पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की आज शाम 6 बजकर 16 मिनट पर हत्या कर दी गई है। बेनजीर जबसे पाकिस्तान लौटी थीं तबसे ही उनकी जान पर खतरा था। बेनजीर की वापसी के समय ही उन पर एक जोरदार आत्मघाती हमला हुआ था। कराची में हुए हमले में करीब दो सौ लोग मारे गए थे और पांच सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। भगवान का शुक्र था कि उस दिन के हमले में बेनजीर बच गईं। लेकिन, पाकिस्तान में जिस तरह के हालात को वहां बेनजीर, नवाज शरीफ ने पाला पोसा और अब जिसे मुशर्रफ पाल-पोस रहे हैं, उसमें ये खबर देर-सबेर आनी ही थी।
पाकिस्तान में आतंकवादी कितने बेखौफ और मजबूत हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज जिस हमले में बेनजीर की जान गई, उससे कुछ देर पहले ही पाकिस्तान के एक और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के काफिले पर भी धुआंधार गोलियां चलाई गईं थीं। शुक्र था कि काफिले में नवाज शरीफ उस समय शामिल नहीं थे। इस हमले में भी चार लोग मारे गए। बेनजीर पर हुए हमले में बीस से ज्यादा लोगों के मरने की खबर आ चुकी है। पिछली बार जब कराची में हुए भीषण आत्मघाती हमले में बेनजीर किसी तरह बची थीं तो, उसके बाद उन्होंने मुशर्रफ के कई करीबी लोगों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने बेनजीर की हत्या कराने की कोशिश की।
लेकिन, मुशर्रफ शायद ये तय कर चुके हैं कि पाकिस्तान को जहन्नुम में तब्दील करके ही मानेंगे। अभी बेनजीर हमारे बीच नहीं हैं और इस समय वो काबिले तारीफ काम कर रही थीं। वो, पाकिस्तान में लोकतंत्र बहाली की कोशिश में लगी हुईं थीं। लेकिन, बार-बार उन पर ये आरोप लग रहे थे कि बेनजीर ने पाकिस्तान की सत्ता पाने के लिए बेनजीर ने मुशर्रफ से समझौता कर लिया था। ये अलग बात है कि अपने वतन पाकिस्तान लौटने क बाद जब उन्होंने अपनी पैठ राजनीतिक तौर पर मजबूत करने की कोशिश शुरू कीं तो, मुशर्रफ को ये बेहद नागवार गुजरा। लेकिन, नवाज और बेनजीर पाकिस्तान की जनता के सामने भरोसा ऐसा खो चुके थे कि उन्हें मुशर्रफ और नवाज, बेनजीर में ज्यादा फर्क नजर नहीं आ रहा।
पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसे हालात जो, पिछले करीब साल भर से बने हुए थे। आज बेनजीर की हत्या के बाद खुलकर सामने आ गई है। कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, रावलपिंडी में पीपीपी के समर्थक गाड़ियों को फूंक रहे हैं। गृह युद्ध जैसा नजारा दिख रहा है। लोग पुलिस को देखते ही उनके ऊपर हमला बोल रहे हैं। मुशर्रफ ने अपनी तानाशाही सत्ता बचाने के लिए जेहादियों, आतंकवादियों से लड़ने में अमेरिका का साथ तो दिया। लेकिन, मुशर्रफ दहशतगर्दों को अपना दुश्मन बना बैठे जिन्हें खुद मुशर्रफ पिछले कई सालों से पाल रहे थे।
अब हालात बहुत कुछ मुशर्रफ के भी हाथ में नहीं हैं। लाल मस्जिद में सेना और तालिबान समर्थित कट्टरपंथियों के बीच हुई जोरदार लड़ाई के बाद ये साफ भी हो गया था। यहां तक कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा से लगा पूरा क्षेत्र तो ऐसा हो गया है जहां पूरी तरह से तालिबान और कट्टरपंथियों, जेहादियों का समानांतर राज चलता है। यही वजह है कि पाकिस्तान आज पूरी दुनिया के लिए दहशत बन गया है।
