Thursday, February 26, 2015

रेल बजट - गवर्नमेंट विद द डिफ्रेंस

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने नई ट्रेन का एलान नहीं किया। मन में एक सवाल आ रहा है कि क्या इससे पहले कोई ऐसा रेल बजट था जिसमें किसी नई ट्रेन का एलान नहीं हुआ। ये छोटा सवाल नहीं है। जिस देश में एक हैंडपंप देने से लोगों की राजनीति चलती, बनती, बिगड़ती रही हो, वहां रेल बजट में एक भी नई ट्रेन न चलाने के एलान मतलब आसानी से समझा जा सकता है। मुझे तो रेलमंत्री ने पूरी तरह से खुश कर दिया है। राजनीतिक नहीं रेल बजट है ये। पहली बार रेल बजट पेश हुआ है वरना तो राजनीतिक वोट बजट पेश किया जाता था। वरना कितना बेहूदा बजट होता था। इलाके की ट्रेन का एलान और उस पर संसद मस्त। कब चलेगी, किस पटरी पर चलेगी, कुछ पता नहीं होता था। उस पर रेल मंत्री इस अंदाज में नई ट्रेन या रेलवे से जुड़ी नई परियोजनाओं का एलान करते, जैसे कोई राज प्रजा को देता है। धन्यवाद सुरेश प्रभु रेल बजट पेश करने के लिए। वरना तो राजनीतिक वोट बजट बनकर ही रह जाता था रेल बजट। एक बात और साफ हो जाए तो ठीक। अगले बजट में करिए कि कितना कमाकर कितना बचाया और उससे कितना कुछ बढ़ाया। जो चल रही हैं वो ट्रेनें समय से चलें, रफ्तार बढ़े, खाना अच्छा मिले, साफ सुथरा बिस्तर मिले, सुरक्षा रहे।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पहले के रेल मंत्रियों की तरह मुस्कुराते हुए श्रद्धा भाव से रेलवे के लिए ज्यादा फंड देने पर वित्त मंत्री का शुक्रिया नहीं अदा किया। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर देखते हुए कहा कि वित्त मंत्री से मदद मांगते रहना व्यवहारिक नहीं है। हमें अपना संसाधन तैयार करना होगा। संपत्ति बेचेंगे नहीं, उससे कमाई करेंगे। बहुत बड़ा बदलाव है ये। इस सरकार के गवर्नमेंट विद द डिफ्रेंस का बड़ा प्रमाण है ये। वैसे तो ढेर सारी ऐसी बातें हैं जिस पर मैं विस्तार से लिख सकता हूं। लेकिन, मैं मोटे तौर पर रेल बजट के गवर्नमेंट विद द डिफ्रेंस के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा करूंगा। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने लंबे समय की दृष्टि के साथ बजट पेश किया। अगले पांच साल में साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बताई है। बिना किसी नई योजना के दबाव के साथ रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बताया कि ट्रैक 14% बढ़ाकर 138000 किलोमीटर किया जाएगा। रेल मंत्री ने बताया कि नई रेल पटरियां बिछाने के लिए जमीन लेने का भी सीधा सा प्रस्ताव है। सुरेश प्रभु बता चुके हैं कि जमीन के लिए राज्यों के साथ और नई लाइन बिछाने के लिए सरकारी कंपनियों के साथ साझा योजना लागू करेंगे। मैं निजी तौर पर मानता हूं कि  #LandAquisiton की आधी मुश्किल तो इसी से खत्म हो जाएगी।

रेल मंत्री सुरेश प्रभु को ये अच्छे से पता है कि योजनाओं के एलान में तो पहले भी कमी नहीं थी। कमी थी तो उसके क्रियान्वयन में। इसीलिए बेहतर, समय पर डिलीवरी के लिए रेलवे के सांगठनिक ढांचे को दुरुस्त करने की बात रेल मंत्री ने की है। नई ट्रेन, योजना में फंसे पुराने रेल मंत्री कभी रेलवे को इक्कीसवीं सदी के लिहाज से बेहतर बनाने का सही खाका ही सोच नहीं पाए। रेल मंत्री ने देश के चार विश्वविद्यालयों में रेलवे रिसर्च सेंटर बनाने का एलान किया है। बबनारस हिंदू विश्वविद्यालय की IIT में मालवीय चेयर फॉर रेलवे टेक्नोलॉजी बनाने का भी एलान किया गया है। वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है।

