर्चा हो और अगर सरकार ये कर सके तो सरकार एक पंथ दो काज कर सकती है। इस चर्चा से सरकार राज्यों को और देश के लोगों को दरअसल जीएसटी के बहाने होने वाली सहूलियत से राष्ट्रीय कृषि बाजार की बात भी ठीक से कर सकती है। राष्ट्रीय कृषि बाजार ही वो योजना है, जिसके भरोसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आमदनी दोगुना करने का दावा करते दिखते हैं। लेकिन, ये भी एक कड़वी सच्चाई है कि राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना के राह की सबसे बड़ी बाधा दो राज्यों के बीच करों को लेकर होने वाली उलझन है। इसीलिए अगर सरकार जल्दी से जल्दी जीएसटी लागू कर सके, तो इसी बहाने राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना भी उतनी ही तेजी से लागू कर सकेगी।


गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के लागू होने से किसी भी तरह के उत्पाद पर कर के ऊपर कर लगने की अभी तक चली आ रही परंपरा खत्म होगी। इससे कर लगने में होने वाली पारदर्शिता से खेती-किसानी का बड़ा भला हो सकता है। खासकर अगर जीएसटी के साथ-साथ राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना भी लागू हो सके। दोनों को लागू करने में सबसे बड़ी मुश्किल राज्यों के बीच के सम्बंध, केंद्र और राज्य के सम्बंध और उससे भी आगे आसानी शब्दों में कहें, तो सम्वैधानिक संघीय ढांचे की उलझन है। अब अच्छी बात ये है कि सैद्धांतिक तौर पर संसद ने इसे कानून बनाने के लिए आगे बढ़ा दिया है। अब राज्यों में इसे मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। अच्छी बात ये है कि असम ने इसकी शुरुआत कर दी है और तेजी से दूसरे राज्य भी इसे अपनी विधानसभा में मंजूर करते दिख रहे हैं। यहीं से किसानों के भले वाली राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना का भी आसानी से लागू होना दिखने लगेगा। दरअसल जब केंद्र सरकार बार-बार ये कह रही है कि राष्ट्रीय कृषि बाजार का सीधा सा उद्देश्य देश के हर किसान को देशभर का बाजार एक साथ देना है। इसमें भी समझने की बात ये है कि छोटे किसान को राष्ट्रीय कृषि बाजार की ज्यादा जरूरत है। क्योंकि, बड़ा किसान तो पहले से ही देश के हर बाजार तक पारंपरिक तरीकों से पहुंच बनाए हुए है। लेकिन, छोटे किसान की पहुंच अपनी नजदीकी मंडी तक भी बमुश्किल हो पाती है। इसीलिए राष्ट्रीय कृषि बाजार के जीएसटी के साथ-साथ लागू होने से छोटे किसान का बड़ा होता दिख रहा है। किसानों को या खती से जुड़े उत्पादों का कारोबार करने वालों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल चुंगी, एंट्री-एग्जिट टैक्स, मंडी टैक्स हैं। और, जीएसटी इन सभी करों को खत्म करेगा। खेती के उत्पाद के खेती उद्योग में पहुंचने तक चूंकि वैल्यू एडेड टैक्स ही देना होगा। इससे कर के ऊपर कर वाली स्थिति भी नहीं बनेगी। और, खाद्य उत्पादों के मामले में ये बहुत जरूरी है। इसके लाभ लंबे समय में महंगाई की असल स्थिति पता लगाने में दिखेंगे। किसी भी अनाज, खाद्य सामग्री के किसान के खेत से मंडी तक पहुंचने तक किस तरह का कितना कर लगा और उससे उस अनाज या खाद्य सामग्री का भाव कितना हुआ, ये भी पारदर्शी तरीके से पता चलेगा। खेत से मंडी तक की मुनाफाखोरी का पता भी सरकार ज्यादा आसानी से कर सकेगी। इससे किसान से सही कीमत पर खरीदने और ग्राहक को भी सही कीमत पर बेचने की व्यवस्था भी बनाई जा सकेगी। जीएसटी लागू होने से कृषि क्षेत्र को कई फायदे होंगे और उसमें सबसे बड़ा फायदा यही है कि देश भर में अलग-अलग करों का एक हो जाना देश में एक राष्ट्रीय कृषि बाजार का निर्माण करेगा। इससे देश भर में एक राज्य से दूसरे राज्य में कृषि उत्पाद आसानी से आ जा सकेंगे। चेक पोस्ट, बैरियर जैसी व्यवस्था खत्म होगी। राज्यों के बिना किसी बाधा के कृषि उत्पादों के परिवहन से कृषि बाजार में निजी क्षेत्रों की रुचि बढ़ेगी। इससे आधुनिक गोदाम सुविधा से लेकर आधुनिक बाजार के लागू होने में तेजी आएगी। जीएसटी और राष्ट्रीय कृषि बाजार का साझा मंच किसानों के लिए गजब फायदे का साबित हो सकता है। उसकी वजह है कि कृषि और उससे सम्बंधित उत्पादों के ही सबसे तेजी से खराब होने का खतरा होता है और अभी तक का अनुभव, शोध ये साफ बताता है कि भारत में तरह-तरह के करों और एक मंडी से दूसरी मंडी के बीच की बाधाओं की वजह से फल, सब्जियां और दूसरे अनाज खराब होकर देश के सकल घरेलू उत्पाद का सीधे तौर पर नुकसान करते हैं। इससे राज्यों के बीच खेती के उत्पादों का कारोबार भी बेहतर होने की उम्मीद है। कुल मिलाकर राष्ट्रीय कृषि बाजार के साथ जीएसटी का मंजूर होना देश के किसानों की आमदनी दोगुना करने के लक्ष्य को पूरा करने का साधन बनता दिख रहा है।  

No comments:

Post a Comment

एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...