Friday, November 22, 2013

इस तेजपाल का ‘तेज’ पूरी तरह खत्म होना जरूरी है

#Tehelka वाले Tarun #Tejpal याद हैं ना। अरे वही जो खोजी पत्रकार हैं। एक लड़की खोजा उसे खोजी पत्रकार बनाया। गलत व्यवहार किया। लड़की ने मामला उठाया तो बड़े संपादक होने का अहसास जागा। 6 महीने के लिए इस्तीफा देकर महान बनने का रास्ता खोजना चाहा लेकिन, मीडिया के दूसरे गैरखोजी पत्रकारों की नजर उस पर पड़ गई। टीवी की ब्रेंकिंग तेजपाल बन गए हैं। और मुझे लगता है कि यही टीवी की ताकत है। नंगा नंगा दिखता है। और इस मामले में तरुण तेजपाल जैसों का नंगापन इसलिए भी दिखना सामने आना ज्यादा जरूरी है कि इन जैसे लोगों की वजह से जाने अनजाने ऐसे कर्म न करने वाले भी धीरे-धीरे इसे स्वीकार करने लगते हैं। और ये फिर समाज की ऐसी स्वाभाविक प्रवृत्ति के रूप में नजर आने लगता है जहां नैतिकता शब्दकोष में से मिटा देना ही ठीक लगने लगता है। इतना तो वैसे भी समाज में मान्य हो चला है कि अगर दो वयस्क एक दूसरे से सहमत होकर शारीरिक संबंध बनाते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। फिर वो चाहे आधी से भी कम उम्र की बेटी समान लड़की ही क्यों न हो। अब सोचिए कि जिस लड़की के साथ तरुण तेजपाल जैसे पत्रकार ने जबर्दस्ती शारीरिक संबंध बनाए।पैदा होने के साथ वो लड़की #Tarun Tejpal को पिता की तरह देखती रही तेजपाल उसके पिता का दोस्त था। समझदार हुई तो आदर्श पत्रकार का सम्मान देती रही। इसी आदर्श में संभवत:  उसने तहलका पत्रिका में काम शुरू किया होगा।

सबसे बड़ा सवाल तो अब यही है कि #Tehelka या #Tarun Tejpal कैसे किसी महिला के खिलाफ अत्याचार पर निष्पक्ष रिपोर्ट दे सकते हैं। या पहले जो भी रिपोर्ट उनके संपादकत्व में छपी हैं वो कितनी निष्पक्ष रही हैं। जिंदा रहे सोशल मीडिया कि उसके दबाव में टीवी अखबार में भी ये खबर आई। और टीवी न्यूज चैनलों पर संपादकों ने इस खबर को प्राइम टाइम में अच्छे से बहस का मुद्दा भी बनाया। लेकिन, एक बात जो चैनलों के काफी संपादकों के मुंह से बुरी लग रही थी कि वो बार-बार तरुण तेजपाल के इस बलात्कारी कृत्य पर चर्चा से पहले तेजपाल की महानता की किस्सागोई करने लग रहे थे। महान खोजी पत्रकार बताने से ही हर कोई शुरुआत कर रहा था। कुछ स्वनामधन्य संपादक टाइप के पत्रकार तो इसी में संतुष्ट हो जाना चाह रहे थे कि तरुण तेजपाल को गलती का अहसास हुआ और उन्होंने छे महीने की संपादकी छोड़कर प्रायश्चित करने का फैसला भी तो खुद ले लिया। इससे डर लगता है कि ऐसा न हो टीवी में नैतिकता शब्दकोष से गायब कर चुके संपादकों की फौज तरुण के इस कृत्य को फिल्मों का चीनी कम जैसा कृत्य समझकर निशब्द हो जाए। टीवी संपादकों के लिए ये बड़ी परीक्षा का समय है। जिस नैतिकता और पत्रकारीय, सामाजिक मर्यादा का हवाला देकर उन्होंने आसाराम के मामले को उठाया था। उससे जरा सा भी कम रहे तो जनता उन्हें गाली तो देगी ही बचा खुचा भरोसा भी टूटेगा। तेजपाल को कानून कब पकड़ेगा ये सवाल टीवी स्क्रीन पर दिखना जरूरी है। टीवी संपादक जी लोग संज्ञान में लें तो उनके लिए बेहतर। चलाएं कि तेजपाल पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कर रही पुलिस। चलाएं कि आखिर क्यों तेजपाल है अब तक जेल से बाहर। फोन पर, लाइव बैठाकर- पुलिस, मंत्री, संबंधित अधिकारियों से सवाल पूछें। 8-10 खिड़कियों में मेहमान बैठाकर धुआंधार बहस करें तब तक जब तक ये तरुण तेजपाल जेल के भीतर न चला जाए। और इस तेजपाल से सहानुभूति रखकर इसे महान न बनाएं। इस लिंक को जरूर पढ़िए जिसमें उन दोनोंवाकयों की पूरी कहानी है। इसी लिंक में से मैं कुछ जरूरी लाइनें यहां भी चिपका रहा हूं। जो इसलिए भी जरूरी है कि जो मिडिल क्लास तरुण तेजपाल जैसे चरित्रों को महान समझकर अपनी सारी जिंदगी गुजार देता है उसकी मूल भावनाओं की ऐसी तैसी कैसे हर रोज ये करते रहते हैं। "Think" सेमिनार था तहलका का। गोवा के ग्रैंड हयात होटल में जिसमें इस तथाकथित महान खोजी पत्रकारिता करने वाली पत्रिका बात कर रही थी बड़े-बड़े लोगों को बुलाकर। वहीं ये सब हुआ।