सुरेश प्रभु ने देश में 9 हाई स्पीड कॉरीडोर बनाने की बात कही है। मुंबई अहमदाबाद बुलेट ट्रेन की रिपोर्ट साल के मध्य तक आने की बात रेल मंत्री ने बताई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता रात भर की यात्रा होगी। पहली बार किसी रेल मंत्री ने साफ साफ बताया कि डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर यानी DFC के 1300 किलोमीटर का ठेक इसी साल दे दिया जाएगा। उत्तर पूर्व के लिए विशेष योजना की बात रेल मंत्री ने बताई है जो, सुखद है। कश्मीर को तेज रफ्तार ट्रेनों से जोड़ेंगे। ये सुखद होगा अगर ये चमत्कार हो गया। रेल मंत्री का कहना है कि देश में एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रा का समय बीस प्रतिशत कम होगा। इसको उदाहरण से समझें तो इलाहाबाद जो 9.30 घंटे में पहुंचते हैं, 7.30 घंटे में पहुंचेंगे। और ये इसी ट्रैक पर संभव है ऐसा रेल मंत्री ने बताया है। 67% ज्यादा खर्च यात्री सुविधा पर बढ़ाया जाएगा। सांसद, NGO, उद्योगपति, संस्थाओं से यात्री सुविधाओं में मदद की अपील रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने की है।

अब उन छोटी छोटी बातों की चर्चा कर लेते हैं जिस पर हर रेल यात्री की चिंता निरंतर रहती है। डिजिटल इंडिया का नारा तो बार बार सुनाई देता है। ये अमल में कैसे आएगा। साफ साफ पता कर पाना मुश्किल होता है। अब सोचिए सामान्य डिब्बों में मोबाइल चार्जिंग के प्वाइंट क्या है। अगर स्मार्टफोन हर कोई ले सकता है तो यात्रा में स्मार्टफोन का मजा हर कोई क्यों नहीं ले सकता। इसके लिए एसी क्लास में यात्रा क्यों करनी जरूरी हो। रेलवे में सब एक बराबर। एक जैसी तकनीकी सुविधा। सामान्य डिब्बों में भी चार्जिंग प्वाइंट। एक ये प्रयास भी बहुत पहले से चल रहा है। अब लग रहा काफी हद तक पटरी पर आएगा। टीटीई के हाथ की मशीन से टिकट चेक होगी। पेपरलेस रेलवे की कोशिश। साथ ही ट्रेन की देरी की स्थिति में आधा घंटा पहले उसके समय की जानकारी SMS के जरिए यात्री को मिल जाएगी। ए श्रेणी के स्टेशनों के साथ बी श्रेणी के स्टेशनों पर भी वाई फाई की सुविधा होगी। ऐसे 400 स्टेशन हैं। 200 और स्टेशन मॉडल स्टेशन बनेंगे। बिना कर्मचारियों वाली रेलवे क्रॉसिंग सुरक्षित करने को भी सुरेश प्रभु ने अपनी प्राथमिकता में बताया है। और उसके लिए सड़क परिवहन मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने की योजना बनाई है।  

और कुछ बातें शानदार हैं। ऊपर की सीट पर आसानी से पहुंचा जा सके इसके लिए नए तरह की सीढ़ियां बनाने की बात है। बुजुर्ग, महिलाओं को नीचे की सीट देने की प्राथमिकता होगी। 108 ट्रेनों में मनपसंद खाने की बात भी रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने बताई। स्थानीय खाना मिलेगा। ये सुनते अरसा हो गया है। लागू होते देखा तो ये भी चमत्कारिक होगा। रेल मंत्री ने Operation 5 minutes जैसी योजना की भी बात की है जिसमें अनारक्षित टिकट सिर्फ 5 मिनट में मिलेगा। कैसे हो पाएगा वो बता रहे हैं लेकिन, कैसे हो पाएगा ये देखना चमत्कारिक होगा। इस्तेमाल करिए, फेंक दीजिए। मतलब डिस्पोजेबल बेडशीट। ये सबसे जरूरी है स्वच्छ भारत के लिए। रेल मंत्री ने कहा है कि स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत रेलवे का नया नारा होगा।

रेल बजट में गवर्नमेंट विद द डिफ्रेंस को देखकर मैंने अच्छी बातें कीं। लेकिन, अब वो जिसमें पिछली सरकारों से जरा सा भी बदलाव नहीं दिख रहा है। सुरेश प्रभु को मैं बहुत पसंद करता हूं। उनके पहले के काम की वजह से। मैं बहुत खुश हुआ था जब उन्हें रेलमंत्री बनाया गया। वो अच्छा करेंगे, ये भी अच्छे से जानता हूं। लेकिन, आज लोकसभा में रेल बजट भाषण अंग्रेजी में पढ़ते अच्छे नहीं लग रहे। हिंदी-मराठी मिलाकर भी बोलते तो मुझे बहुत अच्छे लगते। डिस्क्लेमर - इसे #RailBudget2015पर टिप्पणी नहीं माना जाए।

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