Wednesday, July 30, 2014

मैं जातिवाद के खिलाफ हूं!

मैं ब्राह्मण (बाभन) हूं
बुद्धि का ठेका (आरक्षण) सिर्फ मेरे पास है
उसी आरक्षण के बलपर मैं सबको देने की क्षमता रखता हूं
मैं उस बुद्धि के बल पर बिना राजा हुए राज करना चाहता हूं
सब जातियां मुझसे नीची हैं
सब जातियों के लोग मुझसे आशीर्वाद लेते हैं
फिर भी मैं सदियों की श्रेष्ठता त्याग रहा हूं
क्योंकि, मैं जातिवाद के खिलाफ हूं

मैं क्षत्रिय (ठाकुर) हूं
राज करने का ठेका (आरक्षण) सिर्फ मेरे पास है
रजवाड़ा हो ना हो राज करने के अधिकारी तो हम ठाकुर ही हैं
हमारी प्रजा बनकर कोई भी जाति रह सकती है
सब जातियों को आदेश मेरा ही मानना होता है
फिर भी मैं रजवाड़े छोड़ रहा हूं
क्योंकि, मैं सच कह रहा हूं कि मैं जातिवाद के खिलाफ है

मैं वैश्य (बनिया) हूं
कोई कितनी भी बुद्धि लगा ले
कोई कैसे भी सत्ता हासिल कर ले
सत्ता चलती मेरे पैसे से ही है
पैसा कमाना सिर्फ मुझे आता है
इसलिए सत्ता चलाना भी मुझे आता है
इसके बाद भी मेरा मन बहुत बड़ा है
मैं भी जातिवाद के खिलाफ हूं

मैं शूद्र (ऊपर की तीनों जातियों को छोड़ सारी जातियां) हूं
सब सहने का ठेका (आरक्षण) मेरा ही है
मेरा ही तो शोषण होता है
मेरी ही बुनियाद पर बाभन की बुद्धि लगती है
मेरी ही बुनियाद पर ठाकुर की सत्ता चलती है
मेरी ही बुनियाद पर बनिया को समृद्धि मिलती है
मैं भी जातिवाद के खिलाफ हूं
दूसरी जातियों के बरसों के अत्याचार को मैं भूलने को तैयार हूं
लेकिन, अब मुझे सच का आरक्षण मिल गया है
मैं वोटबैंक हो गया हूं
मैं जातिवाद के खिलाफ होना चाहता हूं
लेकिन, कोई बाभन, कोई ठाकुर, कोई बनिया या कोई अपनी ही जाति का नेता मुझे जाति भूलने नहीं देता

मैं क्या करूं, मैं सच कह रहा हूं कि मैं भी उन तीनों के जितना ही जातिवाद के खिलाफ हूं

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