भारत में हुए हर हमले के तार पाकिस्तान से सीधे या फिर घुमा फिराकर जुड़ ही जाते हैं। अभी पिछले कुछ दिनों से देश के कई राज्यों में जो हमले हुए हैं। उनमें सीधे तौर पर हूजी का नाम आ रहा है। जो, बांग्लादेश और पाकिस्तान से ही चलाया जा रहा है। भारत में लश्कर और दूसरे पाकिस्तान से चलाए जा रहे आतंकवादी संगठनों के स्लीपर सेल होने की बात लगातार साबित होती रहती है। लेकिन, कभी भी पाकिस्तान ने भारत को आतंकवादी हमले से उबरने में, आतंकवादी हमले करने वाले गुनहगारों तक पहुंचने में मदद नहीं की।
भारत का मोस्ट वांटेड अपराधी मसूद अजहर हो या फिर दाउद इब्राहिम। सभी के बारे में ये पुख्ता खबर है कि वो, पाकिस्तान में छिपे बैठे हुए हैं। लेकिन, जब भी भारत सरकार ने पाकिस्तान से आतंकवादियों को वापस करने की मांग की तो, पाकिस्तान हमेशा वही घिसा-पिटा सा जवाब देकर टाल देता है। भारत-पाकिस्तान जिस तरह से विभाजन के बाद बने। उससे दोनों देशों के बीच घृमा की राजनीति नेताओं की जरूरत सी बन गई। हाल ये है कि पाकिस्तान को गाली देकर भारत में और भारत को गाली देकर पाकिस्तान में बड़े मजे से कोई बेवकूफ भी तालियां बटोर लेता है। बेनजीर, शरीफ, मुशर्रफ ने क्या किया। या भारत-पाकिस्तान ने पहले कितनी बार लड़ाई लड़ी, अब इस पर चर्चा करना बेमानी हो गया है।
नवाज शरीफ ने और बेनजीर की पार्टी के महासचिव रियाज ने मुशर्रफ पर बेनजीर की सुरक्षा में कोताही का आरोप लगाया। लेकिन, सच्चाई यही है कि खुद मुशर्रफ भी आतंकवादियों के निशाने पर हैं। क्योंकि, इस्लाम के नाम पर जेहादी तैयार करने वाले आतंकवादी संगठनों का सबसे बड़ा दुश्मन अमेरिका मुशर्रफ का दोस्त है। और, इन जेहादियों के कुकृत्यों का बुरा असर ये है कि भारत से लेकर दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी आतंकवादी घटना के लिए हर मुसलमान दोषी माना जाता है। अब ये जिम्मेदारी पूरी तरह से मुसलमानों की ही है कि वो किसी भी तरह से दुनिया को बरबाद होने से बचा लें।
एक कौम की हिफाजत की लड़ाई के पाक काम का दावा करने वाले आतंकवादियों की वजह से अब तक सबसे ज्यादा मुस्लिम कौम के लोगों ने ही जान गंवाई है। भारत की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि लश्कर और दूसरे आतंकवादी संगठनों के साथ अल कायदा की कुछ गतिविधियों की भी खुफिया रिपोर्ट आने लगी है। और, पाकिस्तान में मुशर्रफ से लड़ने और अपनी ताकत बढ़ाने के लिए आतंकवादी भारत में अपने कैंपों को और मजबूत करना चाहेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन से लेकर विपक्ष के नेता आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक ने बेनजीर की हत्या पर गहरा शोक जताया है जो, लाजिमी है। लेकिन, अब भारत के लिए चुनौतियां इतनी बढ़ गई हैं कि भारत के नेताओं को भारत को सुरक्षित करने के लिए एक साथ आना होगा।
