Sunday, November 20, 2022

जी 20 से विश्व नेता के तौर पर भारत की भूमिका मजबूत हुई

हर्ष वर्धन त्रिपाठी Harsh Vardhan Tripathi



कोलंबिया इंस्टिट्यूट के निदेशक एडम टूज ने फॉरेन पॉलिसी में जी 20 पर एक लेख में लिखा है कि, विश्व विवादों के समय में विश्व की शक्तियों ने यह दिखाया है कि, आपसी सहयोग से बात बन सकती है। यह सिर्फ संयोग नहीं हो सकता कि, एडम टूज के इस लेख में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का जीत का प्रतीक बनाते हुए खींचा गया चित्र लगाया गया है। इसलिए भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सैल्यूट करते जो बाइडेन का चित्र हो या फिर स्वयं जो बाइडेन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए आगे बढ़कर आना भारत में भारतीय जनता पार्टी के लोगों की भावना के उफान के तौर पर ही देखना सही नहीं है। दरअसल, विश्व मंचों पर भारत की प्रमुख और प्रभावी होती भूमिका को अब विश्व के प्रमुख देश स्वीकारने लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीधी बातचीत में जब कहा था कि, यह युद्ध का युग नहीं है तो उस समय विश्व के लिए आश्चर्यजनक था क्योंकि भारत हथियारों और तेल की आपूर्ति के लिए बहुत हद तक चीन पर निर्भर है। चीन से खरीदा जाने वाले ईंधन अभी भले ही भारत की कुल आवश्यकताओं का बहुत छोटा हिस्सा है, लेकिन यह सच है कि, इस समय भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों के तेजी से बढ़ने से रोकने में भारत को अगर सफलता मिल सकी है तो उसकी बड़ी वजह रूप से मिल रहा कच्चा तेल है। और, अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से लेकर प्रमुख नेताओं ने स्पष्ट तौर पर इस बात को कहा है कि, हम भारत के हितों के लिहाज से कोई भी निर्णय लेंगे। अमेरिका, रूस और चीन की तिकड़ी के बीच फँसी विश्व व्यवस्था में भारतीय कूटनीति के संतुलन का यह अप्रतिम उदाहरण देखने को मिला है। और, ऐसे में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर महीने में समरकंद में हुई मुलाकात में पुतिन से सीधे यह कहते हैं कि, यह युद्ध का युग नहीं है तो सभी के लिए यह आश्चर्य की वजह बना था। अमेरिकी मीडिया आमतौर पर भारतीय प्रधानमंत्रियों के बयान को बहुत प्रमुखता नहीं देता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्राओं से लेकर उनका महत्वपूर्ण बयानों पर अमेरिकी और पश्चिमी मीडिया का भेदभावपूर्ण रवैया देखने को मिलता रहता है, लेकिन अमेरिका को यह बयान अपने पक्ष में लगा तो पूरा अमेरिकी मीडिया मोदी की प्रशंसा में जुट गया। और, जी 20 का साझा बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान, यह युद्ध का युग नहीं है, को ही आगे बढ़ाता हुआ दिखा।  

अब भारत जी 20 की अध्यक्षता सँभाल रहा है, उससे ठीक पहले भारत की विश्व नेता के तौर पर यह स्वीकार्यता सकारात्मक संकेत हैं। बिना किसी संदेह के जी 20 को विश्व नेतृत्वकर्ता समूह के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है। अमेरिका, यूरोपियन यूनियन सहित रूस, चीन, कोरिया, ब्रिटेन, फ़्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, सऊदी अरब, जर्मनी, इडोनिशिया, इटली, मेक्सिको, इंडोनेशिया, अर्जेंटीना, तुर्की जैसे देशों के बीच भारत की यह स्वीकार्यता परिवर्तित होती विश्व व्यवस्था को भी स्पष्ट तौर पर दर्शा रही है। विश्व जीडीपी का 80 प्रतिशत, विश्व कारोबार का 75 प्रतिशत और विश्व की 60 प्रतिशत जनसंख्या जी 20 देशों में ही रहती है। व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि, भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है और मोदी एक देशभक्त राजनेता हैं जो अपने देश के हितों के लिहाज से नीति तय करते हैं। पुतिन ने कहाकि, मुझे पूरा विश्वास है कि, विश्व व्यवस्था में भारत की भूमिका बढ़ने वाली है। पुतिन की ही तरह फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रॉन भी भारत के अच्छे मित्रों में गिने जाते हैं। मैक्रॉन ने जी 20 की बैठक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक चित्र साझा करते हुए लिखा कि, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ, शांति के लिए हम एक ही एजेंडा साझा करते हैं हम भारत की आगामी जी 20 अध्यक्षता के तहत इस पर काम करेंगे। 