(पीड़ित लड़की)I said “It’s all wrong. I work for you and Shoma.” He said first “It’s alright to be in love with more than one person,” and then he said, “Well, this is the easiest way for you to keep your job.” I was walking still faster, blinking back tears.

This was the first time the two of us had really met since the incident of the previous night. Since I had moved to Mumbai about a year and a half ago, Tiya had grown to become one of my closest friends. She lives across the road from my house in Mumbai and barely a day had passed when the two of us did not meet or talk to each other constantly. She was sitting beside me, and Mr De Niro was absorbed in conversation with his daughter. I could not keep something of this magnitude from her. I told her she would hate me for what I was telling her – but that Mr Tejpal had tried to molest me on these two separate occasions. I said “He tried to shove his tongue down my throat and then took my panties off”, when Tiya replied saying “I saw him do this to a woman when I was thirteen, so it doesn’t surprise me anymore,” but she was clearly disgusted.


देशज कहावत है डायन भी 7 घर छोड़ती है #Tehelka वाले Tarun #Tejpal तो बेटी की दोस्त को भी नहीं छोड़े । इसलिए इस तेजपाल को छोड़ना ठीक नहीं होगा।

6 comments:

  1. bhut sahi..................kha aapne

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  2. तेजपाल तो बड़ा शातिर निकला। अपने पुराने मित्रों को एस.एम.एस. भेजकर यह बता रहा है कि परिस्थितिवश उसने माफी भले ही मांग ली है लेकिन सच्चाई यह है कि लिफ़्ट में उसने जो कुछ किया वह उस लड़की की सहमति से किया। विनोद मेहता ने बड़ी बेशर्मी से यह एस.एम.एस. न्यूज ऑवर में पढ़कर सुनाया। हमारी कल्पना से कई गुना गिरा हुआ अपराधी है यह।

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    1. विनोद मेहता ने ये एसएमएस इस तरह सुनाया तो वो साबित कर रहे थे कि वो तेजपाल बड़े अच्छे मित्र हैं। मित्रता कुछ गुण तो मिलाकर ही होती है :)

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  3. अजनबी अर्थात परपुरूष से मिलने और बात करने के संबंध में इसलाम धर्म में और हिन्दू मनीषियों के ग्रन्थों में एक अच्छी आचार संहिता मौजूद है। अगर इसका पालन किया जाता तो इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचा जा सकता था और बचा जा सकता है।
    हम सबको मिलकर इसके लिये प्रयास करना चाहिये ताकि कोई गलत मर्द किसी नारी का शोषण न कर सके और न ही कोई नारी किसी गलत उद्देश्य के लिये किसी मर्द की इज़्ज़त से खेल सके.

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    1. ठीक कह रहे होंगे आप लेकिन अगर आप इसके साथ सबकुछ बांधकर रखने का जिम्मा लड़कियों पर ही थोपना चाह रहे हैं तो मैं सहमत नहीं। समय के साथ धर्मग्रंथों की अच्छी बातों को नए संदर्भ में समझने लागू करने की जरूरत है। और ये साहब परपुरुष नहीं उसके संपादक थे।

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  4. खरी-खरी बात कही है आपने! Salutations!

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