Wednesday, January 23, 2008

नेताजी को याद तक करने से डरती है कांग्रेसी सरकार


नेताजी की आत्मा इस देश की सरकारों पर पता नहीं दुखी हो रही होगी, रो रही होगी या हंस रही होगी। जिस देश को आजाद कराने के लिए उन्होंने सबकुछ किया। उसी देश में आजादी के बाद उनको याद तक करने से सरकारें डर रही हैं। पता नहीं कौन सी वजह है जो, सरकारों को नेताजी को याद तक करने से डराती रहती है। वैसे तो, कांग्रेस की सरकार गांधी-नेहरू परिवार के अलावा किसी को देश के लोगों को याद नहीं कराना चाहती। लेकिन, नेताजी के मामले में कांग्रेस को ये भी लगता है कि नेताजी को जितने ज्यादा लोग देश में याद करेंगे, कांग्रेस के आजादी के पहले की उनकी भूमिका के गुणगान में उतनी कमी हो जाएगी।

आज नेताजी की 111वीं जयंती है। लेकिन, देश भर में कहीं इस सरकार ने छोटा सा कार्यक्रम भी नेताजी की याद में नहीं किया। RTI यानी सूचना के अधिकार के तहत सरकार को ये जानकारी देनी पड़ी है कि इस सरकार ने नेताजी पर एक छोटा सा भी विज्ञापन नहीं दिया। जबकि, ऐरे-गैरे नत्थू खैरे टाइप के चिरकुट नेताओं की गंदी सी फोटो लगे विज्ञापनों पर सिर्फ साल भर में सरकार ने 209 करोड़ रुपए खर्च कर दिए।

और, ये भी तब जब बंगाली प्रियरंजन दासमुंशी के पास ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय है जो, सरकारी विज्ञापन तय करता है। सरकार अब तक ये भी नहीं बता रही है कि नेताजी की मृत्यु की जांच करने वाले आयोग ने क्या रिपोर्ट सौंपी है। सरकार की बेशर्मी ये है कि आजाद हिंद फौज के कमांडर इन चीफ नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सरकार देश के पहले कमांडर इन चीफ का खिताब देने को तैयार नहीं है। जबकि, ये नेताजी की आजाद हिंद फौज ही थी जिसने देश की आजादी से तीन दिन पहले भारत का झंडा लहरा दिया था।

खैर, देश नेताजी को पूरे सम्मान के साथ याद कर रहा है। क्योंकि, इन कांग्रेसियों का हाल तो ये है कि ये सोनिया और राहुल-प्रियंका को तो सम्मान दे सकते हैं लेकिन, सुभाष चंद्र बोस को याद करने से भी डरते हैं। ये बेशर्म ये तक भूल जाते हैं कि नेताजी भी आजादी के पहले की कांग्रेस के अध्यक्ष तक रह चुके थे। लेकिन, शायद महात्मा गांधी के विरोध की वजह से कोई कांग्रेसी सुभाष को याद करके महात्मा गांधी का विरोधी नहीं कहलाना चाहता।

5 comments:

  1. jara socho jo congressi netaji ki nahi hone per bhi itne dare hue hain unke jinda hone me inka kya haal hota.

    na jaane kab shaheedo ko uchit samman dena seekhenge ye neta

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  2. नेताजी के नाम से कांग्रेस को डरना ही चाहिए। इसके वाजिब कारण हैं। लेकिन वह दिन बहुत दूर नहीं, जब कांग्रेस का नाम इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा और नेहरु खानदान के लोगों के जिक्र वाले पन्ने लोग इतिहास की किताबों से नोंचकर फेंक देंगे।

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  3. Anonymous2:20 AM

    Netaji aaj hote to Congress nahin hoti aur ye bahut sare bakwaas neta aur inke dal bhi nahin hote.

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  4. नेताजी का निष्पक्ष पुनर्मूल्यांकन होना चाहिये। उससे हमारे जैसे को उन्हे केवल बतौर हीरो ही नहीं; समग्र रूप से जानने का मौका मिलेगा।
    नेताजी जर्मनी और जापान के साथ गये - यह मुझे नारायण की बजाय नारायणी सेना चुनने जैसा लगता है। पर मेरे विचार अन्तिम रूप से तय नहीं हैं।

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  5. असली सम्मान दिलो में बसना है. जो नेताजी हर भारत वासी के दिल में बसे है. काँग्रेस का डर वाजिब है, उन पर दयाभाव रखें.

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