Wednesday, April 15, 2009

जो भी हो ये खबर सबको पढ़नी जरूर चाहिए

ये दूसरी खबरों जैसी सिर्फ एक खबर ही थी। 4 अप्रैल को टाइम्स ऑफ इंडिया की इस बॉटम स्टोरी की असलियत क्या है और पता नहीं कभी वो सामने आ भी पाएगी या नहीं। लेकिन, मुझे लगा कि इस खबर को जितने लोगों को हो सके जानना जरूर चाहिए। क्योंकि, असलियत तो इसलिए भी दफन हो जाएगी कि तहकीकात तो इस मामले में होने से रही।


सफेद कपड़ों में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ काले सूट में सोनिया गांधी- शोक संतप्त गांधी परिवार की फोटो के साथ हेडलाइन थी- priyanka’s dad in law found dead. सामान्य सी ही खबर थी इतनी कि जब हमारे न्यूजरूम में फ्लैश आया तो, मुझे लगा कि ये कौन सी बात हुई। प्रियंका के ससुर का मरना खबर कैसे हो सकती है। लेकिन, जब दूसरे दिन टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में थोड़े तफसील के साथ खबर दिखी तो, लगा कि ये तो बड़ी खबर थी, अच्छे से टीवी चैनलों पर चली क्यों नहीं।


प्रियंका के ससुर राजेंद्र वाड्रा का निधन हुआ। लेकिन, अखबार में लिखा ये लाइन चौंकाने वाली बात है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजेंद्र वाड्रा के गले के पास जख्मों के निशान कुछ इस तरह के हैं जैसे किसी के आत्महत्या करने पर होते हैं। वैसे, इतना हाई प्रोफाइल मामला होने की वजह से न तो पुलिस इस मामले में जांच कर रही है और न ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट की पूरी असलियत लोगों के सामने आ पाएगी।


मामला इसलिए और भी शक पैदा करता है कि राजेंद्र वाड्रा के पास फ्रेंड्स कॉलोनी में घर है लेकिन, वो यूसुफ सराय एरिया के एक गेस्ट हाउस city inn में पिछले 15 दिनों से रह रहे थे और उसी गेस्ट हाउस के कमरे में मरे पाए गए। राजेंद्र वाड्रा की अपने बेटे से बिल्कुल नहीं बनती थी ये पहले ही सुर्खियों में आ गया था। टाइम्स ऑफ इंडिया में अंदर के पेज पर छपी खबर में लिखा है कि राजेंद्र वाड्रा बेटे रॉबर्ट की प्रियंका गांधी के साथ शादी से खुश नहीं थे। और, करीब आठ साल पहले रॉबर्ट वाड्रा ने अपने पिता राजेंद्र वाड्रा और भाई रिचर्ड वाड्रा के खिलाफ ये पब्लिक नोटिस जारी किया था कि जिसमें कहा गया था कि वो दोनों उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में पद दिलाने और दूसरे कामों में गांधी परिवार के नाम का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इस पर राजेंद्र वाड्रा ने मानहानि का मुकदमा करने की धमकी भी दी थी।

रॉबर्ट वाड्रा का भाई रिचर्ड संदेहास्पद परिस्थितियों में सितंबर 2003 में अपने वसंत विहार के घर में मरा पाया गया था। और, रॉबर्ट की बहन मिशेल की मृत्यु 2001 में एक कार दुर्घटना में हो गई थी। मुरादाबाद के वाड्रा परिवार का पीतल और हैंडीक्राफ्ट का कारोबार है। और, राजेंद्र वाड्रा को कांग्रेसी बताया जाता है। लेकिन, राजेंद्र के बड़े भाई ओमप्रकाश वाड्रा संघ के नजदीकी रहे। उन्होंने अपनी संपत्ति मुरादाबाद में एक ट्रस्ट को दान कर दी जिसे संघ से जुड़े लोग चला रहे हैं। इसी जमीन पर आज भी शिशु मंदिर चल रहा है।


गांधी परिवार से जुड़ी इस खबर और अफवाह में कितनी सच्चाई है, बिना तहकीकात के इसका अंदाजा लगाना तो असंभव है। और, मुझे नहीं लगता कि इसकी तहकीकात कभी होगी भी। इसीलिए मैंने इतने दिनों बाद ये खबर सिर्फ इसलिए अपने ब्लॉग पर डाली है ताकि, सनद रहे ...

