भ्रष्टाचार जगह-जगह कितना संगठित तंत्र बन गया है। इसका अंदाजा आज मायावती सरकार के एक फैसले से हुआ। उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार ने 6504 सिपाहियों की भर्ती रद्द कर दी गई है। ये सभी भर्तियां मुलायम सिंह यादव के शासनकाल में हुई थीं। इस भर्ती के दौरान रहे 12 IPS अफसरों को निलंबित कर दिया गया है। इन पर भर्ती में गड़बड़ी का आरोप है। इन अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। निलंबित 12 आईपीएस अधिकारियों में 1 आईजी, 9 डीआईजी हैं। 2 एसपी रैंक के अधिकारी भी निलंबित हुए हैं। इसके अलावा 18 एएसपी और 40 डीएसपी रैंक के अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
55 केंद्रों में से 14 पर हुई भर्ती की जांच के बाद मायावती सरकार ने ये फैसला लिया है। जांच में पाया गया है कि इन सिपाहियों की भर्ती में कॉपी सेंटर से बाहर लिखी गई। कई कॉपियों में नंबर काटकर फिर से बढ़ाए गए। जांच में ये भी सामने आया है कि इन सिपाहियों ने भर्ती के लिए दो से चार लाख रुपए दिए हैं। यानी उत्तर प्रदेश के लोगों की सुरक्षा के लिए भर्ती होने वाले इन सिपाहियों की शुरुआत ही रिश्वत के जरिए हुई। अब अगर ये दो से चार लाख देकर सिपाही बने हैं तो, जाहिर है इनका सबसे पहला काम यही रहा होगा कि कैसे रिश्वत के तौर पर दिए गए दो से चार लाख रुपए कैसे वापस लिया जाए। अब ये पैसा इमानदारी से तो आने से रहा। साफ है कि इसके लिए उस सिपाही ने अपराधियों को छोड़ा होगा। सही आदमी को पैसा लेकर फंसाया होगा।
इस फैसले से मायावती सरकार पर राजनीति का भी आरोप लग रहा है। क्योंकि, ये सारी भर्तियां मुलायम सिंह यादव के सत्ता में रहते हुई थीं। लेकिन, ये कोई छिपा तथ्य नहीं है कि सिपाहियों की भर्ती का पूरा जिम्मा मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने खुद संभाल रखा था। अनुमान के मुताबिक, कुल मिलाकर सिपाहियों की भर्ती में कम से कम 500 करोड़ की रिश्वत ली गई है। अब अगर मायावती ने राजनीति के तहत भी एक सही काम किया है तो, इसके लिए मायावती को बधाई दी जानी चाहिए। लेकिन, अब मायावती को ये भी ध्यान रखना होगा कि पांच साल में अगर उन्होंने कोई भ्रष्ट फैसले लिए तो, उसका क्या अंजाम होगा।
उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का जो तंत्र इतने सालों तक फला-फूला है। उस पर मायावती अगर लगाम लगा पाती हैं तो, सचमुच मुलायम के शासन में बने नारे उत्तम प्रदेश को सही साबित कर सकती हैं। उत्तर प्रदेश से ही एक और खबर है कि 15 साल पुराने फर्जी मुठभेड़ के मामले में 15 पुलिसवालों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। फर्जी मुठभेड़ एक ऐसा भ्रष्टाचार है जो, भ्रष्टाचार को और बढ़ाने में मदद करता है। और, भ्रष्टाचार करने वाला बहादुरी की तमगा भी पा जाता है।
अलग-अलग जगहों पर भ्रष्टाचार के तरीके भी अलग-अलग हैं। मुंबई में लोगों को जरूरी सुविधाएं देने का जिम्मा रखने वाली संस्था BMC अपनी ही तरह का भ्रष्टाचार कर रही है। मुंबई के वर्ली नाके में 5000 छात्रों की पढ़ाई की जगह पर मॉल बनाने की इजाजत BMC ने दे दी है। यानी शिक्षा के मंदिर की जगह, खरीदने बेचने का काम होगा।
