Thursday, August 09, 2007

हम महंगाई से मरे जा रहे हैं औ विदेशियों के लिए सबसे सस्ता भारत

दुनिया भर में घूमने वाले कामकाजी विदेशियों के लिए रहने-खाने-मस्ती करने के लिए लिहाज से भारत सबसे सस्ता है। और, ये हम पूरी दुनिया की बात नहीं कर रहे हैं। महंगाई के लिहाज से अभी तो हम एशिया के ही दूसरे कई देशों से पीछे चल रहे हैं। वैसे भारतीय शहर इस बात के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं कि वो दुनिया के महंगे शहरों में शामिल होकर जरा तो इज्जत कमा सकें। उन्हें इसमें कुछ सफलता भी हासिल हुई है। मुंबई (यहां मैं रहता हूं, जानता हूं कि यहां रहना कितना मुश्किल है), दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद और बैंगलोर के साथ पुणे भी महंगे शहरों की लिस्ट में एक से तीन नंबर तक आगे बढ़ गए हैं। ये सब बातें कही गई हैं हांगकांग की एक कंसल्टेंसी फर्म ECA इंटरनेशनल के अभी की सर्वे रिपोर्ट में। दरअसल ये सर्व ये भी जानने की कोशिश थी कि प्रोफेशनल्स के लिए अच्छी लाइफस्टाइल (जीवन शैली ) वाले शहर कौन से हैं। जाहिर है कि अच्छी लाइफस्टाइल वहीं मिल सकती है, जहां सुविधाएं-विलासिता होंगी। और, आज की सुविधा बिना महंगाई के मिलती नहीं।

दुखद ये रहा कि काफी दौड़ लगाने के बाद भी भारत के सबसे महंगे सात शहर एशिया के 41 महंगे शहरों को लिस्ट में नीचे से आधे तक भी नहीं पहुंच पाए। दक्षिण कोरिया का सियोल शहर सबसे महंगे शहर का तमगा पा रहा है। और, भारत का सबसे महंगा शहर मुंबई इस लिस्ट में 24वें और दुनिया के महंगे शहरों की लिस्ट में 192वें नंबर पर है। और, ये हाल तब है जब 50 हजार महीने की कमाई करने वाले लोग भी ये सोचते हैं कि 11 महीने का करार खत्म होने के बाद अगला कमरा कितना महंगा मिलेगा। दिल्ली भी मेहनत करके मुंबई के ठीक पीछे ही है। चेन्नई एशिया का 30वां, हैदराबाद 32वां, कोलकाता 35वां, पुणे 36वां और बैंगलोर 40वां सबसे महंगा शहर है। इतनी मेहनत के बाद भी ये महंगे भारतीय शहर बेचारे दुनिया में महंगाई के मामले मेंबहुत पीछे हैं। अब भारतीय शहरों में लाइफस्टाइल अच्छी (महंगाई ज्यादा नहीं है!) नहीं है इसलिए यहां काम करने वालों को कंपनियां विदेशी शहरों के लिहाज से पैसे भी कम देती हैं। सर्वे कहता है कि भारत के महंगे शहरों में भी रहना काफी सस्ता है। अब इन सर्व वालों को कौन बताए कि मुंबई जैसे शहरों में रहने वाले जोड़े बड़ा घर न ले पाने की वजह से दिन में सड़क किनारे या पार्क में जिंदगी बिता देते हैं। वैसे सर्वे कह रहा है कि भारतीय शहरों में महंगाई की रफ्तार अच्छी है। और, जल्दी ही वो दुनिया के नहीं तो, एशिया के शहरों को तो मात दे ही देंगे। चलिए हम भी उम्मीद करते हैं कि जब तक महंगाई इस रफ्तार तक पहुंचे। हम भारत के सबसे महंगे शहर से कुछ सस्ते शहर में आसियाना तलाश सकें। हाल ये है कि हमें महंगाई मारे डाल रही है और दुनिया वाले ये कहके हमें नीचा दिखा रहे हैं कि विदेशीशहरों के लिहाज से भारत में अभी अच्छी लाइफस्टाइल (महंगाई) नहीं है।

4 comments:

  1. अच्छा लगा बतंगड़ जी.. यानि हर्ष वर्धन जी..
    मै भी मुंबई से हूँ.. देखिये कब मुलाकात होती है..
    कवि कुलवंत

    ReplyDelete
  2. अच्छा लगा। मेरा भी बचपन प्रयाग में गुजरा है। अपने से मिलकर आनंद की अनुभूति होती है।

    ReplyDelete
  3. बतंगड़ जी...हमारे देश में महंगाई ज़्यादा नही है वरन आमदनी कम है,मुम्बई में औसत जीवन शैली के लिये १ लाख प्रति माह की आमदनी चाहिये!इतने के बराबर अमेरिकियों को बेरोज़गारी भत्ता मिल जाता है!७ महानगरों को छोड दें तो यहाँ आज भी ३ कमरे का मकान २५००/माह पर मिल जाता है और सब्ज़ी निम्न भाव-
    आलू-१० रु. पसेरी,प्याज़-२०रु.पसेरी,लौकी-५रु. का एक,बैगन-६ रु.किलो,मटर-४०रु.पसेरी,पालक ५ रु. किलो,देसी टमाटर ३० रू. पसेरी आदि मिल जाता है!पर वहाँ के एक औसत परिवार की आय १०००० रु माह है अब बताईये... आमदनी ना कम है!

    ReplyDelete
  4. वैसे, सब कुछ सापेक्ष है। विकसित देशों में महंगाई की दर एक फीसदी भी नहीं होती। कही-कहीं तो ये निगेटिव में है। यानी जीवन स्थिर है, ज्यादा भागदौड़ नहीं है। बेरोजगारी से लेकर इलाज और पेंशन तक के पुख्ता इंतज़ाम हैं। एक्सचेंज रेट की वजह से भारत सस्ता है, लेकिन आमदनी और खर्च के अनुपात को देखें तो विदेश में रहना ज्यादा सुखकर है।

    ReplyDelete

एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...