हर्ष वर्धन त्रिपाठी
सिंध पुलिस मुख्यालय में पुलिस को समर्थन देने पहुंचे बिलावल भुट्टो जरदारी
पाकिस्तान
में पिछले एक सप्ताह से जो कुछ हो रहा है, उससे पाकिस्तान में अवाम की बेचैनी बहुत
स्पष्ट तौर पर नजर आ रही है। आतंकवाद और आर्थिक संकट से बुरी तरह से जूझ पाकिस्तान
का सबसे बड़ा संकट यही है कि इस्लामिक मुल्क पाकिस्तान में कहने के लिए
लोकतांत्रिक तौर पर चुनी हुई सरकार है, लेकिन सच यही है कि पाकिस्तानी फौज और वहां
की खुफिया एजेंसी आईएसआई ही देश को नियंत्रित करती है। पाकिस्तान के पूर्व
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने गुजरांवाला की रैली में वीडियो संदेश के जरिये पाकिस्तान
की अवाम से बात करते हुए पाकिस्तानी फौज और खुफिया एजेंसी की हर कारगुजारी को
खोलकर रख दिया। पाकिस्तान में आतंकवादियों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है तो इसकी
बड़ी वजह यही है कि लोकतांत्रिक तौर पर चुने गए प्रधानमंत्री के पास कोई अधिकार ही
नहीं है और इमरान खान अब तक के सबसे कमजोर प्रधानमंत्री साबित हुए हैं। हालंकि,
इमरान खान की कमजोरी इस तरह से सामने आने की बड़ी वजह यह भी है कि पाकिस्तानी फौज
के दबाव के अलावा पाकिस्तान के बुरे आर्थिक हालात में चीन का दबाव भी बहुत ज्यादा
बढ़ गया है और चीन की कंपनियों के साथ पाकिस्तानी फौज के अधिकारियों के कारोबारी
रिश्ते की वजह से भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बावजूद इमरान खान बयानबाजी से
आगे बढ़ नहीं सके। पाकिस्तानी फौज और खुफिया एजेंसी के अधिकारियों को यह भरोसा था
कि इमरान खान की क्रिकेट सितारे के तौर पर प्रसिद्धि उनके काम आएगी और भारत के
सामने इमरान खान का चेहरा रखकर पाकिस्तानी अवाम को यह समझाने में कामयाब रहेंगे कि
भारत की तरफ से ही सारी गड़बड़ हो रही है, लेकिन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी की स्पष्ट पाकिस्तान नीति की वजह से पाकिस्तानी फौज और आईएसआई की हर शातिराना
चाल धरी की धरी रह गई। उस पर दुनिया के हर मंच पर पाकिस्तान लगातार अपमानित होता
रहा। इन वजहों से लंदन में रह रहे निर्वासित पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को
पाकिस्तान की अवाम का भरोसा जीतने का अवसर दिखने लगा।
पाकिस्तान
की अवाम में बढ़ रहे इसी गुस्से का उपयोग कर लेने की मंशा से नवाज शरीफ ने बेटी
मरयम नवाज शरीफ के जरिये पूरे पाकिस्तान में जमीन पर आन्दोलन खड़ा किया और जब पाकिस्तान
की जनता आतंकवादियों पर कोई कार्रवाई न कर पाने में असहाय दिख रहे प्रधानमंत्री
इमरान खान को दुनिया के सामने गिड़गिड़ाते देखा तो उसी समय का इस्तेमाल नवाज शरीफ
ने फिर से अपनी जमीन तलाशने के लिए करना शुरू किया। नवाज शरीफ पर भ्रष्टाचार के
बड़े आरोपों के बावजूद पाकिस्तान की जनता मरयम नवाज शरीफ के प्रति सहानुभूति रखती
है और पाकिस्तान की अमनपसंद और लोकतंत्र बहाली की इच्छा रखने वाली जनता के मन में
कहीं न कहीं यह बात है कि अगर नवाज शरीफ की चलती तो शायद भारत से रिश्ते इतने खराब
नहीं होते। बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के
साथ पाकिस्तान की अवाम को भी बता दिया कि पाकिस्तान ने कश्मीर के जिस हिस्से पर
अवैध कब्जा कर रखा है, उस जमीन का इस्तेमाल सिर्फ आतंकवादियों को तैयार करने में
कर रहा है। इस्लामोफोबिया की बात करके विश्वमंचों पर इमरान खान के पिटने और
अमेरिका में जाकर खुद ही चालीस से पचास हजार आतंकवादियों के पाकिस्तानी जमीन पर
होने और पाकिस्तान से भारत की भूमि पर आतंकवादियों के भेजने की स्वीकारोक्ति के
बाद पाकिस्तानी फौज और आईएसआई के लिए भी इमरान खान बोझ बन चुके हैं। पाकिस्तानी
फौज और आईएसआई पिछले 6 महीने से इमरान खान का विकल्प गंभीरता से खोजने में जुट गई
थी, लेकिन लोकतंत्र का आवरण ओढ़ाकर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पुतला बैठाने के लिए
