पहली असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए फिलहाल कोई तय रकम नहीं है। बेहद कम रकम इन मजदूरों को मिल रही है और ज्यादातर उसका मिलना भी तय नहीं होता। न तो इन मजदूरों की छुट्टी पक्की होती है और न ही ज्यादातर नियोक्ता उनको काम के तय घंटे से ज्यादा काम करने पर अतिरिक्त मजदूरी देते हैं। दूसरी बड़ी समस्या है असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की सुरक्षा की। ज्यादातर असंगठित क्षेत्र के मजदूर निर्माण के काम में लगे हुए हैं और किसी भी क्षेत्र में ऐसे मजदूरों की सुरक्षा का कोई पक्का बंदोबस्त नहीं दिखता है। तीसरी सबसे बड़ी मुश्किल असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की खराब होती स्वास्थ्य समस्या की है। कठिन हालात में मजदूरी की वजह से ज्यादातर मजदूरों का स्वास्थ्य हर बीतते दिन के साथ खराब होता जाता है।
सवाल ये है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की इन तीन सबसे बड़ी
परेशानी को लेकर अभी की सरकार ने क्या कुछ किया है। इस लिहाज से बेहतर मजदूरी
दिलाने को लेकर अभी बहुत ठोस कदम फिलहाल तो नहीं दिखता है। लेकिन, सुरक्षा और
स्वास्थ्य को लेकर इस सरकार ने संजीदगी दिखाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की
पहल पर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को ध्यान में रखकर बनाई गई कई योजनाएं जीवनस्तर
में बेहतरी में कुछ मदद तो करती दिख रही हैं। पेंशन तो अब धीरे-धीरे सभी क्षेत्रों
में खत्म हो रही है। लेकिन, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की सबसे बड़ी चिंता यही
रहती है कि इतनी कम और अनियमित कमाई में कैसे एक उम्र के बाद गुजारा हो पाएगा। इस
लिहाज से अटल पेंशन योजना एक बेहतर पहल दिखती है। एक हजार रुपये से पांच हजार
रुपये महीने तक की पेंशन के लिए कोई भी इसमें शामिल हो सकता है। बस उम्र 18 से 40
साल के बीच होनी चाहिए। 1000 रुपये महीने की पेंशन हासिल करने के लिए 18 साल के
नौजवान को 40 साल तक 42 रुपये हर महीने और 40 साल के व्यक्ति को 291 रुपये हर
महीने जमा करना होगा। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना भी असंगठित क्षेत्र में काम
करने वालों के लिए बेहद उपयोगी है। इसमें दुर्घटना में मृत्यु और अपाहिज होने पर 2
लाख रुपये तक मिल सकते हैं। सिर्फ 12 रुपये सालाना प्रीमियम पर सरकार ने ये बीमा
योजना शुरू की है। इसके लिए किसी बैंक में खाता होना जरूरी है। प्रधानमंत्री जीवन
ज्योति बीमा योजना भी इसी तरह की योजना है। इसमें भी दो लाख रुपये तक दुर्घटना
बीमा राशि मिलती है। इसके लिए 330 रुपये सालाना का प्रीमियम जमा करना होता है। 18
से 70 साल का कोई भी व्यक्ति बैंक में बचत खाते के जरिए इस योजना का लाभ ले सकता
है।
असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए एक सबसे बड़ी मुश्किल होती है कि
बीमारी के समय उनके पास इलाज के लिए रकम ही नहीं होती है। इसके लिए सरकारी बीमा
कंपनियों की स्वास्थ्य बीमा योजजना अस्पताल में होने वाले खर्च का बोझ कम करने में
मददगार हो सकती है। इसमें 700-800 रुपये सालाना के प्रीमियम पर 50 हजार रुपये तक
का हेल्थ कवर लिया जा सकता है। अब ये योजनाएं महात्मा गांधी की ताबीज के जैसा असर
करेंगी या नहीं, इसका अंदाजा तो कुछ समय बाद मिलेगा। वैसे सरकार के स्तर पर
असंगठित मजदूरों के जीवनस्तर में बेहतरी सिर्फ इन योजनाओं से ही नहीं होने वाली।
इसके लिए जरूरी है कि सरकार सलीके से श्रम सुधारों को लागू करे और महंगाई के लिहाज
से किसी जगह काम करने वाले मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन दिलाने का बंदोबस्त करे। क्योंकि,
ऐसे तो उद्योग असंगठित मजदूरों को अच्छा जीवन जीने लायक वेतन देने से रहा। असंगठित
क्षेत्र के मजदूरों को ज्यादा रकम देने में उद्योग भले ही आगे आने में संकोच करे
लेकिन, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की कमाई पर देश के हर उद्योग की तगड़ी नजर है। अब
अगर सरकार की तरह निजी क्षेत्र और असंगठित मजदूरों से काम लेने वाले लोगों को भी
अगर महात्मा गांधी की ये ताबीज याद रहे, तो इन मजदूरों का जीवन काफी बेहतर हो सकता
है।
(ये लेख सोपान स्टेप पत्रिका में छपा है।)
No comments:
Post a Comment