Monday, April 20, 2009

बर्थ, तेरही, ट्रेडिंग टर्मिनल, एसी मंच, सानिया मिर्जा कट नथुनी

सोचा था कि किसी भी हाल में 7 बजे तक ऑफिस से निकल ही जाऊंगा। लेकिन, वोटिंग के दिन चुनाव पर आधे घंटे के स्पेशल बुलेटिन को छोड़कर निकलना थोड़ा मुश्किल था। खैर, 7.20 होते-होते लगाकि अब मामला बिगड़ जाएगा। फिर, झंझट ये कि नोएडा से दिल्ली के लिए ऑटो मिलना भी कम महाभारत तो थी नहीं। फिर एक साथी की मदद से बाल्को पहुंच तो गया। लेकिन, समझ में आया कि इलाहाबाद के लिए ट्रेन का टिकट तो प्रिंट निकालकर प्रिंटर पर ही भूल आया।


खैर, फोन करके छोटे भाई से टिकट का PNR नंबर पूछा और मोबाइल से टिकट का स्टेटस पता किया तो, RB 2-47, 55 दिखा तो, लगा चलो टिकट तो कनफर्म हो गया। लेकिन, RB का रहस्य नहीं समझ में आ रहा था। सीधे गए तो, 47, 55 दोनों नीचे की किनारे वाली सीटें थीं। चलो एक उलझन तो दूर हुई। सामने दो सभ्य जन भिड़े हुए थे। दोनों लोगों के पास अपनी सीट भर से ज्यादा सामान था। और, दोनों ही अपने सामान को अपने ज्यादा से ज्यादा नजदीक चिपकाकर रखने की लड़ाई लड़ रहे थे। दूसरे को किसी और की सीट के नीचे सामान घुसाने की सलाह (धमकी के अंदाज में) दिए जा रहे थे।


मेरे दोस्त GR पांडे और मैं इस झगड़े को देखकर मुस्कुरा रहे थे। मैंने पूरी सहृदयता और बड़प्पन दिखाते हुए कहा। अरे, साहब लड़ना छोड़िए। हमारी 2 सीटें हैं 47, 55 और हम दोनों के पास कुल मिलाकर एक छोटा सा बैग है जो, हम अपनी सीट पर भी रखकर सो सकते हैं जितना सामान है इधर भर दीजिए। बड़े मजे से मैं और मेरे मित्र जो, सुप्रीमकोर्ट में अधिवक्ता हैं 47 नंबर सीट पर बैठ गए। तब तक हमें RB 2-47, 55 का रहस्य समझ में आया नहीं था। तभी एक साहब आए- जिनके चेहरे को देखकर लग रहा था जैसे जमाने से नाराज ही पैदा हुए थे और ऐसे ही निकल भी लेंगे जमाने को छोड़कर- उन्होंने कहा ये मेरी सीट है। मैंने कहा 47 नंबर तो मेरी है। उन्होंने कहा आपकी आधी है, आधी मेरी है। ये था RB 2-47, 55 का रहस्य। सीट RAC ही रह गई थी। उन साहब से निवेदन किया लेकिन, वो माने नहीं। खैर, अब इंतजार टीटी का था।


बुजुर्ग से टीटी महोदय आए मुझे लगा टिकट का प्रिंट भी नहीं है नियमत: 50-100 रु का चूना भी लगेगा। लेकिन, मैंने उनसे पूरे अधिकार के साथ सीट के लिए निवेदन किया तो, उन्होंने टिकट भी नहीं मांगा। आइडेंटिटी प्रूफ मैंने पहले ही दिखा दिया था। 55 नंबर पर आधी सीट के मालिक अंकल से हम लोगों ने निवेदन किया तो, वो मान गए। अब खिसियाई सूरत लेकर जमाने से नाराज साहब कह रहे हैं कि वो मेरा सामान इस सीट के नीचे था न, नहीं तो मैं उधर चला जाता। तब तक हम लोगों का भाग्य चटका और पूरी-पूरी सीट मिल गई। हालांकि, मिडिल सीट पर मैं सारी रात जगता प्रयागराज ट्रेन के झटके से नहीं, नीचे से रह-रहकर आ रहे धमाकेदार खर्राटे की वजह से। और, खर्ऱाटा भरने वाले अंकल और उनका पूरा परिवार अच्छी नींद के आगोश में था।


सुबह-सुबह अपने शहर इलाहाबाद में था। सूबेदारगंज स्टेशन क्रॉस करते ही छोटे भाई को फोन किया पता था- अभी आउटर पर ट्रेन जितनी देर रुकेगी उतने में दारागंज से भाई आ ही जाएगा। आउटर पर रुकी ट्रेन से खट-खट कई सफेद बोरे गिरे। एक बैग लिए मुंशी टाइप आदमी के निर्देश पर 2 मजदूर टाइप लोग जल्दी-जल्दी बगल रुकी मालगाड़ी के नीचे से उन सफेद बोरों को दूसरी पार लगा रहे थे। बोरों पर नीले से DTDC लिखा देख समझ में आया-कुरियर कंपनी के बोरे थे। लेकिन, इतनी प्रतिष्ठित कुरियर कंपनी के पार्सल ऐसे क्यों जा रहे हैं- जवाब बगल से आया- स्टेशन पर पुलिस को चुंगी देने से बच गया।


