हिन्दी
दिवस पर मेरी वापसी दक्षिण भारत से हो रही है। यकीन मानिए पिछले 3 दिनों से हिन्दी
पढ़ने, सुनने
को तरस गया। लेकिन, ये
एकतरफा विलाप होगा कि दक्षिण भारतीय हिन्दी को नापसंद करते हैं। दोतरफा संवाद
बनाने का तरीका ये हम उत्तर भारतीय ये बता पाएं कि दक्षिण भारतीय भाषाओं के लिए
हमारे मन में कितना सम्मान है। दूसरी भाषा/बोली सीख पाने की मेरी क्षमता बहुत
ज्यादा नहीं है। देहरादून रहकर गढ़वाली और मुंबई रहकर मराठी नहीं सीख सका। सामाजिक
व्यवसायिक दबाव की वजह से अंग्रेजी समझता/जानता हूं। लेकिन, बहुत अच्छी नहीं है।
लेकिन, किसी भी
दक्षिण भारतीय भाषा को जरा सा समझना भी कठिन है। इसीलिए हिन्दी दिवस पर 30 दिन में सीखें तमिल, तेलुगू अब मेरी
दूसरी किताबों का हिस्सा हैं। कल #चेन्नई के मरीना बीच से ये दोनों किताबें खरीदी हैं। मैं इन भाषाओं को अच्छे से जान समझ सकूंगा, ये तो कह पाना मुश्किल है। लेकिन, कोशिश ये होगी कि खुद कुछ समझने लायक हो सकूं। और सबसे जरूरी दोनों बेटियों को तो तमिल, तेलुगू के जरूरी शब्दों से परिचित करा ही दूं। मेरे पिताजी ने भी इलाहाबाद में इसका एक प्रमाणपत्र हासिल किया था। लेकिन, बस अपना नाम लिखने भर का और 10 तक की गिनती ही याद रह पाई। इतना तो कम से कम मैं भी कर ही लूंगा। और बेटियां हो सकता है इससे काफी ज्यादा कर लें।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...
No comments:
Post a Comment