Sunday, November 27, 2022

भारत जोड़ो यात्रा के जोड़-घटाव से कांग्रेस को क्या मिल रहा

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi





राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। राहुल गांधी मानते हैं कि, भारत में बहुत कुछ टूट रहा है या टूटा हुआ है, जिसे उनकी यात्रा से जोड़ा जा सकेगा। राहुल गांधी का मानना है कि, यह भारत जोड़ो यात्रा इतनी महत्वपूर्ण है कि, इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव और गुजरात, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के चुनावों से भी उनका दूरी बना रखा ठीक रहेगा। अब जिस यात्रा को राहुल गांधी इतना महत्वपूर्ण मान रहे हैं, उसकी समीक्षा करना आवश्यक हो जाता है। इसकी एक वजह तो यही है कि, भले ही कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खरगे की ताजपोशी हो गई हो, लेकिन आज भी कांग्रेस में किसी भी तरह के निर्णय के लिए कांग्रेसी गांधी परिवार और विशेषकर राहुल गांधी की ही तरफ देखते हैं। यहाँ तक कि, सत्ता वाले राज्य राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दृष्टिपात किए बैठे सचिन पायलट के बीच के संघर्ष के समाचारों के बीच भी मल्लिकार्जुन खरगे कहीं नहीं दिखते हैं। हाँ, सचिन पायलट की भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के साथ कदमताल करता चित्र सुर्ख़ियाँ बन जाता है। अब दिसंबर के प्रथम सप्ताह बीतते भारत जोड़ो यात्रा जब राजस्थान में पहुँचेगी तो राजस्थान में कांग्रेस और कांग्रेस की सत्ता कैसी दिखेगी, इस प्रश्न का उत्तर सही-सही खोज पाना शायद ही किसी के लिए संभव हो। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा शुरू हुए 78 दिन हो चुके हैं। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई यह यात्रा कई राज्यों से गुजरते अब मध्य प्रदेश से गुजर रही है। मध्य प्रदेश के खरगोन से यह यात्रा गुजर रही है। अभी तक 7 राज्यों के 34 जिलों से राहुल गांधी यात्रा लेकर गुजरे हैं। कुल 12 राज्यों से इस यात्रा को गुजरना है और 3500 किलोमीटर की दूरी तय करके राहुल गांधी कन्याकुमारी से श्रीनगर पहुँचेंगे। इस यात्रा की अभी समीक्षा की एक वजह यह भी है कि, कुल 150 दिनों की इस यात्रा का करीब आधे से अधिक राहुल गांधी तय कर चुके हैं। 


भारत जोड़ो यात्रा पर टिप्पणी से पहले एक टिप्पणी आवश्यक है कि, भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में यात्राओं का अपना महत्व रहा है। भारत में यात्राओं के जरिये पूरे देश को समझने के लिए व्यक्तिगत, सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक तौर पर कई यात्राओं ने देश नई दृष्टि दी है। आमतौर पर राजनीतिक व्यक्ति द्वारा की गई राजनीतिक यात्रा का लक्ष्य तय होता है। पहली बार है कि, एक विपक्षी पार्टी के प्रमुख नेता राजनीतिक यात्रा कर रहे हैं, लेकिन उसे राजनीतिक यात्रा मानने से इनकार कर रहे हैं। प्रमुख विपक्षी पार्टी की इस यात्रा में उससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि, इस यात्रा को सर्वाधिक सफल बनाने के लिए पूरी कांग्रेस पार्टी जी जान से लगी हुई है, भले ही उसकी वजह से गुजरात, हिमाचल के विधानसभा चुनावों और दिल्ली नगर निगम के चुनावों में कांग्रेस पार्टी की तैयारी आधी अधूरी सी दिखती हो। यह भी हो सकता है कि, करीब डेढ़ दशक से दिल्ली नगर निगम और क़रीब तीन दशक से गुजरात में लगातार हार की वजह से कांग्रेस पार्टी और उनके नेताओं ने यह मान लिया हो कि, अब जो होना होगा, बिना किसी मेहनत के ही हो जाएगा, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक के तौर पर सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणी यही है कि, इस एक यात्रा की वजह से कांग्रेस की राजनीतिक यात्रा आगे बढ़ने के बजाय पीछे ही जाती दिख रही है। भारत जोड़ो यात्रा तमिलनाडु से शुरू हुई और एक ऐसे पादरी से मुलाकात के साथ शुरू होती है जो कहता है कि, भारत माता पर जूते पहनकर इसलिए चलता हूँ, जिससे किसी तरह की बीमारी हो। यात्रा केरल में पीएफआई पर प्रतिबंध की घटना के दौरान रहती है, लेकिन आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त संगठन पर कोई टिप्पणी करने से परहेज करती है। अप्रत्याक्ष तौर पर पीएफआई पर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को राजनीतिक बताने की कोशिश करती है। यात्रा जब महाराष्ट्र पहुँचती है तो राष्ट्र नायक स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर पर ही राहुल गांधी अपमानजनक टिप्पणी कर देते हैं। महाविकास उघाड़ी में सहयोगी शिवसेना के उद्धव खेमे के लिए असहज स्थिति हो जाती है और महाराष्ट्र के कांग्रेसी नेता भी राहुल गांधी की इस टिप्पणी से परेशान होते हैं। हर भारतीय के मन में सावरकर का विशेष स्थान है, लेकिन इससे बढ़कर हर मराठी मानुष छत्रपति शिवाजी के बाद वीर सावरकर को सम्मानपूर्वक अत्यंत उच्च स्थान पर रखता है। महाराष्ट्र से गुजरते सावरकर को गद्दार बताना राहुल गांधी की इस तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा से कितने कांग्रेसियों को तोड़कर अलग कर गया होगा, इसका सही-सही अनुमान राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस पार्टी को संभवतः अगले चुनाव में ही हो पाएगा। 