आतंकवाद, वित्तीय समावेशन, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा पर विश्व के विकसित देश भारत के नेतृत्व में चल रहे एजेंडे को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी 20 बैठक में स्पष्ट कहा कि, भारत अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को वैकल्पिक, अक्षय ऊर्जा की ओर तेजी से ले जा रहा है, लेकिन भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के रास्ते में किसी तरह की बाधा खड़ी करने की कोशिश हुई तो यह विश्व अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर नहीं होगा। ध्यान रहे कि, भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। जी 20 के सामूहिक संदेश पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छाप स्पष्ट तौर पर दिख रही है। भारत के विदेश सचिव विनय कवात्रा ने कहाकि, भारत ने जी 20 के सामूहिक संदेश पर सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने जी 20 की अध्यक्षता का दायित्व सँभालते हुए एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य का नारा दिया। वसुधैव कुटुम्बकम की बात भारत हमेशा से करता रहा है, लेकिन अब विश्व व्यवस्था में परिवर्तन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की इस मूल अवधारणा को जोर देकर स्थापित करने में कामयाब हो रहे हैं। 


बाली की जी 20 बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति, जो बाइडेन, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, फ़्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रॉन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से अलग से मुलाकात की और रणनीतिक, द्विपक्षीय मुद्दों पर सहमति बनाने की कोशिश की। मोदी और सुनक की मुलाकात के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर नये सिरे से सहमति बन सकती है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी खाद्य और ऊर्जा आवश्कताओं के सत्र में सम्मिलित हुए। यह महत्वपूर्ण रहा क्योंकि, रूस यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में खाद्य और ऊर्जा आपूर्ति पर बुरा असर पड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित देशों से आग्रह किया कि, एक साथ आकर आपूर्ति सुचारू करने का प्रयास करें। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट तौर पर चेताया कि, आज का खाद संकट कल का खाद्य संकट बन सकता है। जी 20 में प्रधानमंत्री ने फिर से इस बात को स्थापित किया कि, भारत लोकतंत्र की जननी है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की मुलाक़ात के बाद चीन की तरफ से जारी बयान में जिस तरह से अमेरिकी शैली के लोकतंत्र और चीनी शैली के लोकतंत्र की बात की गई थी, उसमें भारतीय लोकतंत्र की स्थापना अति महत्वपूर्ण है। और, यहाँ यह बात भी ध्यान में रखना होगा कि, अमेरिका हो या चीन, दोनों ही देश इस स्थिति में नहीं हैं कि, कह सकें कि, यह युद्ध का युग नहीं है क्योंकि दोनों ही देश युद्ध की स्थिति के लिए प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष तौर पर जिम्मेदार दिखते हैं। इसीलिए भारतीय लोकतंत्र का उदाहरण विश्व के दूसरे देशों को आसानी से समझ आता है। जी 20 देशों की अध्यक्षी सौंपे जाने के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि, भारत का केंद्र डाटा फ़ॉर डेवलपमेंट होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्यान दिलाया कि, भारत ऐसे समय में जी 20 की अध्यक्षता सँभालने जा रहा है, जब संपूर्ण विश्व में तनाव है। अर्थव्यवस्था में कमजोरी दिख रही है और खाद्य और ऊर्जा कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। डिजिटल समाधान के जरिये भारत पर्यावरण परिवर्तन, खाद्य संकट और गरीबी ख़त्म करने में करेगा। पहले प्रधानमंत्रित्व काल में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में भारत की सरकार ने विश्व व्यवस्था में परिवर्तन करके बहुध्रुवीय विश्व बनाने की जो शुरुआत की थी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में साकार होती दिख रही है। और, जी 20 देशों की बैठक में इस पर विश्व के विकसित देशों की भी स्वीकृति मिलती दिखी। 

(यह लेख आज स्वदेश समाचार पत्र के सभी संस्करणों में छपा है)

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