एक
नवंबर को दीपावली की शुभकामनाएं देने के बहाने वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने पत्रकार
वार्ता बुलाई। पत्रकार वार्ता में दीपावली की शुभकामना के बहाने वित्त मंत्री देश
को ये बताने आए थे कि देश की अर्थव्यवस्था के हालात काफी बेहतर हुए हैं। काफी हद
तक वित्त मंत्री पी चिदंबरम की बात सही भी थे। पुख्ता आंकड़े थे उनके पास
अर्थव्यवस्था की हालत सुधरने की बात साबित करने के लिए। चालू खाते का घाटा काबू में आता दिख रहा है। देश की
अर्थव्यवस्था जिन अहम उद्योंगों पर टिकी हुई है उस कोर सेक्टर की ग्रोथ बेहतर हुई
है। निवेशकों का भरोसा बना हुआ है। मतलब विदेशी निवेशक एफआईआई और एफडीआई दोनों ही
तरीकों से भारत में निवेश कर रहे हैं। अप्रैल से अगस्त तक एफडीआई यानी प्रत्यक्ष
विदेशी निवेश के जरिए 13
बिलियन डॉलर से ज्यादा देश में आ चुका
है। एफआईआई के जरिए भारतीय शेयर बाजार में अच्छी खासी रकम आ चुकी है। जनवरी से
अक्टूबर महीने तक एफआईआई यानी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजार में नब्बे
हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम लगाई है। सिर्फ सितंबर और अक्टूबर महीने की बात
करें तो सितंबर में तेरह हजार करोड़ रुपये और अक्टूबर में साढ़े पंद्रह हजार करोड़
रुपये से ज्यादा का विदेशी निवेश भारतीय शेयर बाजार में आया है। विदेशी निवेश की
इस ताकत ने ही सेंसेक्स को एक बार फिर से तीन साल के बाद इक्कीस हजार के ऊपर
पहुंचा दिया था। इसके अलावा भारत सरकार की एक और बड़ी चुनौती भी काफी हद तक काबू
में दिख रही है। चालू खाते का घाटा इस साल 60 बिलियन डॉलर रहने की
उम्मीद वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने जताई है। पिछले साल चालू खाते का घाटा 88 बिलियन डॉलर था। इसके अलावा वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ये भी
बताया कि साढ़े तीन
लाख करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट की
बाधाएँ दूर की जा चुकी हैं।
शुभ दीपावली बोलने आए
वित्त मंत्री हालांकि, किसी भी आर्थिक अशुभ की खबर पर चर्चा नहीं करना चाहते थे
लेकिन, सारे मजबूत आंकड़ों को पेश करते उनके मुंह से एक जरूरी बात निकली जो समझनी
बेहद जरूरी है। वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मुस्कुराते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था के
हालात बेहतर हुए हैं और आगे बेहतर ही होंगे। लेकिन, उन्होंने निवेशकों को शेयर
बाजार में ज्यादा उत्साह में निवेश करने से बचने की सलाह दी। इस सलाह के मायने
समझना जरूरी है। वित्त मंत्री ने अपनी आगे की जो प्राथमिकताएं गिनाईं वो इस सलाह
की वजह साफ कर देती हैं। चिदंबरम साहब ने कहा कि रुपया स्थिर हुआ है लेकिन, उसे और
स्थिर करना, शेयर बाजार में स्थिरता और महंगाई घटाना प्राथमिकता होगी। उन्होंने
जोड़ा कि ये प्राथमिकताएं पूरी हुईं तो सरकार और फैसले ले सकेगी। अब ये समझने की
कोशिश करते हैं कि आखिर इन प्राथमिकताओं के पूरा होने और फैसले लेने की बात
चिदंबरम साहब को क्यों कहनी पड़ी। दरअसल इन्हीं प्राथमिकताओं में ही सारी बात छिपी
हुई है। पिछले एक महीने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के स्थिर भाव और डॉलर
के मुकाबले रुपये के करीब 62 के आसपास के स्थिर भाव से देश में पेट्रोल की कीमतें
तेल मार्केटिंग कंपनियां महीने भर में पांच रुपये लीटर से ज्यादा सस्ता कर चुकी
हैं। लेकिन, ये बात कब तक बनी रहेगी ये अंदाजा लगाना मुश्किल है। क्योंकि, अब
सर्दियां शुरू हो चुकी हैं। और अमेरिका, यूरोप में गैसोलीन की खपत तेजी से बढ़
जाएगी और उस वजह से कच्चे तेल की मांग भी। अकसर कई सालों से ये भी ट्रेंड रहा है
कि दीपावली के ठीक पहले के दो तीन महीने एफआईआई यानी विदेशी निवेशक जमकर रकम लगाते
हैं और शेयर बाजार के अहम सूचकांक सेंसेक्स को इक्कीस हजार के जादुई आंकड़े तक