16 comments:

  1. पेज थ्री के लोगों की बात ही नि‍राली है
    ( वो छिंकते भी हैं तो खबर बन जाती है, हम हर रोज मरते हैं पर यह खबर भी नहीं लगती:)

    ReplyDelete
  2. खबर तो पढ ली, पर सवाल है कि अब क्‍या करें।

    -----------
    तस्‍लीम
    साइंस ब्‍लॉगर्स असोसिएशन

    ReplyDelete
  3. आपने यहाँ नहीं दिया होता तो हमें तो पता नहीं ही चला होता. जो भी हो खबर तो पता चली.

    ReplyDelete
  4. खबर तो संज्ञान में थी। पर इसके कोई निहितर्थ हैं - यह नहीं मालुम था।

    ReplyDelete
  5. आलोक तोमर ने काफी खुले तरीके से यह खबर छापी थी।
    मेरा मानना है कि राजेन्द्र वाड़्रा ने भी बहुत से समझौते किये थे। विदेशी महिला को जीवनसाथी बनाने से लेकर धर्मपरिवर्तन और उन्ही की जीवनशैली अपनाने के समझौते नितांत भारतीय माहौल में रहे व्यक्ति के लिए आसान नहीं होते।
    अपने बच्चों को उन्होंने क्या संस्कार दिए पता नहीं, पर जैसे भी दिए हों, उसका परिणाम उन्हें ही भुगतना था।
    संयोग या दुर्योग, एक अनाम परिवार चर्चा में आ जाता है। हमें क्या ?

    ReplyDelete
  6. पत्रकार बिरादरी क्यों चुप है ?ओर चैनल वाले ?ये समझ नहीं आया ?मामला संदेह्स्पस्द तो है .

    ReplyDelete
  7. "…वैसे, इतना हाई प्रोफाइल मामला होने की वजह से न तो पुलिस इस मामले में जांच कर रही है और न ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट की पूरी असलियत लोगों के सामने आ पाएगी…"…। बाकी की बातें और सारा गाँधी परिवार चाहे भाड़ में जायें, लेकिन यह बात गम्भीर है…। पैसे और रसूख वाले लोग "व्यवस्था" को कैसे लात मारते हैं यह उसका एक उदाहरण भर है…

    ReplyDelete
  8. "गांधी परिवार से जुड़ी इस खबर और अफवाह में कितनी सच्चाई है, बिना तहकीकात के इसका अंदाजा लगाना तो असंभव है"
    कौन करेगा तहकीकात और कौन उठाएगा इस घटना को , हो सकता है भविष्य में कुछ हो और सच्चाई का पता चले

    ReplyDelete
  9. खबर तो उसी दिन पढ़ ली थी...ज्यादा गौर नहीं किया!

    ReplyDelete
  10. Anonymous7:54 PM

    सोनिया गांधी के रिश्तेदार और प्रतियोगियों की अकाल मृत्यु क्यों होती रहती है?

    ReplyDelete
  11. पता नहीं क्यों इस घटना से पंचतंत्र की एक कथा याद आ रही है वह कथा कुछ ऐसा कहती है कि कभी किसी बहुत बड़े के अंदर नहीं घुसना चाहिए। रही बात मामले के तह तक जाने की तो किसे पड़ी है और फायदा क्या है जैसे सवाल तो हैं हीं।

    ReplyDelete
  12. एक ही परिवार के लोग आत्महत्या, हत्या या दुर्घटना में मर जाते हैं... एक अच्छी फिल्मी पटकथा बन सकती है....पर इस हकीकत की तह तक कौन जाएगा???

    ReplyDelete
  13. गरीब के घर का मामला होता तो उसके परिवार की इज़्ज़त तार-तार कर देते खोजी पत्रकार लोग्।भारत मे तो अब लगता है बस एक ही मूल-मंत्र है समरथ को नही दोष गुसाई॥

    ReplyDelete
  14. कोई तो बात ऐसी है जो सबकी जबानें एक साथ बन्‍द हैं। वोट हथियाने के इस दौर में वे भी चुप हैं जो मालामाल हो सकते हैं।
    कोई तो बात है।

    ReplyDelete
  15. इसे वाकई खबर कहतें हैं बाकी जो अखबार में था वह तो विज्ञापन हुआ .

    ReplyDelete
  16. सोनिया गांधी के रिश्तेदार और प्रतियोगियों की अकाल मृत्यु क्यों होती रहती है?

    Ye Wakai ek shacchai hai, ki kahin kuch badi Bhari gadbad hai.

    ReplyDelete

शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों की यादें और मेरे पिताजी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी  9 वीं से 12 वीं तक प्रयागराज में केपी कॉलेज में मेरी पढ़ाई हुई। काली प्रसाद इंटरमी...