हिंदुस्तान अखबार में |
YSR रेड्डी भी बहुत बड़े नेता थे। इतने बड़े कि उनकी दुखद मृत्यु के बाद राज्य के अलग-अलग हिस्सों से 150 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान दे दी। सवाल ये नहीं है कि किसी नेता की लोकप्रियता कितनी हो। और उसकी अभिव्यक्ति के तरीके क्या हों। लेकिन, अगर किसी नेता की मौत पर उसका समर्थक समाज आत्महत्या कर रहा है। तो, ये समझना आसान हो जाता है कि उस नेता ने अपनी नेतृत्व क्षमता का इस्तेमाल उनके व्यक्तित्व विकास के बजाय व्यक्तित्व खत्म करने में किया है। इस कदर खत्म कर दिया कि एक नेता के मरने, जेल जाने, उसका बंगला खाली होने के बाद वो जान देने, लेने को तैयार हो जाते हैं। गुलाम, अपनी गुलामी साबित करने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते हैं और वो छोड़ते भी नहीं हैं। यही गुलामी है। और अगर ये गुलामी नहीं है तो फिर गुलामी क्या है। लॉर्ड और वायसराय का राज।
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