वैसे मुंबई में इससे पहले स्लम रिहैबिलिएशन यानी झुग्गी झोपड़ी वालों को अच्छी जगह बसाने के नाम पर सरकार से मिलकर बिल्डर हजारों करोड़ रुपए का घोटाला कर चुके हैं। सरकार भी ये मानती है, जांच के लिए कमेटी भी बनी है। लेकिन, आज तक कुछ नहीं हुआ। हां, स्लम रिहैबिलिएशन के नाम पर मुंबई की बेशकीमती जमीन कौड़ियों के दाम पाने वाले बिल्डर करोड़पति बन चुके हैं। और, शहर में इतने सम्मानित हो चुके हैं कि टीवी चैनलों में रियल एस्टेट सेक्टर की हर खुशी-चिंता की बहस में अपने विचार देते दिखते हैं। इन बिल्डरों को आंख मूंदकर बेईमानी की इजाजत देने वाले अलग-अलग सरकारों के मंत्री, विधायक, सांसद भी लग्जरी कारों में घूमते हैं। और, हर बार मीडिया में झुग्गी-झोपड़ी घोटाले का मामला खुलने पर बेशर्मी से कार्रवाई की मांग करते हैं या आश्वासन देते रहते हैं।
टीवी चैनलों का स्टिंग ऑपरेशन भी भ्रष्टाचार का जरिया बन गया है। दिल्ली की स्कूल टीचर के खिलाफ एक नए-नए चैनल के फर्जी स्टिंग ऑपरेशन की खबर अभी पुरानी भी नहीं पड़ी है। आज एक और फर्जी स्टिंग का मामला सामने आया है। सांसदों को स्टिंग ऑपरेशन में फंसाने की धमकी दे रहे 3 लोगों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
भ्रष्टाचार हममें ऐसा रच बस गया है कि हमें पता ही नहीं चल पाता कि हम क्या-क्या कर गुजर रहे हैं । अलग-अलग किस्म भ्रष्टाचार के आरोपी लालू प्रसाद यादव के साले साधु और सुभाष यादव ने अनोखा भ्रष्टाचार किया है। संसद में और चुनाव आयोग में दर्ज जानकारी के मुताबिक, इन दोनों भाइयों की उम्र में सिर्फ महीने का अंतर है। जय हो। हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे!
55 केंद्रों में से 14 पर हुई भर्ती की जांच के बाद मायावती सरकार ने ये फैसला लिया है। जांच में पाया गया है कि इन सिपाहियों की भर्ती में कॉपी सेंटर से बाहर लिखी गई। कई कॉपियों में नंबर काटकर फिर से बढ़ाए गए। जांच में ये भी सामने आया है कि इन सिपाहियों ने भर्ती के लिए दो से चार लाख रुपए दिए हैं। यानी उत्तर प्रदेश के लोगों की सुरक्षा के लिए भर्ती होने वाले इन सिपाहियों की शुरुआत ही रिश्वत के जरिए हुई। अब अगर ये दो से चार लाख देकर सिपाही बने हैं तो, जाहिर है इनका सबसे पहला काम यही रहा होगा कि कैसे रिश्वत के तौर पर दिए गए दो से चार लाख रुपए कैसे वापस लिया जाए। अब ये पैसा इमानदारी से तो आने से रहा। साफ है कि इसके लिए उस सिपाही ने अपराधियों को छोड़ा होगा। सही आदमी को पैसा लेकर फंसाया होगा।
इस फैसले से मायावती सरकार पर राजनीति का भी आरोप लग रहा है। क्योंकि, ये सारी भर्तियां मुलायम सिंह यादव के सत्ता में रहते हुई थीं। लेकिन, ये कोई छिपा तथ्य नहीं है कि सिपाहियों की भर्ती का पूरा जिम्मा मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ने खुद संभाल रखा था। अनुमान के मुताबिक, कुल मिलाकर सिपाहियों की भर्ती में कम से कम 500 करोड़ की रिश्वत ली गई है। अब अगर मायावती ने राजनीति के तहत भी एक सही काम किया है तो, इसके लिए मायावती को बधाई दी जानी चाहिए। लेकिन, अब मायावती को ये भी ध्यान रखना होगा कि पांच साल में अगर उन्होंने कोई भ्रष्ट फैसले लिए तो, उसका क्या अंजाम होगा।
उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार का जो तंत्र इतने सालों तक फला-फूला है। उस पर मायावती अगर लगाम लगा पाती हैं तो, सचमुच मुलायम के शासन में बने नारे उत्तम प्रदेश को सही साबित कर सकती हैं। उत्तर प्रदेश से ही एक और खबर है कि 15 साल पुराने फर्जी मुठभेड़ के मामले में 15 पुलिसवालों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। फर्जी मुठभेड़ एक ऐसा भ्रष्टाचार है जो, भ्रष्टाचार को और बढ़ाने में मदद करता है। और, भ्रष्टाचार करने वाला बहादुरी की तमगा भी पा जाता है।
अलग-अलग जगहों पर भ्रष्टाचार के तरीके भी अलग-अलग हैं। मुंबई में लोगों को जरूरी सुविधाएं देने का जिम्मा रखने वाली संस्था BMC अपनी ही तरह का भ्रष्टाचार कर रही है। मुंबई के वर्ली नाके में 5000 छात्रों की पढ़ाई की जगह पर मॉल बनाने की इजाजत BMC ने दे दी है। यानी शिक्षा के मंदिर की जगह, खरीदने बेचने का काम होगा।
वैसे मुंबई में इससे पहले स्लम रिहैबिलिएशन यानी झुग्गी झोपड़ी वालों को अच्छी जगह बसाने के नाम पर सरकार से मिलकर बिल्डर हजारों करोड़ रुपए का घोटाला कर चुके हैं। सरकार भी ये मानती है, जांच के लिए कमेटी भी बनी है। लेकिन, आज तक कुछ नहीं हुआ। हां, स्लम रिहैबिलिएशन के नाम पर मुंबई की बेशकीमती जमीन कौड़ियों के दाम पाने वाले बिल्डर करोड़पति बन चुके हैं। और, शहर में इतने सम्मानित हो चुके हैं कि टीवी चैनलों में रियल एस्टेट सेक्टर की हर खुशी-चिंता की बहस में अपने विचार देते दिखते हैं। इन बिल्डरों को आंख मूंदकर बेईमानी की इजाजत देने वाले अलग-अलग सरकारों के मंत्री, विधायक, सांसद भी लग्जरी कारों में घूमते हैं। और, हर बार मीडिया में झुग्गी-झोपड़ी घोटाले का मामला खुलने पर बेशर्मी से कार्रवाई की मांग करते हैं या आश्वासन देते रहते हैं।
टीवी चैनलों का स्टिंग ऑपरेशन भी भ्रष्टाचार का जरिया बन गया है। दिल्ली की स्कूल टीचर के खिलाफ एक नए-नए चैनल के फर्जी स्टिंग ऑपरेशन की खबर अभी पुरानी भी नहीं पड़ी है। आज एक और फर्जी स्टिंग का मामला सामने आया है। सांसदों को स्टिंग ऑपरेशन में फंसाने की धमकी दे रहे 3 लोगों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
भ्रष्टाचार हममें ऐसा रच बस गया है कि हमें पता ही नहीं चल पाता कि हम क्या-क्या कर गुजर रहे हैं । अलग-अलग किस्म भ्रष्टाचार के आरोपी लालू प्रसाद यादव के साले साधु और सुभाष यादव ने अनोखा भ्रष्टाचार किया है। संसद में और चुनाव आयोग में दर्ज जानकारी के मुताबिक, इन दोनों भाइयों की उम्र में सिर्फ महीने का अंतर है। जय हो। हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे!
1 से 2 लाख यानी की 65 करोड कम से कम शुद्व मुनाफा
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