घर से नहा-धोकर चल पड़े जौनपुर के लिए। रास्ते में एक ढाबे के किनारे खड़ी हाथी झंडा लहराती सफारी और टेंपो ट्रैवलर देखकर छोटे भाई ने कहा- भैया कपिल भाई लग रहा हैं। मिलेंगे क्या। मैंने कहा-आओ मिल लेते हैं। भाई ने सफारी के पीछे सफारी लगा दी। अंदर फूलपुर से बसपा प्रत्याशी कपिलमुनि करवरिया ढाबे के साथ बने एक शीशे वाले कमरे में बैठे थे। उनके सामने एक कंप्यूटर स्क्रीन पर लाल-नीला सा कुछ लगातार चमक रहा था। थोड़ देर में मैं समझ गया कि ये तो ट्रेडिंग टर्मिनल है। ढाबे के मालिक से कुछ छिपी सी टीवी से मोरपंखी का निशान दिखा तो, मैंने देखा कि हमारा चैनल सीएनबीसी आवाज़ चल रहा है (अब मेरी बात को और मजबूती मिलेगी कि आवाज़ सिर्फ गुजरात, मुंबई, दिल्ली का चैनल नहीं है)। कपिलमुनि करवरिया से बात करते मैं बाहर निकल आया लेकिन, बाद में अफसोस हुआ कि ट्रेडिंग टर्मिनल उसके सामने बैठे बसपा प्रत्याशी और ढाबे के मालिक के पीछे टीवी स्क्रीन पर सीएनबीसी आवाज़ की तस्वीर नहीं ले पाया।


तेज रफ्तार में हम जौनपुर की ओर बढ़े जा रहे थे। रास्ता पहले से काफी अच्छा बन गया है। लेकिन, आज दूसरी बाधा थी। सिकरारा थाने से आगे जाम मिलना शुरू हो गया। जौनपुर शहर में घुसते ही लंबी गाड़ियों की लाइन लगी थी। किसी तरह पौन घंटे में शहर के अंदर पहुंचने के बाद मित्र मनीष के घर दीवानी कचहरी पहुंच पाए। मनीष के पिताजी की तेरहवीं में पहुंचने के लिए ही मैं ये सारी दौड़ लगा रहा था। वहां पता चला कि बहनजी की रैली ने मेरे और मेरे जैसे जाने कितने लोगों के 45 मिनट से घंटों जाम में बरबाद कर दिए। साथ में ये भी पता चला कि मायावती के नहाने के लिए महकउवा साबुन की भी व्यवस्था है। साथ में ही ये भी जानकारी हवा में तैरती आई के जिस मंच से मायावती गरीब, दलित जनता को उसके हक के बारे में जागरुक करेंगी उस मंच को ठंडा रखने के लिए 8 स्प्ल्टि एयर कंडीशनर लगाए गए हैं। शुक्रवार को मुझे ये बात जौनपुर में पता चली और, रविवार को नोएडा में घर पर फुर्सत में टीवी देख रहा था तो, हाईप्रोफाइल समाजवादी नेता अमर सिंह, मायावती के आलीशान बाथरूम पर एतराज जताते दिख गए।



17 को मैं जौनपुर में था। 16 को बनारस और गोरखपुर में वोटिंग हो चुकी थी। गोरखपुर से आए मेरे एक मित्र अष्टभुजा नायक गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ के कम से कम 50 हजार वोटों से हारने की बाजी लगा रहे थे। हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे। एक बीजेपी नेता भिड़ गए कि योगी खुद तो जीतेंगे ही आसपास की कई सीटें जिताएंगे। बात जातिगत समीकरण पर जाकर टिक गए। तर्क आया अब मंदिर के नाम पर वोट नहीं पड़ेगा। 2,70,000 ब्राह्मण हैं गोरखपुर में और 25,000 ठाकुर। ठाकुर आदित्यनाथ कब तक राज करेगा। बीजेपी नेता ने कहा- आप लोगों जाति की राजनीति करते हैं। हम ये बात नहीं करते। वो, चर्चा खत्म हुई भी नहीं थी किसी ने कहा- राजनाथ ने धनंजय को जिताने के लिए ही सीमा द्विवेदी को जौनपुर से टिकट दिया है। और, इसीलिए टिकट बहुत देरी से घोषित किया गया। अब पता नहीं बीजेपी नेता जाति की राजनीति करते हैं या नहीं।


