Friday, April 10, 2015

अच्छा लगता है!

किसान कराहता ही अच्छा लगता है
किसान कर्ज के तले दबा ही अच्छा लगता है
किसान बर्बाद फसल दिखाता अच्छा लगता है
किसान गंदा दिखता ही अच्छा लगता है
किसान वोटबैंक बना अच्छा लगता है
किसान गरीब ही अच्छा लगता है
किसान फसल के भाव के लिए गिड़गिड़ाता ही अच्छा लगता है
किसान मैला कुचैला ही अच्छा लगता है
किसान चिंता करते बड़ा अच्छा लगता है
किसान कर्ज माफी पर खुश होता अच्छा लगता है
किसान भूखा रहे लेकिन, अन्नदाता कहलाना ही अच्छा लगता है
किसान के मरने की खबर टीवी पर देखना अच्छा लगता है
किसान अपनी छवि के नीचे दबा अच्छा लगता है
किसान का खुद की पहचान भूल जाना ही अब अच्छा लगता है
किसान याचक ही अच्छा लगता है
किसान कराहता ही अच्छा लगता है।

No comments:

Post a Comment

शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों की यादें और मेरे पिताजी

Harsh Vardhan Tripathi हर्ष वर्धन त्रिपाठी  9 वीं से 12 वीं तक प्रयागराज में केपी कॉलेज में मेरी पढ़ाई हुई। काली प्रसाद इंटरमी...