Sunday, April 17, 2016

सत्ता आने के साथ समाज की समझ घटती जाती है

दैनिक जागरण में 18 अप्रैल को प्रकाशित
#BJPAgainstOddEven #twitter पर मजे से ट्रेंड कर रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल @ArvindKejriwal सहित पूरी आम आदमी पार्टी इसे ट्वीट करके बता रही है कि भारतीय जनता पार्टी इस न भूतो न भविष्यति वाली योजना में बाधा पहुंचा रही है। लेकिन, मुझे लग रहा है कि दिल्ली की जनता सम-विषण से नाराज हो रही है। बुरी तरह। मैं तो तथ्यों के आधार पर इसके खिलाफ हूं। क्योंकि, ये कतई प्रदूषण से लेकर ट्रैफिक जाम तक कुछ नहीं सुधारने वाला। दुनिया भर में इसकी मिसाल है। सम-विषम प्रदूषण या यातायात की समस्या का समधान नहीं है। इसे यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं। शनिवार 16 अप्रैल को किसी काम से मुझे दिल्ली जाना था। मेरी कार का नंबर विषम पर खत्म होता है। तीन बार दिल्ली में ऑटो लिया। कोई मीटर से चलने को तैयार नहीं हुआ। नोएडा में तो खैर मीटर की बात करना मंगल ग्रह से आए प्राणी जैसी दिखना हो जाता है। लगभग जबरदस्ती पुलिस की धौंस दिखाकर ऑटोवाले से मीटर चलाने को कहा। उसने बात नहीं सुनी। आखिरकार कुछ ज्यादा देकर ही छूटे। #Uber ने बड़ा सा विज्ञापन दे रखा था कि वो आज #EVEN150 यानी 150 रुपए तक की यात्रा मुफ्त कराएगा। कहीं कोई उबर टैक्सी मिली ही नहीं। #OlaCabs पर माइक्रो, मिनी में तीन गुना ज्यादा पर टैक्सी उपलब्ध थी। ये एक पक्ष था।


दूसरे पक्ष का अनुभव हुआ, जब नोएडा सिटी सेंटर से मेट्रो पकड़ी। चिलचिलाती गर्मी में सीढ़ियों से नीचे तक कतार लगी थी। जबरदस्त भीड़ थी। दो लाइनों में भी सीढ़ी खत्म होने के बाद भी कतार में खड़े होना पड़ा। कतार में ही एक पुराने सहयोगी मिल गए। वो भी मीडिया में ही हैं। दफ्तर जा रहे थे। मेट्रो ट्रेन आई। हम लोग लपककर सीट पा गए। थोड़ी सीट मिलने के दंभ में थे कि अचानक सोमराज अपना बैग चेक करने लगे। पूरा बैग चेक करने के बाद समझ में आया कि पर्स गायब हो चुका था। फिर मैंने उनको सलाह दी कि सबसे पहले #FIR कराइए क्योंकि, #PANCARD #ADHAARCARD #DebitCard बनवाने के लिए उसकी जरूरत होगी। वो लौटे। लौटने के बाद पता चला कि उसी दौरान दस पंद्रह ऐसे मामले सामने आए। कई लोगों ने पर्स चोरी जाने के बाद भी लौटना जरूरी नहीं समझा होगा। पुलिस का अनुमान था कि भीड़ ज्यादा होने की वजह से ये घटना ज्यादा बढ़ी है। #OddEven का ये बुरा असर तो कभी हमारी कल्पना में भी नहीं था। मुझे लगता है कि अरविंद केजरीवाल शायद अब जनता की नब्ज समझ नहीं पा रहे हैं। और जिस तरह से दिल्ली के दिल से तैयार होने वाला विज्ञापन दिखा रहे हैं। वो दिल्ली के लोगों को चिढ़ाता नजर आ रहा है। इस चिलचिलाती गर्मी में कार चलने वालों की कार छीनकर वो कार वालों को बुरी तरह से नाराज कर ही रहे हैं। मेट्रो और बसों में ज्यादा भीड़ बढ़ने से उन लोगों को भी नाराज कर रहे हैं। लेकिन, सत्ता के साथ ये हो जाता है। समाज की समझ कम होती जाती है। 

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