कभी ओबामा गांधी को अपना हीरो बता देते हैं तो, हम खुश हो जाते हैं। कभी दुनिया के किसी कोने में गांधी का नाम कोई बड़ा आदमी ले लेता है तो, हम गांधी और आज की प्रासंगिकता खोजने लगते हैं। कभी 2 अक्टूबर आ जाता है तो, अखबारों के पन्ने रंग जाते हैं। तो, हम आलोचना पर उतर आते हैं।
कभी किसी नौजवान की टीशर्ट पर गांधी का टेढ़ा-मेढ़ा चश्मा दिखता है तो, गांधी को आज के नौजवानों से जोड़ देने की कोशिश शुरू हो जाती है। लेकिन, क्या गांधी सचमुच प्रासंगिक हैं। अभी सुबह एक मित्र का मोबाइल संदेश आया जो, नौजवानों की भाषा में light hearted कहा जा सकता है। लेकिन, लगता है कि सही में गांधी जी बस इत्ते के ही हैं- संदेश पढ़ लीजिए
Dear frnd! For 2nd oct. I m collecting Gandhiji’s Photos. I need ur Contributn 2my collectn. Bas Ghar men jitney bhi 10/50/100/500/1000 k note ho bhej dena
गांधी नोट पर हैं बिकाऊ हैं। गांधी पर वोटबैंक भी मिल जाता है इसीलिए, कांग्रेस उनको तो फिर भी याद कर लेती है। गांधी के ही दिन पैदा हुए और त्याग-नैतिकता के बड़े उदाहरण लालबहादुर शास्त्री जी को तो याद करना भी सब छोड़ देते हैं। अपने पिता का इस तरह से असम्मान देखने के बावजूद पता नहीं कैसे उनके बेटे कांग्रेस में पड़े रहते हैं।
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों की यादें और मेरे पिताजी
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी 9 वीं से 12 वीं तक प्रयागराज में केपी कॉलेज में मेरी पढ़ाई हुई। काली प्रसाद इंटरमी...
-
आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
-
हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
-
पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...
ओर जो लोग इसे छुट्टी मानते है उनका क्या ?
ReplyDeleteगांधी के फोटो के बहाने
ReplyDeleteनोट बटोरने की साजिश
हो रही है गांधी जयंती।
इसी को गांधीगिरी
बतला इतरा रही है
जनता जनतंत्र की।
लाल की तो किसी
लाल को याद नहीं
आती क्योंकि उनकी
फोटो किसी नोट पर
नहीं पाई जाती।
त्रिपाठी जी यही तो कांग्रेस का खेल है | कांग्रेस के लिए देश के सर्वश्रेस्ट प्रधानमन्त्री श्री शास्त्री जी (भले ही वो कांग्रेस पार्टी के ही क्यों ना रहे हो) का मूल्य है ही नहीं | कांग्रेस तो बस एक ही परिवार की जी हजुरी करना जानता है | अब गाँधी जी को देखावे के लिए ही सही सम्मान कर देते हैं आखिर उन्होंने ही तो इस परिवार को गांधी नाम दिया और भारत की सत्ता की बागडौर उन्हें सौप दी |
ReplyDeleteशास्त्री जी बेटे ये अच्छी तरह जानते हैं की मैडम की जी हजुरी करने मैं ही जनता और मीडिया दोनों खुश रहेगी | कहीं दुसरे जगह गए तो तुंरत वो अछूत बना दिए जायेंगे ...
अफ़सोस है कि गांधी आज दिखावे बस की बात हो गये और अब तो उन पर चुटकुले भी बनने लगे हैं।
ReplyDelete