Sunday, November 01, 2009

फिर से पूछ रहा हूं घूरा बनने में कितना दिन लगता है

2000-2001 में इलाहाबाद महाकुंभ में रिपोर्टिंग के समय दुनिया भर के बाबाओं और साधुओं की हकीकत देखी थी। ऐसा नहीं है कि सब ढोंगी ही थे। कई संत ऐसे भी थे जिन्हें देखकर-मिलकर उनकी संगत का मन होता था। लेकिन, बड़ी संख्या ऐसे ही बाबाओं  की थी जिनके लिए प्रयाग के महाकुंभ की रेती पर उनका आश्रम विदेशी-देसी मालदार भक्तों को बढ़ाने का जरिया भर था। मुझे याद है कि रिपोर्टिंग के दौरान एक रमेश तांत्रिक के आश्रम में हम लोग पहुंच गए थे। अब मुझे नहीं पता कि वो, तांत्रिक होने का दावा करने वाला बाबा क्या कर रहा है। लेकिन, उस समय वो सिर्फ और सिर्फ विदेशियों को नशे की पिनक में रेती पर लोटने का आनंद देकर उनसे ज्यादा से ज्यादा वसूली का तंत्र फैला रहा था। हम लोगों को वो ज्यादा सम्मान इसलिए भी दे रहा था कि उसका फंडा एकदम साफ था। उसने कुटिल मुस्कान के साथ कहाकि देखो अखबार-टीवी से विदेशी भक्त नहीं मिलेंगे। विदेशी भक्त तो इंटरनेट से मिलेंगे।


उस समय मैं http://www.webdunia.com/ के लिए रिपोर्टिंग कर रहा था। आपको लग रहा होगा अचानक मुझे करीब 10 साल पहले की घटना क्यों याद आ रही है। दरअसल इसके याद आने के पीछे एक वजह ये भी है कि इसी समय एक वीडियो मैंने देखा था जिसमें सत्यमसाईं बाबा के चमत्कारों की असलियत बताई गई थी। दिखाया गया था कि किस तरह से सत्यसाईं लोगों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। आज अचानक जब मैं आज इंदिरा गांधी के विशेष कार्यक्रमों की खोज में टीवी पर पहुंचा तो, खबर दिखी किस तरह से ढोंगी सत्यसाईं के चरणों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के साथ पूरी सरकार झुकने को बेताब है। मुझे लगा कि क्या तमाशा है चव्हाण और उनकी पूरी सरकार कैसे पूरे राज्य को एक ऐसे व्यक्ति का अअंधभक्त बनने के लिए प्रेरित कर सकती है जिसके चमत्कारों की पोल देसी-विदेशी, हिंदी-अग्रेजी चैनल जाने कितनी बार खोल चुके हैं।


अब अगर अशोक चव्हाण को उनके मुख्यमंत्री बनने में बाबा का चमत्कार दिख रहा है तो, इसके लिए सत्यसाईं बड़े अपराधी साबित होंगे क्योंकि, चव्हाण को मुख्यमंत्री इसलिए बनाया गया कि तब के कांग्रेसी मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख मुंबई और देश की शान ताज पर हमले को भांप-समझ नहीं पाए। उसके बाद जो, घटनाक्रम बने उस शर्म-छीछालेदर से बचने के लिए कांग्रेस को चव्हाण को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा। चव्हाण नेताओं में नौजवान थे। मैं उस समय मुंबई में ही था अच्छा लगा था। लेकिन, इस तरह से अशोक चव्हाण सत्यसाईं के चरणों में लोट जाएंगे अंदाजा न था। टीवी की फुटेज में कांग्रेस-एनसीपी सरकार के ढेर सारे मंत्रियों के अलावा पुराने गृहमत्री शिवराज पाटिल भी दिख रहे थे। पता चला कि मुख्यमंत्री के सरकारी निवास 'वर्षा' पर अशोक चव्हाण सत्यसाईं का चरण पूजन करेंगे।


अशोक चव्हाण ने इससे पहले बाबा को बांद्रा वर्ली सी लिंक भी घुमाया था ताकि, पुल को बाबा का 'आशीर्वाद' मिल सके। अब सोचिए खबर जब इसे बरसों की मेहनत के बाद बनाने वाले इंजीनियरों-मजदूरों को पता चली होगी तो, उनके दिल पर क्या गुजरी होगी। खैर, ऐसे बाबाओं के किस्से अनंत हैं और इनके चरणों में गिरने वाले राजनेताओं के भी। नरसिंहाराव के समय में तांत्रिक चंद्रास्वामी के जलवे तो किसी को भूले नहीं होंगे। अब तो बस यही लगता है कि काश घूरा बनने का भी समय तय होता

9 comments:

  1. आपकी यह पोस्‍ट सच्‍चाई बयां करता है, आस्‍था से जितना अधिक खिलवाड़ हिन्‍दू धर्म में होता है उतना कहीं और नही है, कुछ छली लोगो के कारण प्रतापी संत भी इसी मानसिकता के शिकार हो जाते है।

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  2. तंत्र मन्त्र के मोहपाश से राजनेता भी भी अछूते नहीं है ....... चिंतनीय और विचारणीय पोस्ट. आभार

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  3. क्या किया जा सकता है सिवाय अफ़सोस या आकोश जताने के।आज़ादी के इतने सालो बाद न कुछ बदला है और न कुछ बदलने की उम्मीद ही नज़र आती है।झुठे पाखण्डी फ़रेबियों का बोलबाला है।

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  4. उबकाई आती है ऐसे स्वामियों की चरण वन्दना देख-सुनकर।

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    क्या पता मित्र,

    बाबाजी जिस तरह हवा से भभूत, सोने की चेन, मूर्तियां आदि आदि पैदा करते हैं उसी तरह से मंत्रिमंडल की लिस्ट भी पैदा कर दें।

    देखिये इन सभी बाबाओं के कारनामे मेरी नजर से...

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  6. यहां एन्डरसन में भी बाबाजी के कई भक्त हैं जो हर साल पुट्टपारथी उनके दर्शन करने जाते हैं पर बाबा भी तो पैसे वालें को पास से दर्शन देते हैं गरीबों को दूर से इसीसे इनकी सच्चाई बयां हो जाती है । आपका लेख जागरूक नागरिकों को इनके चंगुल से बचाये रखता है ।

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  7. चरण वंदन तो माफिया डॉन का भी कर सकते/करते हैं। जरा अकेले में। :-)

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  8. इनके एक भक्त अपने सचिन तेंदुलकर भी हैं..

    सब सालों ने डोनेशन पर आयकर छूट की व्यवस्था करा रखी है। बिलेक मनी छुपाने का अच्छा तरीका है...

    माया महा ठगिनी हम जानी

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  9. चमत्कार दिखाने वाले ढोंगी बाबा ईश्वर और धर्म का भय दिखा कर अपने अनुयायी बनाते हैं इसलिये जब तक यह सत्ता है इनका कोई बाल बाँका नही कर सकता । जनता के भगवान तो नेता भी है यह एक और अन्धविश्वास है । इन्ही सत साई बाबा से जादूगर पी सी सरकार मिलने गये थे जब बाबा ने हवा से रसगुल्ला निकाला तो सरकार ने उससे भी बड़ा रसगुल्ला निकाल कर दे दिया । यह तो पीढी दर पीढी चलता रहेगा ।

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