कोई उचित नेता नहीं मिल पा रहा था। FATF की ग्रे लिस्ट में होने से पाकिस्तान को आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही
थी, इससे पाकिस्तान फौज और आईएसआई के आर्थिक हितों पर भी असर पड़ रहा था। आतंकवाद
से लड़ाई के नाम पर अमेरिका से मिलने वाली रकम भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड
ट्रम्प ने बंद कर दी है। इस बीच पाकिस्तानी अवाम नवाज शरीफ की पार्टी के साथ
जुड़ती दिख रही थी।
कराची
और गुजरांवाला में 11 राजनीतिक दलों के साझा लोकतांत्रिक अभियान की रैली में
जबरदस्त भीड़ उमड़ी, लेकिन 11 पार्टियों के नेताओं में सबसे ज्यादा प्रभाव खांटी
नेता नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरयम नवाज शरीफ का ही दिख रहा था और नवाज शरीफ ने
खुलेआम पाकिस्तानी फौज और आईएसआई पर उनका तख्तापलट का आरोप लगाया। पाकिस्तानी अवाम
सड़कों पर उतर रही थी, यह पाकिस्तान के लिए कोई नई बात नहीं थी, लेकिन फौज के
खिलाफ इस तरह से पाकिस्तानी अवाम का गुस्सा शायद ही कभी इस तरह से दिखा हो। कराची
की सड़कों पर जनता उतर गई थी और गो नियाजी, गो बाजवा के नारे लग रहे थे। सिंध की
पुलिस ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया था। कराची की सड़कों पर पाकिस्तान की सेना और
सिंध पुलिस आमने सामने थी। और, इन सबकी बुनियाद में मरयम नवाज शरीफ के पति कैप्टन
सफदर की गिरफ्तारी के लिए सिंध के पुलिस प्रमुख का अपहरण करके उनसे जबरदस्ती
कैप्टन सफदर की गिरफ्तारी का आदेश पारित करवाना था। सिंध पुलिस के 10 AIGs, 16 DIGs और 40 SSP ने इस्तीफा दे दिया
था। पाकिस्तानी
सेना और सिंध पुलिस के बीच इस संघर्ष में अवाम के पुलिस के साथ खड़े होने के बीच पाकिस्तानी
सेना के लिए संकट बढ़ रहा था। उसी बीच बिलावल भुट्टो जरदारी सिंध पुलिस प्रमुख के
समर्थन में खड़े हो गए और सिंध पुलिस के अधिकारियों के साथ तस्वीर पोस्ट करते हुए
लिखा कि, अभी-अभी मैं सिंध पुलिस के मुख्यालय, कराची पहुंचा हूं और पुलिस जवानों
का मनोबल बढ़ाने के लिए सिंध पुलिस के प्रमुख आईजी और दूसरे अधिकारियों के साथ मुलाकात
की है। 20
अक्टूबर को 9 बजकर 47 मिनट पर बिलावल भुट्टो जरदारी सिंध पुलिस मुख्यालय से ट्वीट
करते हैं कि I stand in solidarity with Sindh Police, do you? #WeStandWithSindhPolice
उससे पहले उनकी पार्टी के मीडिया सेल के ट्विटर खाते से 8
बजकर 31 मिनट पर ट्वीट किया गया कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी से फोन पर कराची में
हुई घटना पर बात की। और, अगले ट्वीट में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की मीडिया सेल
ने लिखा कि पीपीपी चेयरमैन ने कराची की घटना पर चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की तुरंत
कार्रवाई के लिए उनकी तारीफ की और उन्होंने भरोसा दिलाया है कि जांच में पूरी तरह
पारदर्शिता बरती जाएगी। इस ट्वीट को बिलावल भुट्टो जरदारी ने रीट्वीट किया और इसके
बाद सिंध पुलिस के मुख्यालय गए, वहां से सिंध पुलिस के अधिकारियों के साथ तस्वीर
जारी की और 20 अक्टूबर को रात 11 बजकर 42 मिनट पर सिंध पुलिस के ट्विटर खाते से 6
ट्वीट के साथ आईजी सिंध और सिंध पुलिस के सभी अधिकारियों ने छुट्टी पर जाने का
फैसला रद्द कर दिया।
पाकिस्तानी
फौज और आईएसआई को लंबे समय से पाकिस्तान में एक कमजोर नेता की तलाश थी और बेनजरी
भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी पाकिस्तानी फौज और आईएसआई के लिए मुंहमांगी
मुराद जैसे साबित होते दिख रहे हैं। अभी पाकिस्तान के हालात बेहद खराब हैं। जनता
सरकार के साथ फौज और आईएसआई के खिलाफ खुलेआम बोल रही है। ऐसे में पाकिस्तान
पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी में पाकिस्तानी फौज और आईएसआई
संभावना देख रही है।
यह लेख मनीकंट्रोल डॉट कॉम के मेरे साप्ताहिक स्तंभ में छपा है।
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