Saturday, November 14, 2009

ढोंगी बाबाओं के अमीर भक्त

सत्यसाईं बाबा के चरणों में गिरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की तस्वीरें ज्यादा दिन नहीं हुआ जब मीडिया में लगातार छाई हुईं थीं। मेरे मन में इसे लेकर कुछ सवाल उठे थे। वैसे सत्यसाईं के चरणों में गिरने वालों में अशोक चव्हाण ही नहीं थे। ICICI बैंक के चेयरमैन के वी कामत, रिलायंस के पी एम एस प्रसाद और जाने कितने बड़े-बड़े लोग थे।



फिर जब मैंने थोड़ा जोर देकर सोचने की कोशिश की तो, मुझे दिखा कि इस साईं बाबा के तो कोई कम पैसे वाले भक्त मुझे दिखते ही नहीं। अभी इलाहाबाद में हूं तो, ऐसे ही घूमते शहर के सबसे पॉश सिविल लाइंस की बाजार में शहर की सबसे ऊंची इमारत इंदिरा भवन से भी बड़े सत्यसाईं दिख गए। 9 मंजिले इंदिरा भवन से भी ऊंचे साईं का कटआउट भी चमत्कार जैसा ही दिख रहा था। वैसा ही ढोंगी चमत्कार जिस चमत्कार का जाने कितनी बार अंधनिर्मूलन संस्था और टीवी चैनलों ने पर्दाफाश किया है।



थोड़ा आगे बड़े तो, सिविल लाइंस वाले हनुमान मंदिर वाले चौराहे पर ही सत्यसाई के कार्यक्रम का पूरा विवरण मिला तो, पता चला कि सत्यसाईं 84 साल के हो रहे हैं। उसी होर्डिंग से ये भी पता चला कि सत्यसाईं के जन्मदिन का कार्यक्रम 23 नवंबर के शहर के महंगे रिहायशी इलाकों में  से एक अशोक नगर में है। जाहिर है इन बाबा को शायद इलाहाबाद के सिविल लाइंस और अशोक नगर से बाहर के भक्त चाहिए भी नहीं। क्योंकि, इन भक्तों को बाबा चमत्कार से सोने की चेन निकालकर आशीर्वाद देते हैं तो, ये बड़े वाले भक्ते हुंडियां बाबा के चरणों में डाल देते हैं। अब बेचारे असर साईं के भक्त तो शिरडी में उनके दर्शन से ही चमत्कार की उम्मीद में रहते हैं। मैं भी शिरडी गया हूं। किसी तस्वीर में शिरडी वाले साईं बाबा तो बहुत अच्छे कपड़ों में नहीं दिखे। हां, उनके चमत्कार दूसरे बताते अब भी मिल जाते हैं। ये पुट्टापरथी वाले सत्यसाईं लकदक कपड़ों में रहते हैं अपने चमत्कार किसी जादूगर की तरह खुद दिखाते हैं। अब यहां तो मीडिया इनकी तारीफ भी नहीं करता बल्कि, कपड़े उतारता रहता है फिर भी जाने क्यों ...

14 comments:

  1. dhogi babao ki jitni pol khulti hai ve utne hi pr sidh ho jate hai .asal me jinke pas jeevan me koi kam nahi hota ve hi dhongi hote hai aur unke sharn me aane vale bilkul hi nikkme aur "smptivihin ".kyoki ve sachmuch kangal hai

    ReplyDelete
  2. इन निठल्लों ने कुछ तिलस्मी ठ्ग विद्या अपनाया है और अमीरों को प्रदर्शन की भूख होती है.

