मीडिया चौपाल के बाद मेरे दाहिने प्रमोद वर्मा, बीके कुठियाला, अनिल सौमित्र |
2 दिन उसी परिसर में हम लोग रहे और इस परिसर में ही एक छोटा सा बगीचा भी था। इस बगीचे पर नजर गई तो मानव स्वास्थ्य हर्बल उद्यान जैसा कुछ लिखा था। इसमें बाकायदा शरीर के अलग-अलग अंगों के बारे में और उन अंगों में विकार के लिए कौन से प्राकृतिक तरीके से चिकित्सा हो सकती है। उसा भी संकेत था। अच्छा लगा कि कि विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद के परिसर में इस तरह का हर्बल उद्यान है। उत्सुकता बढ़ी तो बगीचे में जाकर घूमे। देखने से लगा कि काफी कुछ तो हम लोग भी जानते हैं कि इस पौधे-पेड़ से इस रोग का निदान हो सकता है। लेकिन, उस बगीचे का पूरा चक्कर मारने पर समझ में ये आया कि प्रकृति ने खुद ही सारा इंतजाम कर रखा है। कहीं जाने की जरूरत ही नहीं है। जाहिर है प्रकृति का इंतजाम है तो प्राकृतिक तरीके से ही उसका असर भी होगा।
बगीचे के अंदर की कुछ तस्वीरें भी लगा रहा हूं। लेकिन, एक बात अखरी कि छोटा उद्यान था। लेकिन, फिर भी ये महत्वपूर्ण है।
बहुत बढ़िया जानकारी
ReplyDeleteबड़ी रोचक जानकारी
ReplyDeleteरोचक... ब्लॉग और पोस्ट दोनों ही
ReplyDeleteआपसे मिलना सुखद रहा। अगली बार नागपुर आना हुआ तो घर आना जरूर होगा।
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