पाकिस्तान में आतंकवादी कितने बेखौफ और मजबूत हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज जिस हमले में बेनजीर की जान गई, उससे कुछ देर पहले ही पाकिस्तान के एक और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के काफिले पर भी धुआंधार गोलियां चलाई गईं थीं। शुक्र था कि काफिले में नवाज शरीफ उस समय शामिल नहीं थे। इस हमले में भी चार लोग मारे गए। बेनजीर पर हुए हमले में बीस से ज्यादा लोगों के मरने की खबर आ चुकी है। पिछली बार जब कराची में हुए भीषण आत्मघाती हमले में बेनजीर किसी तरह बची थीं तो, उसके बाद उन्होंने मुशर्रफ के कई करीबी लोगों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने बेनजीर की हत्या कराने की कोशिश की।
लेकिन, मुशर्रफ शायद ये तय कर चुके हैं कि पाकिस्तान को जहन्नुम में तब्दील करके ही मानेंगे। अभी बेनजीर हमारे बीच नहीं हैं और इस समय वो काबिले तारीफ काम कर रही थीं। वो, पाकिस्तान में लोकतंत्र बहाली की कोशिश में लगी हुईं थीं। लेकिन, बार-बार उन पर ये आरोप लग रहे थे कि बेनजीर ने पाकिस्तान की सत्ता पाने के लिए बेनजीर ने मुशर्रफ से समझौता कर लिया था। ये अलग बात है कि अपने वतन पाकिस्तान लौटने क बाद जब उन्होंने अपनी पैठ राजनीतिक तौर पर मजबूत करने की कोशिश शुरू कीं तो, मुशर्रफ को ये बेहद नागवार गुजरा। लेकिन, नवाज और बेनजीर पाकिस्तान की जनता के सामने भरोसा ऐसा खो चुके थे कि उन्हें मुशर्रफ और नवाज, बेनजीर में ज्यादा फर्क नजर नहीं आ रहा।
पाकिस्तान में गृह युद्ध जैसे हालात जो, पिछले करीब साल भर से बने हुए थे। आज बेनजीर की हत्या के बाद खुलकर सामने आ गई है। कराची, लाहौर, इस्लामाबाद, रावलपिंडी में पीपीपी के समर्थक गाड़ियों को फूंक रहे हैं। गृह युद्ध जैसा नजारा दिख रहा है। लोग पुलिस को देखते ही उनके ऊपर हमला बोल रहे हैं। मुशर्रफ ने अपनी तानाशाही सत्ता बचाने के लिए जेहादियों, आतंकवादियों से लड़ने में अमेरिका का साथ तो दिया। लेकिन, मुशर्रफ दहशतगर्दों को अपना दुश्मन बना बैठे जिन्हें खुद मुशर्रफ पिछले कई सालों से पाल रहे थे।
अब हालात बहुत कुछ मुशर्रफ के भी हाथ में नहीं हैं। लाल मस्जिद में सेना और तालिबान समर्थित कट्टरपंथियों के बीच हुई जोरदार लड़ाई के बाद ये साफ भी हो गया था। यहां तक कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा से लगा पूरा क्षेत्र तो ऐसा हो गया है जहां पूरी तरह से तालिबान और कट्टरपंथियों, जेहादियों का समानांतर राज चलता है। यही वजह है कि पाकिस्तान आज पूरी दुनिया के लिए दहशत बन गया है।
भारत में हुए हर हमले के तार पाकिस्तान से सीधे या फिर घुमा फिराकर जुड़ ही जाते हैं। अभी पिछले कुछ दिनों से देश के कई राज्यों में जो हमले हुए हैं। उनमें सीधे तौर पर हूजी का नाम आ रहा है। जो, बांग्लादेश और पाकिस्तान से ही चलाया जा रहा है। भारत में लश्कर और दूसरे पाकिस्तान से चलाए जा रहे आतंकवादी संगठनों के स्लीपर सेल होने की बात लगातार साबित होती रहती है। लेकिन, कभी भी पाकिस्तान ने भारत को आतंकवादी हमले से उबरने में, आतंकवादी हमले करने वाले गुनहगारों तक पहुंचने में मदद नहीं की।
