#BiharVotes के समय बिहार में रहा। लेकिन, बिहार के बारे में बिहारी ही तय करेगा, बाहरी नहीं। एक जगह भोजन पर जाना हुआ। जगह है दसरथा। दसरथा और सिपारा दोनों पुराने गांव हैं, जो 1980 आते आते शहर में शामिल होने के फेर में लोग घर बनाने लगे। पटना सचिवालय, स्टेशन से ये जगह सिर्फ 3 किलोमीटर है। अब वोट यहां किस आधार पर पड़ना चाहिए। ये बिहारियों को बताने की जरूरत है क्या। तस्वीरें देखिए इन्हीं रास्तों से हम पहुँचे। #PrideOfBihar
देश की दशा-दिशा को समझाने वाला हिंदी ब्लॉग। जवान देश के लोगों के भारत और इंडिया से तालमेल बिठाने की कोशिश पर मेरे निजी विचार
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संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का व्याख्यान- प्रथम दिवस
Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्य किसी के विरोध या किसी की प्रतिक्रिया में नहीं हुआ है। यह पूर्ण रूप...
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हमारे यहां बेटी-दामाद का पैर छुआ जाता है। और, उसके मुझे दुष्परिणाम ज्यादा दिख रहे थे। मुझे लगा था कि मैं बेहद परंपरागत ब्राह्मण परिवार से ह...
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आप लोगों में से कितने लोगों के यहां बेटियों का पैर छुआ जाता है। यानी, मां-बाप अपनी बेटी से पैर छुआते नहीं हैं। बल्कि, खुद उनका पैर छूते हैं...
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पुरानी कहावतें यूं ही नहीं बनी होतीं। और, समय-समय पर इन कहावतों-मिथकों की प्रासंगिकता गजब साबित होती रहती है। कांग्रेस-यूपीए ने सबको साफ कर ...

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