अभी यात्रा मध्य प्रदेश से गुजर रही है और मध्य प्रदेश से गुजरते टंट्या मामा के जरिये आदिवासी, जनजातीय समाज से जुड़ने की कोशिश राहुल गांधी ने की, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उनके मन मस्तिष्क इस कदर घुसा हुआ है कि, संघ की गलत छवि प्रस्तुत करने से बच नहीं सके। मध्य प्रदेश के खंडवा में जननायक टंट्या भील के जन्मस्थान पहुँचे राहुल गांधी ने टंट्या मामा के बलिदान की खूब प्रशंसा की, लेकिन एक विशुद्ध झूठ बोल गए। राहुल गांधी ने कहाकि, टंट्या मामा को अंग्रेजों ने फाँसी पर चढ़ाया और आरएसएस ने अंग्रेजों की मदद की। अब इसके बाद राहुल गांधी की समझ के साथ ही उनके मन में संघ को लेकर भरे जहर पर तीखी प्रतिक्रियाएँ आई हैं। टंट्या मामा को अंग्रेजों ने 1889 में फाँसी पर चढ़ाया था जबकि, संघ का स्थापना ही 1925 में हुई। संघ संस्थापक डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म 1889 को हुआ था। यह राहुल गांधी अज्ञानता से अधिक उनके मन में भरे जहर को प्रदर्शित करता है। इस भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही अभिनेत्री ऋचा चड्ढा के ट्वीट पर जिस तरह की प्रतिक्रिया आई और कांग्रेस ने ऋचा चड्ढा को संभल संभलकर बचाने की कोशिश की, उससे भी यह प्रश्न और गंभीर हो जाता है कि, भारत जोड़ो यात्रा के नाम में जोड़ो के अलावा जोड़ने जैसी बात कहीं दिख रही है क्या। अक्षय कुमार ने ऋचा चड्ढा की आलोचना की तो कांग्रेस पार्टी अक्षय कुमार पर ऐसे टूट पड़ी जैसे, गलवान पर भारतीय सेना के शौर्य पर प्रश्नचिन्ह लगाने वाली हटा चड्ढा के बचाव के किसी अवसर की प्रतीक्षा कर रही थी। कुल मिलाकर अभी तक की राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा का सार यही दिख रहा है। यात्रा के बहाने राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और दूसरे विपक्षी नेताओं से बड़ा बनाने की कोशिश भले कामयाब हो जाए, लेकिन राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस से जनता का जुड़ाव बढ़ेगा, यह संदेह गहराता जा रहा है।

(स्वदेश समाचार पत्र में हर्ष वर्धन त्रिपाठी का नियमित स्तंभ)

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