    ReplyDelete
  3. इसमें आपने अपनी पैनी निगाह ख़ूब दौड़ायी है। साधुवाद।

    ReplyDelete
  4. अरे वाह, इलाहाबाद में इतनी बड़ी होर्डिंग लगी है और मुझे पता ही नहीं। अशोक नगर जाना तो नसीब नहीं हुआ, उधर अपना कोई दोस्त या रिश्तेदार नहीं रहता, लेकिन इन्दिरा भवन में तो एक कोषागार का दफ़्तर भी है इसलिए वहाँ जाना होता है। यह होर्डिंग किसने लगायी जी, जरा पता तो करिए..। ये बाबा लोग अपुन को थोड़ा कम ही जमते हैं।

    ReplyDelete
  5. हर्षवर्धन जी ,
    बाबाओं और उनके भक्तों की दुनियाँ अलग ही है . शायद पैसों का खेल है सारा .एक देने को उतावला ,एक लेने को .

    ReplyDelete
  6. .
    .
    .
    हर्षवर्धन जी,
    एकदम सटीक लिखा है आपने, आभार।
    बाबाओं के भक्त नेता और मोटे पैसे वाले क्यों होते हैं? यह सवाल विचारणीय है।
    देखिये बाबाओं और उनके भक्तों का कच्चा चिठ्ठा...मेरी नजर से...

    ReplyDelete
  7. इस बाबा के चमत्कार से अभिभूत लोगों की त्वरा के क्या कहने ! मेरे कस्बे में इस बाबा का इकलौता अनुयायी गाहे-बगाहे सबसे लड़ता रहता है इनको शिरडी-साईं के समकक्ष सिद्ध करने के लिये ।
    एकाध के तो सिर भी फूट चुके हैं सच में ।

    ReplyDelete
  8. कई बार लगता है ...मैं भी बाल कुछ और बढ़ा कर मैं भी बाबागिरी शुरू कर दूं ...चारों तरफ नोट ही नोट (पर क्या करूं अंतर्आत्मा नहीं मानती)

    ReplyDelete
  9. बहुत खूब हर्षवर्धन,

    इन बाबाओं को देख कर तो एसा प्रतीत होता है कि त्याग ,ब्रह्मचर्य और तप सब किताबी बातें रह गयी हैं. पूरे प्रोफेशनल हैं ये लोग. यह भी एक धंधा है.आस्था,विश्वाश और अंधभक्ति से नोट बनाने की इंडस्ट्री. और इसके सीईओ हैं हमारे सत्य साईं बाबा. अगर ये योगी हैं तो तरस आता है उन बाबाओं पर जो बेचारे फोकट में हिमालय पर तपस्या करते रहे और अंत में वंही लीन हो गए.

    ReplyDelete
  10. bahut khub
    www.career7india.com

    ReplyDelete
  11. मामला भक्तिभाव व श्रद्धा से अलग ही कुछ है. ये सब बाबा भक्तों के बीच की बाते है.

    ReplyDelete
  12. ये हैं ही अमीरों के । इनको गरीबों से कोई लेना देना नही । कई साल पहले आइ आइ एस के वैज्ञानिकों ने इनके ढोल की पोल खोली थी । और इनसे कहा कि आप घडी निकालते हो तो उस पर कोई ब्रांड नाम नही हो ऐसी निकालो एच एम टी या फेवर ल्यूबा न हो, तो इनसे कुछ करते नही बना । हाथ चालाकी से काम जो नही बन सकता था ।

    ReplyDelete
  13. हर्ष भैया !
    कहाँ ले यहि धर्मान्धता का कहा जाय ...
    लोगय जान-बुझ के आंधर रहा चाहत अहैं...
    बड़ा ठग है ई बाबा , यहिकै कौनौ धरम करम से
    मतलब नाय न |
    दुइनिव बाबन मा अच्छी तुलना किहेव |
    अउर बातन का तुहँसे ईमेल पै रखब |
    तू हमार हौसला badhayau ...
    सुक्रिया ... ...

    ReplyDelete
  14. ऐसे ही बाबाओं का बोल बाला है | सीधे सच्चे संत को तो गरीब भी नहीं पूछता है |

    ReplyDelete

शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों की यादें और मेरे पिताजी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी  9 वीं से 12 वीं तक प्रयागराज में केपी कॉलेज में मेरी पढ़ाई हुई। काली प्रसाद इंटरमी...