उत्तर प्रदेश में जिस्म बेचकर सिपाही की नौकरी मिली। ये सब उस समय हुआ जब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। पुलिस भर्ती घोटाले की जांच में अब तक का ये सबसे चौंकाने वाला और शर्मनाक तथ्य सामने आया है। मामले के जांच अधिकारी शैलजाकांत मिश्रा पत्रकारों को ये बात बताते हुए खुद शर्म महसूस कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान सिपाही की भर्ती में शामिल हुई कई लड़कियों ने उनसे बताया कि उन्हें सिपाही बनाने के एवज में बिस्तर गर्म करने को कहा गया। जब ऐसा चल रहा हो तो, जाहिर है जिसने भी मना किया वो, सिपाही की सूची से बाहर हो गया।
उत्तर प्रदेश में गलत तरीके से नौकरी पाने वाले 18,000 सिपाहियों की भर्ती अब तक मायावती रद्द कर चुकी हैं। पहले 6504 सिपाहियों की भर्ती रद्द हुई, अब 7,400। 25 IPS अफसर भी निलंबित किए जा चुके हैं। बड़े पुलिस अधिकारियों की भी गर्दन जब मायावती ने नापनी शुरू की तो, मुलायम इसे अपने ऊपर राजनीतिक हमला बता रहे थे। वैसे मुलायम अभी भी बेशर्मी के साथ कह रहे हैं कि सब कुछ राजनीतिक साजिश है। वो, मायावती को चेतावनी भी दे रहे हैं कि मायावती की भी सरकार जाएगी। अच्छा है मुलायम बार-बार मायावती को ये चेतावनी दे रहे हैं। इससे कम से कम मायावती के राज में तो ऐसा नंगा नाच नहीं होगा। जिससे अगली सरकार मायावती की खाल उधेड़ने की कोशिश करे।
खैर, बात मुलायम राज में हुई गंदगी की चल रही थी। सिपाही भर्ती घोटाले की जांच कर रहे शैलजाकांत ने बताया है कि इसमें पुलिस के बड़े अफसरों के अलावा एक बड़े नेता का नाम भी सामने आया है। अभी वो इसे बताने को तैयार नहीं हैं। लेकिन, उत्तर प्रदेश को जानने वाले ज्यादातर लोग उन नेताजी का नाम जानते ही होंगे। वैसे किसी नेता के शामिल हुए बिना कोई भी पुलिस अधिकारी अपने स्तर पर इतना बड़ा घोटाला कर सकता है, ये तो संभव ही नहीं था। नेता भी कोई ऐसा ही होगा जो, सत्ता के दरबार में सबसे ज्यादा हनक रखता हो। लखनऊ में इन्हीं नेताजी के घर पर तय हुआ कि किस-किस को सिपाही की वर्दी देनी है। एक निजी एजेंसी के हाथ में रिजल्ट बनाने का जिम्मा था। हद ये हुई कि किसी अधिकारी के बिना हस्ताक्षर के ही सूची जारी की गई। वैसे जारी करने से पहले मुलायम राज में सत्ता के सबसे ऊंचे पायदान पर बैठे नेताजी ने कई बार सूची में फेरबदल कराया। वैसे जिस तरह से मुलायम के राज में जनता त्रस्त थी। उससे तो, यही लगता है कि ये ट्रेलर भर है। फिल्म अभी बाकी है। यानी उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के छलावे के पीछे के कई कुकर्म सामने आने बाकी हैं।
उत्तर प्रदेश में गलत तरीके से नौकरी पाने वाले 18,000 सिपाहियों की भर्ती अब तक मायावती रद्द कर चुकी हैं। पहले 6504 सिपाहियों की भर्ती रद्द हुई, अब 7,400। 25 IPS अफसर भी निलंबित किए जा चुके हैं। बड़े पुलिस अधिकारियों की भी गर्दन जब मायावती ने नापनी शुरू की तो, मुलायम इसे अपने ऊपर राजनीतिक हमला बता रहे थे। वैसे मुलायम अभी भी बेशर्मी के साथ कह रहे हैं कि सब कुछ राजनीतिक साजिश है। वो, मायावती को चेतावनी भी दे रहे हैं कि मायावती की भी सरकार जाएगी। अच्छा है मुलायम बार-बार मायावती को ये चेतावनी दे रहे हैं। इससे कम से कम मायावती के राज में तो ऐसा नंगा नाच नहीं होगा। जिससे अगली सरकार मायावती की खाल उधेड़ने की कोशिश करे।
खैर, बात मुलायम राज में हुई गंदगी की चल रही थी। सिपाही भर्ती घोटाले की जांच कर रहे शैलजाकांत ने बताया है कि इसमें पुलिस के बड़े अफसरों के अलावा एक बड़े नेता का नाम भी सामने आया है। अभी वो इसे बताने को तैयार नहीं हैं। लेकिन, उत्तर प्रदेश को जानने वाले ज्यादातर लोग उन नेताजी का नाम जानते ही होंगे। वैसे किसी नेता के शामिल हुए बिना कोई भी पुलिस अधिकारी अपने स्तर पर इतना बड़ा घोटाला कर सकता है, ये तो संभव ही नहीं था। नेता भी कोई ऐसा ही होगा जो, सत्ता के दरबार में सबसे ज्यादा हनक रखता हो। लखनऊ में इन्हीं नेताजी के घर पर तय हुआ कि किस-किस को सिपाही की वर्दी देनी है। एक निजी एजेंसी के हाथ में रिजल्ट बनाने का जिम्मा था। हद ये हुई कि किसी अधिकारी के बिना हस्ताक्षर के ही सूची जारी की गई। वैसे जारी करने से पहले मुलायम राज में सत्ता के सबसे ऊंचे पायदान पर बैठे नेताजी ने कई बार सूची में फेरबदल कराया। वैसे जिस तरह से मुलायम के राज में जनता त्रस्त थी। उससे तो, यही लगता है कि ये ट्रेलर भर है। फिल्म अभी बाकी है। यानी उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के छलावे के पीछे के कई कुकर्म सामने आने बाकी हैं।