हे
बाबा! रहम करो रहम। वइसहीं बाबा लोगन पर भरोसा उठ सा गया है। थोड़ा बहुत स्वस्थ
होने के चक्कर में योग के जरिए आप पर जम गया। अब आप पतंजलि उत्पाद बेचने के चक्कर
में सब कंपनी को चोर साबित करने पर तुले हो। दरअसल आपने टीवी चैनलों, अखबारों में चौड़े से 10 हजार का लक्ष्य तय कर लिया। अब
मार्केटिंग वाले लड़के-लड़कियों की तरह दूसरे के सामान को खराब प्रोडक्ट और अपने
वाले को बढ़िया उत्पाद बता रहे हैं। अंग्रेजों भारत छोड़ो टाइप का आंदोलन खड़ा कर
दे रहे हो। बाबा जी रेडियो पर सुन रहे थे तो हंसी आई। अब टीवी पर देखा तो बहुत जोर
गुस्साए रहे हैं। सुन लो, समझ लो। नै तो बाबा जी बस इत्ता बताए
दे रहे हैं। भारत में लोगों की बजार सेंसेक्स से तेज चढ़ती है, तो उतरती भी है। बाबा जी समझ रहे हो ना। रहम कर
दो बाबा जी ई वाला विज्ञापन वापस ले लो। क्योंकि, हम तो
चड्ढी से लेकर कार तक सब विदेशी कंपनी की पहन/इस्तेमाल कर रहे हैं। कर तो आप भी
रहे होगे बाबा जी। बताते नहीं होगे। अपनी दुकान के
चक्कर में देशी और स्वदेशी टाइप का गाल बजावन बंद करो। बंद करो बाबा, बंद करो।
वरना अपना तो बुरा करोगे ही, देश की जनता का भी बुरा करोगे और प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया का भी।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों की यादें और मेरे पिताजी
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी 9 वीं से 12 वीं तक प्रयागराज में केपी कॉलेज में मेरी पढ़ाई हुई। काली प्रसाद इंटरमी...
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...
No comments:
Post a Comment