बनारस में डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी का जीतना 90 प्रतिशत पक्का है। लेकिन, बीजेपी नेता भी ये मान रहे हैं कि जोशी ने इलाहाबाद छोड़कर तीन सीटें खराब कीं। इलाहाबाद, फूलपुर और बनारस। अगर जोशी इलाहाबाद ही रहते तो, कपिलमुनि करवरिया बीजेपी छोड़कर न जाते और फूलपुर से बीजेपी प्रत्याशी होते। बनारस में अजय राय को टिकट मिलता तीनों सीट बीजेपी जीत लेती। अब तीनों ही मुश्किल में हैं। पता नहीं ये कितना सही है। जौनपुर में ही बैठे-बैठे अपने गृह जनपद प्रतापगढ़ सीट का भी विश्लेषण मिल गया। अब तो, रत्ना जीत जइहैं। बीजेपी के पूर्व विधायक शिवाकांत बीएसपी से लड़त अहैं, बीजेपी में फिर से लउटा लक्ष्मीनारायण पांडे उर्फ गुरूजी बीजेपी के टिकट प अहैं औ इलाहाबाद से भागके अतीक प्रतापगढ़ अपना दल क झंडा उठाए अहैं। तब तक नेपथ्य में एक आवाज और आई औ सुने त कि इलाहाबाद मदरसा कांड वाली लड़किया (कौनो मुस्लिम नाम लिए जो, मुझे याद नहीं) खुलेआम घूम-घूमके अतीक के खिलाफ प्रचार करता बा। हम पूछे केकरे समर्थन म। पता चला समर्थन केहू क नाहीं। बस अतीक क हरावा। हम सोचे ईहै जौ सब चेत लेते कि अपराधी न जिताऊब चाहे जे जीतै तो, बड़ी बात बन जात।


खैर, टाइम हो चुका था रात की गरीब रथ से फिर दिल्ली वापसी का टिकट था। बमुश्किल दो-सवा दो घंटे का रास्ता था लेकिन, जौनपुर शहर से इलाहाबाद पहुंचते तक बीसियों बारातों ने हमारे जौनपुर से इलाहाबाद के सफर को 3 घंटे का बना दिया। इलाहाबाद में अलोपी देवी मंदिर के सामने एक बारात के बगल में ज्यादा देर तक फंसे तो, समझ में आया कि इस शादी के सीजन की हॉट धुन कौन सी है। पूरी बारात सानिया मिर्जा कट नथुनी पे जान देने को तैयार थी। गाड़ी के अंदर ही हम लोगों के कंधे भी थोड़े बहुत उचक रहे थे, बैंड और तेज बजने लगा ... सानिया मिर्जा कट नथुनी पे जान जाएला ...। 12.48 की आधे घंटे देर से आई गरीब रथ में 25 रुपए का कंबल चद्दर लेकर हम लोग सो गए। सुबह निजामुद्दीन पहुंच गए। दो रात और एक दिन के सफर ने जाने कितने सामाजिक तथ्यों से रूबरू करा दिया। बस अब सफर खत्म। रविवार को छुट्टी का दिन मिला। ये बकैती (इलाहाबादी में इसे यही कहेंगे) लिख मारी। सोमवार से फिर ऑफिस-ऑफिस और दफ्तर से ही राजनीति समझेंगे वही लोगों को समझाएंगे। जबकि, असली राजनीति तो, कुछ और ही चल रही होगी। जाति के कोई समीकरण बन रहे होंगे कोई टूट रहे होंगे। बस बहुत हो गया ...

14 comments:

  1. बकैती बहुत भली लगी।

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  2. बकैती ने शुरू से अंत तक़ बांधे रखा॥

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  3. समाज की पल्स नापने के ऐसे कैप्स्यूल कोर्स हमें करने को नहीं मिलते! यही कष्ट है।

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  4. मैने सुना है कि गोरखपुर क्षेत्र की छः सीटें योगी आदित्यनाथ की झोली में जा रही हैं, जिसमें आजमगढ़ भी शामिल है। उधर जोशी जी तीसरे स्थान पर जाने वाले हैं। इलाहाबाद में जोशी जरूर जीत गये होते लेकिन अब बीजेपी के प्रत्याशी केवल खानापूर्ति के लिए खड़े बताये जा रहे हैं।

    जब तक रेजल्ट न निकले, कोई कुछ भी कह सकता है। वाह! भारतीय लोकतंत्र की जय हो।

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  5. माने कि फुर्सत हो तो पंडित हर्षवर्धन त्रिपाठी जुबान, कलम और की-बोर्ड में से किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं करते। अदभूत प्रतिभा हो गुरू!

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  6. निम्मन बकैती अहै भई. मज़ा आ गै. बाकी चुनौवा क त पतै न कै होउब.

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  7. bahut sundar aur rochakprasang hai. post achchi lagi....

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  8. achha laga purvanchal ghum kar.

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  9. बहुतै बढिया लिखे हैं आप, कसमसे मजा आ गवा।

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    SBAI TSALIIM

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  10. Read Naresh Mishra's Vyangya on http://kmmishra.wordpress.com/

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  11. Achcha laga aapke sath train yatrake maje (?) lekar aur UP ghoom kar Salon pehale main bhee gaee thee jaunpur. kachchi sadak se hokar gaee thee ek swaymsevi sanstha men.

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  12. Hum aasha karte hai ki aapki rail yatra jari rahe aur issi bahane hume baikaiti sunne ko milta rahe, Bahu accha!!!

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  13. इलाहाबाद आये और चले गये कोई सूचना भी नही दी आपने, पोस्‍ट को पढ़ कर अच्‍छा लगा।

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