भारत का मोस्ट वांटेड अपराधी मसूद अजहर हो या फिर दाउद इब्राहिम। सभी के बारे में ये पुख्ता खबर है कि वो, पाकिस्तान में छिपे बैठे हुए हैं। लेकिन, जब भी भारत सरकार ने पाकिस्तान से आतंकवादियों को वापस करने की मांग की तो, पाकिस्तान हमेशा वही घिसा-पिटा सा जवाब देकर टाल देता है। भारत-पाकिस्तान जिस तरह से विभाजन के बाद बने। उससे दोनों देशों के बीच घृमा की राजनीति नेताओं की जरूरत सी बन गई। हाल ये है कि पाकिस्तान को गाली देकर भारत में और भारत को गाली देकर पाकिस्तान में बड़े मजे से कोई बेवकूफ भी तालियां बटोर लेता है। बेनजीर, शरीफ, मुशर्रफ ने क्या किया। या भारत-पाकिस्तान ने पहले कितनी बार लड़ाई लड़ी, अब इस पर चर्चा करना बेमानी हो गया है।
नवाज शरीफ ने और बेनजीर की पार्टी के महासचिव रियाज ने मुशर्रफ पर बेनजीर की सुरक्षा में कोताही का आरोप लगाया। लेकिन, सच्चाई यही है कि खुद मुशर्रफ भी आतंकवादियों के निशाने पर हैं। क्योंकि, इस्लाम के नाम पर जेहादी तैयार करने वाले आतंकवादी संगठनों का सबसे बड़ा दुश्मन अमेरिका मुशर्रफ का दोस्त है। और, इन जेहादियों के कुकृत्यों का बुरा असर ये है कि भारत से लेकर दुनिया के किसी भी कोने में किसी भी आतंकवादी घटना के लिए हर मुसलमान दोषी माना जाता है। अब ये जिम्मेदारी पूरी तरह से मुसलमानों की ही है कि वो किसी भी तरह से दुनिया को बरबाद होने से बचा लें।
एक कौम की हिफाजत की लड़ाई के पाक काम का दावा करने वाले आतंकवादियों की वजह से अब तक सबसे ज्यादा मुस्लिम कौम के लोगों ने ही जान गंवाई है। भारत की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि लश्कर और दूसरे आतंकवादी संगठनों के साथ अल कायदा की कुछ गतिविधियों की भी खुफिया रिपोर्ट आने लगी है। और, पाकिस्तान में मुशर्रफ से लड़ने और अपनी ताकत बढ़ाने के लिए आतंकवादी भारत में अपने कैंपों को और मजबूत करना चाहेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन से लेकर विपक्ष के नेता आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक ने बेनजीर की हत्या पर गहरा शोक जताया है जो, लाजिमी है। लेकिन, अब भारत के लिए चुनौतियां इतनी बढ़ गई हैं कि भारत के नेताओं को भारत को सुरक्षित करने के लिए एक साथ आना होगा।
बधाई। बेनजीर की दुखद हत्या पर त्वरित टिप्पणी दो ही ब्लागों पर दिखी। एक बतंगड़ पर और दूसरा बेबाक www.bebak.blogspot.com पर। संयोग है कि दोनों ही ब से शुरु होनेवाले ब्लाग हैं।
ReplyDeleteबहुत दुखद है - बेनजीर की हत्या भी और पाकिस्तान की अराजकता भी।
ReplyDeleteइसका मतलब है जिन्ना की तारीफ़ आडवाणी कहीं डर से तो नही के आए. भारत को गाली देकर अगर समर्थन मिलता है तो वैसे समर्थक के लिए एसी बस की सुविधा वाजपेयी जी देकर अति आशावादिता का परिचय नही दिया था .टीवी शो मे पाकिस्तानी कलाकार को जगह देकर भारतीय प्रतिभा का भोजन होता रहा . जिसे हम सिंहासन देंगे वो तारीफ़ के दो शब्द भला कैसे न कहेगा . मगर बदलता नही . बदलाव जरूरी होता है .
ReplyDeleteपाकिस्तान के हर छक्के पर ताली ! भारत मे बजना सुन देख कर ही चिंता बढ़ जानी चाहिए थी . पड़ोस मे अगर आग लगती है तो कम से कम तपन अपने घर आती तो है . राजनेताओ के साथ पब्लिक को भी कुछ
नया सोचना होगा . " करे कुसंग चाहे कुशल " कैसे हो सकता है .
आतंकवाद को बेटा बनाने वाला पाकिस्तान आज आंतकवाद का ग्रांड सन बना दिख रहा है .
मैं विदेश निति मे पारंगत तो हूँ नही फ़िर भी कह सकता हूँ की पाकिस्तान को बचाने की कोशिश हर हाल मे भारत के लिए आत्मघाती प्रयास कहा जायेगा .
