Wednesday, September 03, 2014

रियल एस्टेट रेगुलेटर लाओ मोदी जी

लोगों को घर की जरूरत बहुत ज्यादा है। इसलिए घर बनाने वाले हमेशा रहेंगे। लेकिन, सवाल ये है कि क्या घर के नाम पर लोगों की भावनाओं, सुरक्षा, कमाई सबके साथ समझौता करने की मजबूरी भी बिकेगी। या कहें कि मजबूरी में घर खरीदने वाले को जीवन दांव पर लगाने को तैयार रहना होगा। अभी मेरे अपार्टमेंट में हुई मौत की खबर का जिक्र मैंने किया था। आज टाइम्स ऑफ इंडिया के पहले पन्ने पर ये बड़ी अच्छी खबर पढ़ी। अच्छा है कि भारतीय लोकतंत्र में अदालतें इधर अपना काम अच्छे तरीके से कर रही हैं। लेकिन, इसी के साथ ये सवाल भी कि आखिर कितने लोग उच्चतम अदालत तक बिल्डर से लड़ाई लड़ पाते हैं। सोचिए 11 साल से बिल्डर सोसाइटी के लोगों की जिंदगी को दांव पर लगाए था।

कितने लोग अपनी रोज की नौकरी, बीवी-बच्चे और रोज की दूसरी जीने की किचकिच के बीच बिल्डर से लड़ सकते हैं। ये लोगों का काम नहीं है। लोगों को घर मिले ये तय करना सरकार का ही काम है। अगर सरकार सीधे घर नहीं दे पा रही है तो ये सरकार की कमी है। इसलिए कम से कम सरकार इतना तो तय करे कि बिल्डरों पर शिकंजा से। कम से कम घर लेने वालों का सुख चैन गिरवी तो न रखा जाए। सरकार रेगुलेटर लाए, कुछ भी करे लेकिन, सबसे ज्यादा लोगों के जीवन को बेचैन करने वाले बिल्डरों पर लगाम लगनी जरूरी है। ये कैसे होगा ये आप देखिए, करिए मोदी जी 

No comments:

Post a Comment

एक देश, एक चुनाव से राजनीति सकारात्मक होगी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकार कर लिया था। इसीलिए इस द...