Thursday, February 07, 2008

गांधी के मुंह में मरते समय राम ठेल देने से किसका भला हुआ


महात्मा गांधी का इस्तेमाल उनके मरने के बाद भी हो रहा है। कौन कर रहा है किसके भले के लिए हो रहा है। या सिर्फ मरे हुए गांधी को जिंदा रखकर उनका इस्तेमाल करने की कोशिश चल रही है। और, गांधी की महानता भले ही पूरे देश के काम आ रही हो। लेकिन, सच्चाई यही है कि धोती में मुस्कुराते गांधी की मुस्कान वाली फोटो पर हार डालकर सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को मिला है। और, इसीलिए देश में गांधी के मुंह से निकले आखिरी ‘हे राम’ का सबसे ज्यादा प्रचार-प्रसार भी कांग्रेस ने ही किया।

कुछ दिन पहले ही गांधी के मरने के आखिरी शब्द ‘हे राम’ की जगह ‘राम-राम’ में बदले। और, अब गांधीजी के साथ 1943 से 1948 तक काम करने वाले एक गांधीवादी कह रहे हैं कि गोली लगने के बाद महात्मा गांधी के मुंह से कोई शब्द नहीं निकला। वो, हतप्रभ रह गए थे और तुरंत उनकी मृत्यु हो गई थी। चेन्नई में रहने वाले 85 साल के कल्याणम वेंकटरमण का कहना है कि गांधी का पहले ही मोहभंग हो चुका था।

वेंकटरमण कहते हैं कि जब नाथूराम गोडसे ने गांधीजी पर पांच गोलियां दागीं वो, उस समय गांधीजी से मुश्किल से आधा मीटर की दूरी पर खड़े थे। वेंकटरमण का कहना है कि गांधीजी तुरंत गिर गए उनके मुंह से कुछ भी नहीं निकला। वो, सवाल भी खड़ा करते हैं कि इतने नजदीक से लगी गोली के बाद किसी को कुछ बोलने का मौका भला कैसे मिल सकता है।

फिर सवाल ये है कि आखिर गांधी के मुंह में आखिरी शब्द हे राम या फिर राम-राम किसने ठूंसा। और, इससे किस तरह का फायदा देखा गया। गांधी के पक्ष-विपक्ष में चल रह शोधों में गांधी के मुंह में ठूंसे गए आखिरी शब्द को भी शामिल किया जाना चाहिए।

2 comments:

  1. अच्छी टिप्पणी।

    ReplyDelete
  2. ऐसे समय मे कई लोग बाप रे बाप चिल्लाते हैं , तो कई लोग माई रे माई ! कई आह्ह्ह्ह्छ से काम चला लेते
    हैं .वैसे "गांधी वध और मैं " पढ़ा तो साफ हुआ "उहूँ ऊहुं" की आवाज़ निकली थी . वैसे राम नाम सत्य करने के लिए चलाई गोली से "उहूँ ऊहुं" का अनुवाद "हे राम" हो ही गया तो कोई तूफ़ान थोड़े न आ गया . अरे भाई गांधी जी हिंदू थे पुरी ज़िंदगी धरम निरपेक्षता के हवाले करके आखिरी साँस मे भाजपा को एक मुद्दा तो दिया .हमे उनके हे राम से कभी आपति नही . मेरा तो मानना है गोली लगने के बाद २ घंटे गाँधी जी ने कीर्तन किया था .
    हमे कोई गोली मारकर देखे मुझे पक्का उम्मीद है राम , लखन के बदले " अरे साला मार डाला " ही बोलूंगाएक मिनट प्राण को होल्ड रख पाया तो सारे खानदान को भी लपेट दूंगा .

    ReplyDelete

शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों की यादें और मेरे पिताजी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी  9 वीं से 12 वीं तक प्रयागराज में केपी कॉलेज में मेरी पढ़ाई हुई। काली प्रसाद इंटरमी...