सब मुसलमान बन जाओ दुनिया बची हुई है
ReplyDeleteहर्ष जी, कल खबर आते ही ब्रॉडबेंड का बेंड बज गया, अभी पाँच बजे नेट लौटा है। खबर से मन खराब हो गया। कुछ लिखना चाहता था। लेकिन अब तक ब्लॉग्स पर बहुत कुछ आ चुका है। आप की पोस्ट पर टिप्पणी से ही बात शुरू कर रहा हूँ। आप की पोस्ट के शीर्षक की अपील, पोस्ट पर कहीं नजर नहीं आई। आप ने जिन मुसलमानों से अपील की है, वे उन से अलग हैं जिन के लिए मिहिर भोज ने टिप्पणी की है। यह फर्क यदि मिहिर भोज समझ लें, तो हमें एक हीरा मिल जाए। वे यह भी समझ लें कि आप ने जिन मुसलमानों से अपील की है उन की संख्या मिहिर के इंगित मुसलमानों की संख्या से सौ गुना से भी अधिक है। मेरा तो मानना है कि एक सच्चा मुसलमान एक सच्चा हिन्दू, ईसाई, बौद्ध, जैन, और सर्वधर्मावलम्बी हो सकता है। जिस दिन हम यह फर्क चीन्ह लेंगे और सच्चे धर्मावलम्बी व इंसानियत के हामी एक मंच पर आ जाएंगे उस दिन से दुनियां में शान्ति की ताकतें विजयी होना शुरू हो जाएंगी। आतंकी कहीं नहीं टिक पाएंगे।
ReplyDelete@संजय शर्मा
ReplyDeleteसंजयजी आपकी बात एकदम सही है कि पाकिस्तान को बचाने की कोई भी कोशिश भारत के लिए आत्मघाती होगी। लेकिन, पाकिस्तान हमारा पड़ोसी है और हम चाहकर भी इसे बदल नहीं सकते। हमारे नेताओं को भारत को मजबूत बनाना होगा।
This comment has been removed by the author.
ReplyDelete@मिहिरभोज
ReplyDeleteमिहिर जी न तो मैं मुसलमान बनने जा रहा हूं। और नही आप। सबसे ज्यादा मुसलमान ही अपने पैदा किए आतंकवाद में मारे गए हैं। अब तो, पाकिस्तान में इतना घालमेल हो गया है कि समझना मुश्किल है कि कौन आतंकवाद के साथ है और कौन विरोध कर रहा है। मेरी ये अपील उन मुसलमानों से है जो, पाकिस्तान की बरबादी से परेशान हैं। सारा पाकिस्तान आतंकवादी ही नहीं है। मेरे ही लेख में दिए लिंक पर जाइए। आपको दिखेगा कि पाकिस्तानी मुशर्रफ, बेनजीर, नवाज किसी पर भरोसा नहीं कर पा रहे। इसलिए ऐसे अतिवादी बयान देकर एक पूरी कौम को गाली मत दीजिए। क्योंकि, न तो हम-आप दूसरे ग्रह पर जाने वाले हैं और न ही वो।
@दिनेशराय द्विवेदी
ReplyDeleteदिनेशजी वो अपील लेख में इसलिए ज्यादा नहीं है कि मुझे वस्तुस्थिति ज्यादा समझाना जरूरी लगा। मैंने पहले दो लेखों में भी इस पर लिखा है जिसके लिंक मेरे ब्लॉग में हैं। मौका लगे तो, देखकर बताइए। पाकिस्तान अपने किए की खुद भोग रहा है। हमें जरूरत इस बात की है कि हम किसी भी तरह से अतिवाद को हावी न होने दें।
आप ने ठीक कहा। पर आज दुनियां में जो कुछ होता है उस से दूसरा प्रभावित हुए बिना नहीं रहा जा सकता। पहले हम कहते थे अब यह यकीनी हकीकत है कि वसुधा एक कुटुम्ब है। लड़ते,भिड़ते, असहमत होते हुए भी सारी दुनियां के लोग इस अंतरिक्ष में पृथ्वी की नाव पर सवार हैं। मजे की बात यह है कि कोई किसी को उठा कर फेंक नहीं सकता तो फिर सहजीवन के रास्ते तो तलाश करने ही होंगे।
ReplyDeleteप्रिय हर्ष, लिखते रहो. आपके विश्लेषण बहुत सटीक एवं शक्तिशाली हैं. पाठकों को विषय के भिन्न पहलुओं को देखने का मौका मिलता है.
ReplyDelete"लेकिन, अब भारत के लिए चुनौतियां इतनी बढ़ गई हैं कि भारत के नेताओं को भारत को सुरक्षित करने के लिए एक साथ आना होगा।"
मैं इस कथन का दिल से अनुमोदन करता हूँ
हर्ष जी, दिनेश जी ने बहुत सही बात कही है. इंसानियत का धर्म सबसे बड़ा है लेकिन कैसे हम समझें... कुछ पाकिस्तानी मित्र हैं जो इस हादसे से कतई दुखी नहीं हैं, वे खुद सियासत से जुड़े हैं दूसरी तरफ वहां के कुछ आम लोग दुखी हैं. नए साल में शांति की कामना कर सकते हैं.
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