पहुंचा देते हैं और भारतीय रिटेल निवेशकों में ये भरोसा जग जाता है कि फिर से
बाजार 2008 के पहले वाला बाजार हो गया है वो आते हैं निवेश करते हैं और फंस जाते
हैं। क्योंकि, जब वो अपनी गाढ़ी बचत की कमाई शेयर बाजार में लगा रहे होते हैं तो
धीरे-धीरे कब एफआईआई अपने निवेश पर काम भर का मुनाफा कमाकर निकल जाते हैं पता ही
नहीं लगता। दीपावली पर रोज के पेट्रोल की कम हुई महंगाई राहत देती है लेकिन, दूसरी
महंगाई अभी भी भारतीयों को जमकर परेशान कर रही है। इसीलिए वित्त मंत्री की आगे की
प्राथमिकता में महंगाई को काबू में करना सबसे आगे हैं।
बीती मॉनिटरी पॉलिसी
का असर दिखना शुरू हो चुका है। रघुराम राजन के रेपो रेट बढ़ाने के असर से देश के
सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और देश के सबसे बड़े होम लोन देने वाले बैंक
एचडीएफसी ने करीब दशमलव दो प्रतिशत बेस रेट बढ़ाकर उसे दस प्रतिशत कर दिया है। मतलब
बैंकिंग के नेताजी लोग इशारा दे चुके हैं पीछे-पीछे छोटे-बड़े बैंक भी यही करेंगे
और महीने की तय तारीख पर किस दिन से आपकी बढ़ी ईएमआई कटेगी इसका बस इंतजार भर
करिए। ये महंगाई तो महीने में एक दिन मारेगी। लेकिन, हर रोज प्याज, टमाटर और आलू
का बढ़ा भाव आपके खाने का स्वाद पहले से ही कड़वा कर रहा है।
और एक शेयर बाजार से
दीपावली की मुहूर्त ट्रेडिंग के दिन अच्छी खबर आई जब छे साल बाद सेंसेक्स ने
इक्कीस हजार के ऊपर रिकॉर्ड स्तर पर बंद होने में कामयाबी पाई। 8 जनवरी 2008 वो तारीख है जिस दिन
सेंसेक्स ने 21000 के जादुई आंकड़े को पार किया था। हालांकि, उस दिन भी सेंसेक्स
बंद हुआ तो इक्कीस हजार के आंकड़े को बरकरार रखने में कामयाब नहीं हो पाया। और 5
नवंबर 2010 को पहली बार सेंसेक्स इक्कीस हजार के जादुई आंकड़े के ऊपर बंद होने में
कामयाब हो पाया। लेकिन, उस तारीख से अगले तीन सालों तक सेंसेक्स 21000 के आंकड़े
के ऊपर बंद नहीं हो सका। 30 अक्टूबर 2013 को सेंसेक्स 21000 के ऊपर बंद हुआ। और
इक्कीस हजार का ये जादुई आंकड़ा इस दीपावली की मुहूर्त ट्रेडिंग के दिन सारे
पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त करने में कामयाब रहा और सेंसेक्स 21,239 अंकों की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद होने में
कामयाब रहा। जाहिर शेयर बाजार, सरकार और निवेशकों के लिए ये बड़ी खुशी की खबर है। लेकिन,
फिर से वो तारीख याद करें जिस दिन सेंसेक्स इक्कीस हजार के पार पहुंचा था तो सारी
खुशी हवा हो जाती है। क्योंकि, करीब छे साल बाद भी शेयर बाजार उसी जगह खड़ा है
यानी इक्कीस हजार पर। जबकि, इन छे सालों में महंगाई करीब सत्तर प्रतिशत बढ़ी है। इसका
सीधा सा मतलब हुआ कि जो भी शेयर बाजार में बना हुआ है या ऐसे उछाल वाले मौकों पर
शेयर बाजार में कूदता है वो पूरी तरह से घाटे में है। मतलब साफ है सेंसेक्स का
इक्कीस हजार पर होना भ्रम है। मनमोहिनी अर्थव्यवस्था मनमोहन सिंह के ही काबू में
नहीं दिख रही है। सरकार के सुधार के फैसलों पर विदेशी निवेशक यकीन करने करने को
तैयार नहीं हैं। वॉलमार्ट की कोई दुकान दस लाख से ज्यादा की आबादी वाले शहरों को
तो छोड़िए दिल्ली मुंबई के बाजार में भी फिलहाल नहीं दिखने वाली। और सबसे ज्यादा
हैरान करने वाली बात ये है कि शेयर बाजार की इस तेजी के पीछे एक बड़ी वजह ये भरोसा
माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए की सरकार आने वाली है। यानी
सरकार के फैसलों का कम ही योगदान शेयर बाजार की तेजी में है। इसलिए वित्त मंत्री
पी चिदंबरम की सलाह मैं दोहराना चाहूंगा कि रिटेल निवेशक इस समय शेयर बाजार में
ज्यादा उत्साह दिखाने से बचें। बाजार में निवेश के मौके अभी फिर आएंगे। 21000 के
बाजार और यूपीए की सरकार के रिश्ते अभी बने हुए हैं। दीपावली के तुरंत बाद
सेंसेक्स ने अपनी सारी कमाई खो दी है। सेंसेक्स लगातार संघर्ष कर रहा है 21000 पर
बने रहने के लिए।
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