Saturday, April 23, 2016

जैसे को तैसा!

Xinhua एजेंसी पर Uighar खोजने पर ये मिला
किसी भी दिन शायद ही ऐसा होता हो, जब सोशल मीडिया के जरिये आप तक कोई ऐसा संदेश न पहुंचता हो, जिसे पूरी दुनिया में फैला देने की जरूरत बताई जाती हो। अकसर वो संदेश निहायत बेवकूफाना ही होता है। लेकिन, चीन के dolcun isa डॉलकुन ईसा को भारतीय वीसा मिलने की खबर सचमुच पूरी दुनिया में फैलाने लायक है। चीन के विद्रोही Uighur ऊईघर समुदाय के नेता हैं डॉलकुन ईसा मदद देते हैं। और डॉलकुन रहते जर्मनी में हैं। जर्मनी में ही रहकर वो दुनिया भर में ऊईघर विद्रोहियों की मदद करते हैं। चीन का शिनजियांग प्रांत मुस्लिम बहुल है। और इस प्रांत के लोग स्वतंत्रता और स्वायत्तता की लड़ाई लड़ रहे हैं। इन्हीं लोगों की अगुवाई डॉलकुन ईसा Dolcun Eesa करते हैं। डॉलकुन अपने राजनीतिक अधिकारों के लिए हिंसक तरीके को जायज नहीं मानते हैं। लेकिन, चीन के तानाशाही शासन में किसी भी तरह के अधिकार की बात करना चीन के खिलाफ जाना है। इसीलिए चीन ने डॉलकुन ईसा को आतंकवादी घोषित कर रखा है। इसीलिए जब भारत ने डॉलकुन ईसा को दलाई लामा से मिलने के लिए भारतीय वीसा देने का एलान किया, तो चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। चीन के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता हुआ चुनाइंग Hua Chunying ने कहा कि “What I want to point out is that Dolkun is a terrorist on red notice of the Interpol and Chinese police. Bringing him to justice is due obligation of relevant countries.” डॉलकुन एक आतंकवादी है और चीन की पुलिस और इंटरपोल की तरफ से डॉलकुन के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस फैसले को अंजाम दिया है। और इसकी सबसे बड़ी वजह चीन का अजहर मसूद को आतंकवादी घोषित करने में अड़ंगा लगाना है। चीन संयुक्त राष्ट्र संघ में मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के फैसले में बाधा बना था। और भारत के कड़े एतराज के बावजूद चीन ने कहाकि तकनीकी वजहों से Jaish-e-Muhammad chief Masood Azhar मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी नहीं घोषित किया जा सकता है।

माना जा रहा है कि चीन की पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को मदद करने के खिलाफ कड़ा एतराज जताने का ये तरीका भारत ने निकाला है। इससे पहले 2009 में चीन के एक और ऊईघर नेता रेबिया कादिर Rebiya Kadeer को तत्कालीन भारत सरकार ने वीसा नहीं दिया था। 2009 में डॉलकुन को दक्षिण अफ्रीका इसी वजह से जाने की इजाजत नहीं मिली थी। चीन की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डॉलकुन 1990 में Toksu, Xinjiang में हुए आंतकी हमलों का गुनहगार है। डॉलकुन ने 1997 में चीन छोड़ दिया और जर्मनी में शरण ली। चीन ईसा के World Uyghur Congress पर शिनजियांग में हिंसक गतिविधि का जिम्मेदार बताता है। खासकर 2009 में हुए भीषण दंगे का मास्टरमाइंड, जिसमें 197 जानें गईं थीं। लेकिन, विश्व ऊईघर कांग्रेस ने इसे पूरी तरह नकार दिया है। उनका कहना है कि वो ऊईघर दमन को दुनिया के सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं और ये आंदोलन पूरी तरह से अहिंसक है। अब वही विश्व ऊईघर कांग्रेस 28 अप्रैल को धर्मशाला में हो रही है। इसी के लिए डॉलकुन को भारतीय वीसा मिला है। चीन की आंख की किरकिरी इसलिए भी बढ़ गई है कि इस विश्व ऊईघर कांग्रेस को आयोजित करने वाली लोकतंत्र समर्थक संस्था के अध्यक्ष Yang Jianli यांग जिनाली हैं, जो 1989 में Tiananmen Square पर होने वाले छात्र प्रदर्शन में शामिल थे। धर्मशाला में होने वाले विश्व ऊईघर कांग्रेस में दलाई लामा भी होंगे। लामा पहले से ही चीन की आंख की किरकिरी हैं। चीन में तानाशाही होने की वजह से वैसे तो चीन की खबरें ना के बराबर ही आती हैं। लेकिन, शिनजियांग प्रांत के अल्पसंख्यक ऊईघर मुसलमान विद्रोहियों की तो खबरें दुनिया भर में जाने से रोकने की कोशिश चीन की सरकार करती है। इस कदर कि इतनी बड़ी खबर CNN और Washington Post जैसे पश्चिमी मीडिया में भी ये खबर तलाशने पर मिली नहीं। जाहिर है फिर चीन की Xinhua एजेंसी पर खबर कैसे मिलती। इंटरनेट सर्वर एरर बता रहा है। सिर्फ भारतीय मीडिया ने इस खबर को सलीके से छापा है। इसलिए जरूरी है कि ये खबर सबको पता चले। ये पता चले कि भारत सठे साठ्यंसमाचरेत् मुद्रा में आ गया है। भारत ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में आजादी की मांग कर रही बलूच नेता नाएला कादरी Baloch nationalist leader Naela Qadri Baloch को भी दिया। नाएला कनाडा में निर्वासन में हैं। और वहीं से बलूच स्वतंत्रता आंदोलन चला रही हैं। चीन और पाकिस्तान, भारत के दो ऐसे पड़ोसी देश हैं। जिन्होंने भारत के हर नरम लहजे को उसकी कमजोरी के तौर पर देखा है। पहली बार इन दोनों को ये समझ आ रहा होगा कि आंतरिक मामलों में दखल देना क्या होता है।

No comments:

Post a Comment

एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...